डॉ. तिग्गा ने बताया कि यदि किसान समय पर अनुशंसित दवाइयों का उचित तरीके से उपयोग करें तो कीड़े एवं रोग से होने वाली फसल हानि को बचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिन खेतों में पानी रुका हुआ है वहां सफेद फुदका और भूरा माहूं कीटों का प्रकोप देखने को मिला और धान की बाली निकलने के पहले ही खेत पीला होते हुए जला दिखाई देने लगा।
इस स्थिति में खेत से जल्दी पानी निकालकर अनुसंशित दवा जैसे एसिटामाप्रिट एवं एमिडाक्लोप्रिड 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी मे घोल बनाकर अच्छी तरह छिडक़ाव करें। इसके साथ साथ धान की वर्तमान अवस्थाओं में शीथ ब्लाईट एवं शीथ रॉट की समस्या भी देखने को मिली। इसमें पानी के ऊपर पौधे के पत्तियो में भूरे रंग के धब्बे बन जाते है और धीरे-धीरे पौधा सूख जाता है।
इसके लिए प्रोपिकोनाजोल या हेक्साकोनाजोल या कार्बेंडाजीम दवा 1.5 से 2 ग्राम प्रति लीटर 4 पानी या कासुगामाईसीन दवा 3 से 4 मिलीलीटर प्रतिलीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर अच्छे तरीके से छिडक़ाव करें।
डॉ. तिग्गा ने बताया कि जहां तना छेदक का प्रकोप है वहां यदि पौधों की ऊंचाई कम हो और आसानी से खेतों में प्रवेश किया जा सके तो किसान प्रोपेनोफास या लैम्डा साईहैलोथ्रिन दवा 1.5 से 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या क्लोररइंट्रानिलिप्रोल 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिडक़ाव करें।
यदि पौधे ऊंचे हो और बाली निकलने की अवस्था मे हो तो कार्टेप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत दानेदार 10 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें। दलहन फसलों मे फल्ली भेदक कीटों के प्रकोप से बचाव के लिए ईमामेक्टिन बेंजोएट 0.3 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिडक़ाव कर सकते हैं।
निरीक्षण के दौरान कृषि विभाग के सहायक संचालक जीएस धुर्वे, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी नरेश सिंह परमार एवं ए टोप्पो मौजूद थे।
खेतों का निरीक्षण करते रहें किसान
डॉ. तिग्गा ने बताया कि वर्तमान मौसम में आर्द्रता और तापमान अधिक होने के कारण कीड़ों एवं रोगों के प्रकोप के लिए अनुकूल है। इसके रोकथाम के लिए किसान खेतों का निरीक्षण करते रहें एवं कीटनाशक का प्रयोग सुबह या शाम को ही करें। तकनीकी अधिकारियों से कीट एवं व्याधियों की पहचान कराकर ही सही कीटनाशक, रोगनाशक का उपयोग करें।
खेतों का निरीक्षण करते रहें किसान
डॉ. तिग्गा ने बताया कि वर्तमान मौसम में आर्द्रता और तापमान अधिक होने के कारण कीड़ों एवं रोगों के प्रकोप के लिए अनुकूल है। इसके रोकथाम के लिए किसान खेतों का निरीक्षण करते रहें एवं कीटनाशक का प्रयोग सुबह या शाम को ही करें। तकनीकी अधिकारियों से कीट एवं व्याधियों की पहचान कराकर ही सही कीटनाशक, रोगनाशक का उपयोग करें।