मेडिकल कॉलेज में पदस्थ असिटेंट प्रोफेसर, जूनियर रेसिडेंट व सीनियर रेसिडेंट डॉक्टरों की अस्पताल में आपातकालीन ड्यूटी लगाए जाने के बावजूद उनके द्वारा हमेशा मनमानी की जा रही है। इसकी वजह से पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में पदस्थ असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रबंधन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों द्वारा कहा जाता है कि जब एक ही पद पर कार्यरत हैं तो अलग-अलग व्यवस्था स्वीकार नहीं की जाएगी।
शंकराचार्य कॉलेज ने कमी को पूरा कर न्यायालय से ली मान्यता
एमसीआई की आपत्ति के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मान्यता नहीं दिए जाने के खिलाफ श्री गंगाजजी एजुकेशन सोसायटी व अन्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए भिलाई के शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के प्रवेश हेतु मान्यता प्रदान कर दी है। लेकिन अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अब तक सरकार के समक्ष अपना पक्ष भी नहीं रख सका है। जबकि कॉलेज प्रबंधन को भी इस बात की जानकारी है कि 5 सितम्बर के बाद मान्यता के सभी दरवाजे बंद हो जाएंगे।
मेडिकल कॉलेज की समस्या पर सवालों से बचते नजर आए मंत्री
इधर शुक्रवार को पत्रवार्ता में मेडिकल कॉलेज व विश्वविद्यालय भवन निर्माण हेतु निविदा स्वीकृत होने की बात प्रभारी मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कही। वहीं जब उनसे पूछा गया कि मेडिकल कॉलेज ऐसी जगह पर क्यों बनाया जा रहा है जहां पीडब्ल्यूडी ने शासन को पत्र लिखकर बताया है कि वहां निर्माण कार्य किए जाने से ३० प्रतिशत अधिक राशि वहन खर्च होगी। इसपर उन्होंने सभी के सहयोग की बात कही। मेडिकल कॉलेज जीरो इयर घोषित होने पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि सभी के सहयोग से इसे भी प्राप्त कर लिया जाएगा। मेडिकल कॉलेज की समस्या को लेकर प्रभारी मंत्री सवालों से बचते नजर आए।
रोस्टर ड्यूटी को लेकर लगाई थी फटकार
वीडियो कान्फ्रेसिंग में स्वास्थ्य आयुक्त आर. प्रसन्ना डाक्टरों की मनमानी को लेकर काफी सख्त नजर आए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि ड्यूटी नहीं करने वाले डाक्टरों के वेतन की कटौती की जाए। इसके साथ ही उन्होंने डाक्टरों से चर्चा के दौरान कहा था कि अगर ड्यूटी नहीं करनी है तो वे दूसरे जगह जा सकते हैं। लेकिन किसी के लिए नियमों को नहीं तोड़ा जा सकता है। इतनी फटकार के बाद भी डाक्टरों की मनमानी नहीं रूकी। उनकी मनमानी को कॉलेज प्रबंधन की मौन स्वीकृति मिले होने की वजह से कुछ डाक्टर आपातकालीन ड्यूटी नहीं कर पूरी व्यवस्था को बिगाडऩे में लगे हुए हैें।
ड्यूटी नहीं करने के बाद भी बना पूरा वेतन
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आपातकालीन ड्यूटी नहीं करने के बावजूद कई डाक्टरों का पूरा वेतन प्रबंधन द्वारा बना दिया गया है। जबकि डीन की उपस्थिति में वीडियो कान्फ्रेसिंग में स्वास्थ्य आयुक्त ने वेतन काटने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी उनका पूरे माह का वेतन बना दिया गया है।