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मैनपाट की ये भी तस्वीर : शिक्षक हर दिन नदी में बैलेंस करते हैं जान तब पहुंचते हैं School

locationसरगुजाPublished: Jul 23, 2017 06:29:00 pm

Submitted by:

Pranay Rana

मैनपाट में जान जोखिम में डालकर पढ़ाने जा रहे आधा दर्जन स्कूलों के शिक्षक, ग्रामीणों को भी करना पड़ रहा परेशानियों का सामना, वर्षों से बनी हुई गंभीर समस्या के निराकरण के लिए शासन-प्रशासन स्तर से नहीं हो रही कोई पहल

Teahers across the river

Teahers across the river

अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ का शिमला कहलाने वाले मैनपाट के दूरस्थ क्षेत्रों की हालत सुधारने शासन-प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की जा रही है। हर साल बारिश के मौसम में ये वनांचल क्षेत्र पहुंचविहीन हो जाते हैं, नदियों के उफान पर होने से इनका संपर्क मुख्यालय से कट जाता है। इसके बाद यहां निवासरत ग्रामीणों को बुनियादी व स्वास्थ्य सुविधा के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यदि गांव में उल्टी-दस्त की बीमारी फैल गई तो पीडि़तों को स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना किसी चुनौती से कम साबित नहीं होता है।

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इस बार भी बारिश की वजह से इन सभी क्षेत्रों का संपर्क मुख्यालय से कट गया है और इस गंभीर समस्या के बीच करीब आधा दर्जन स्कूलों में पोस्टेड शिक्षाकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर सुबह-शाम नदी को पार कर आना-जाना कर रहे हैं। ये समस्या वर्षों से बनी हुई है फिर भी पुल-पुलिया के निर्माण के लिए इतना लंबा इंतजार समझ से परे है।

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अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से राज्य व देश में बड़ा पर्यटन स्थल बन चुका मैनपाट के दूरस्थ इलाके शासन-प्रशासन की उपेक्षा का अभिशाप झेल रहे हैं। वनांचल क्षेत्र करमहा, ढोढ़ीटिकरा, कदनई, घटगांव, सुपलगा सहित अन्य कई ऐसी बस्तियां हैं जहां तक पहुंचना आसान नहीं है। बारिश के मौसम में पूरे चार महीने तो पहाड़ी से घिरे ये क्षेत्र मुख्यालय से पूरी तरह से कट जाते हैं। इस बार भी मानसून झमाझम बारिश से इन गांवों से जुड़े नदी-नाले उफान पर हैं, आवागमन पूरी तरह से ठप है और ग्रामीणों की परेशानियों का दौर प्रारंभ हो गया है।

आधा दर्जन मीडिल व प्राइमरी स्कूल हैं इन क्षेत्रों में
ग्राम करमहा, ढोढ़ीटिकरा, कदनई, घटगांव व अन्य बस्तियों को मिलाकर करीब आधा दर्जन मीडिल व प्राथमिक स्कूल हैं। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षाकर्मियों को बारिश के चार महीने पढ़ाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लगभग 10 से 12 शिक्षाकर्मी हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर नदियों को पार कर स्कूल आना-जाना कर रहे हैं।

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यही नहीं करमहा के भी बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए नदी को पार करना पड़ रहा है। इन गांवों में प्रशासन या विभाग द्वारा शिक्षाकर्मियों के लिए रहने की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है, अन्यथा इन्हें अपनी जान जोखिम में नहीं डालनी पड़ती।

ये नदियां उफान पर
ग्राम करमहा व ढोढ़ीटिकरा से मछली नदी जुड़ी हुई है। घटगांव से मांड नदी की सहायक नदी जुड़ी है। इसी तरह अन्य पहाड़ी नाले भी दूरस्थ क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। बारिश में नदी-नाले उफान पर हैं जिससे गांवों का संपर्क मुख्यालय से कट गया है।

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लंबे समय से की जा रही पुल-पुलियों की मांग
teacher across river
दूरस्थ ग्रामों से जुड़ी नदी व नालों पर पुल-पुलियों के निर्माण की मांग ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से की जा रही है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता का खामियाजा इन गांवों को अभिशाप के रूप में झेलना पड़ रहा है। जबकि बारिश के मौसम में हर वर्ष इन गांवों में मौसमी बीमारी का प्रकोप फैलता है और पुल-पुलियों के अभाव में यहां स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने में प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। जनप्रतिनिधियों से भी ग्रामीणों को आश्वासन के अलावा आज तक कुछ नहीं
मिला है।

पीएमजीएसवाई को दिए गए हैं सर्वे के निर्देश
मैनपाट के दूरस्थ ग्रामों में नदी-नालों पर पुल-पुलियों के निर्माण हेतु जनपद व पीएमजीएसवाई को सर्वे के निर्देश दिए गए हैं। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर प्रस्ताव शासन को भेजकर बारिश के बाद पुल-पुलियों का निर्माण कार्य कराया जाएगा।
किरण कौशल, कलक्टर
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