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नीलगिरी के पौधे सुरक्षित रखने वाले किसानों की जेब पर Forest विभाग का डाका

locationसरगुजाPublished: Jul 24, 2016 01:51:00 pm

Submitted by:

Pranayraj rana

हरियाली प्रसार योजना के तहत सरगुजा के किसानों को वितरित किए गए थे पौधे, अब तक किसानों के खाते में नहीं पहुंची राशि

Nilgiri plant

Nilgiri plant

अंबिकापुर. हरियाली प्रसार योजना के तहत सरगुजा वन विभाग किसानों की जेब पर डाका डालने की तैयारी में जुट गया है। अब तक नीलगिरी पौधरोपण को सुरक्षित रखने पर सरकार से मिलने वाली सुरक्षा राशि किसानों को नहीं बांटी जा सकी। हालत यह है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में किसानों के खेतों में नीलगिरी के पौधे महज 10 फीसदी ही सुरक्षित बची है।

लेकिन वन विभाग द्वारा सरगुजा के सभी 6 वन परिक्षेत्र की फाइलों में 70 से 80 फीसदी पौधे सुरक्षित होने का दावा किया जा रहा है। ये स्थिति तब है जब सीतापुर समेत 3 वन परिक्षेत्र में सुरक्षित पौधों का सर्वे पूरा ही नहीं हो सका है। ऐसे में सुरक्षा राशि के लिए 4 लाख रुपए बांटने का खाका वन विभाग तैयार कर रहा है।

लेकिन असल में सुरक्षा राशि किन किसानों को मिलेगी, इसका भगवान ही मालिक है। ऐसी हालत में भी विभाग के आला-अफसरों की खामोशी उनकी भूमिका पर सवाल उठा रही है।

ये है नियम
हरियाली प्रसार योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16 में नीलगिरी पौधरोपण को एक साल तक सुरक्षित रखने पर वन विभाग की तरफ से किसानों को सुरक्षा राशि दी जाती है। ये राशि प्रत्येक पौधे पर 1 रुपए की दर से किसानों को देय होता है।

सुरक्षित पौधों की हकीकत
वन विभाग के रेंज अफसरों के मुताबिक पिछले साल 6वों वन परिक्षेत्र में लगभग 5.50 लाख नीलगिरी पौधरोपण कराया गया है। इनमें 4.90 लाख नीलगिरी पौधरोपण सुरक्षित हैं। इसके एवज में 4.90 लाख रुपए विभाग द्वारा किसानों को बांटना है। विभाग के पास किसानों के बैंक खाते की डिटेल उपलब्ध नहीं हैं।

जून तक राशि बांटना अनिवार्य
वन विभाग के जानकारों का मानना है कि हरियाली प्रसार योजना के तहत किसानों को पौधरोपण की सुरक्षा राशि जून माह में वितरण करना अनिवार्य होता है। लेकिन अभी सीतापुर समेत सभी वन परिक्षेत्र में अभी किसानों के यहां पौधे सुरक्षित होने का सर्वे चल रहा है। ऐसे में उन्हें रुपए की जगह वन विभाग का कोरा आश्वासन मिलेगा।

सुलगते सवाल
वन विभाग के अफसरों का मानना है कि सुरक्षा राशि किसानों के बैंक खाते में भेजा जाएगी। वहींं 20 फीसदी किसानों के पास बैंक खाते नहीं हैं। 35 फीसदी किसानों को 10 से 25 पौधे ही दिए गए हैं। एक साल बाद अब उनके पास पास महज 4 पौधे सुरक्षित हैं। ऐसे में क्या इन्हें बैंकों के माध्यम से उनके खाते में 4 रुपए दिए जाएंगे? या फिर उनकी राशि विभाग के निजी कोष में चली जाएगी?
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