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मेडिकल कॉलेज की मान्यता फिर खतरे में! नाराज होकर लौटी एमसीआई की टीम

locationअंबिकापुरPublished: Sep 09, 2017 03:08:00 pm

वर्ष 2018-19 के लिए मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर फिर लटकी तलवार, इस वर्ष जीरों ईयर हो चुका है घोषित, गोपनीय रिपोर्ट तैयार करना रवाना हुई टीम

MCI team in Medical college

MCI team in Medical college hospital

अंबिकापुर. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही, संसाधन व प्रोफेसरों की कमी की वजह से एक बार फिर से वर्ष 2018-19 के लिए कॉलेज की मान्यता अधर में पड़ सकती है। एमसीआई की टीम ने बुधवार की देर रात तक मेडिकल कॉलेज Hospital का निरीक्षण करने के साथ ही दस्तावेजों को खंगालने के बाद गुरूवार को बंद कमरे में डीन के साथ गोपनीय रिपोर्ट तैयार की। टीम के तीनों सदस्य कॉलेज व Hospital की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर नहीं आए।

वर्ष वर्ष 2018-19 के लिए मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर फिर लटकी तलवार, इस वर्ष जीरों ईयर हो चुका है घोषित, गोपनीय रिपोर्ट तैयार करना रवाना हुई टीम की मान्यता के लिए एमसीआई की 3 सदस्यीय टीम बुधवार की सुबह मेडिकल कॉलेज व Hospital पहुंची थी। मैराथन जांच के बाद एमसीआई की टीम ने गोपनीय रिपोर्ट तैयार की। बुधवार को टीम के दो सदस्यों ने Hospital का निरीक्षण किया था।
Hospital की व्यवस्थाओं को देख टीम के सदस्य ज्यादा संतुष्ट नजर नहीं आए थे। बुधवार को टीम के सदस्यों ने रात के 1 बजे तक Hospital का निरीक्षण करने के साथ ही वहां उपलब्ध संसाधनों व व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इसके साथ ही दस्तावेजों की भी जांच की। गुरूवार की सुबह टीम के तीनों सदस्य सुबह मेडिकल कॉलेज पहुंचे।
पहले टीम के सदस्यों द्वारा यह कहा गया था कि प्रोफेसरों, सहायक प्रोफेसर व कर्मचारियों व अधिकारियों की संख्या की गिनती जाएगी और उनके साथ बैठक भी की जाएगी। लेकिन उन्होंने गिनती करने बजाए सीधे डीन के कमरे में पहुंच बंद कमरे में दस्तावेजों की जांच करने के बाद गोपनीय रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली स्थिति कार्यालय भेजे जाने की बात कही।

PHC व CHC के डॉक्टरों को बताया कॉलेज का स्टाफ
डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए कॉलेज प्रबंधन ने स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ चिकित्सकों को मेडिकल कॉलेज का स्टाफ बताया गया। इसकी वजह से आने वाले समय में कॉलेज प्रबंधन की परेशानी बढ़ सकती है।

दरिमा व लखनपुर स्वास्थ्य केंद्र का किया निरीक्षण
टीम के सदस्यों ने गुरूवार को दरिमा स्थित स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने के साथ ही वहां पदस्थ कर्मचारियों व अधिकारियो की संख्या का जायजा लिया। इसके बाद लखनपुर स्वास्थ्य केंद्र का भी टीम के सदस्यों ने जायजा लिया।

पूर्व में जो दिखी थी कमी, उससे भी खराब
इससे पूर्व भी एमसीआई की टीम जब मेडिकल कॉलेज निरीक्षण के दौरान पहुंची थी। उस समय जो कमियां गिनाई गर्इं थीं। वर्तमान में जांच के दौरान उससे भी अधिक कमियां एमसीआई की टीम को नजर आईं। कॉलेज प्रबंधन पूर्व में गिनाए गए कमियों को पूरा करने की बजाए सिर्फ पूरे वर्ष कागजों पर ही व्यवस्था करते नजर आया। कॉलेज को जब केंद्र सरकार ने नियमों को शिथिल करते हुए मान्यता दी थी, तब जो व्यवस्था थी, उससे भी खराब व्यवस्था आज मेडिकल कॉलेज की हो गई है।

भवन को लेकर फिर जताई नाराजगी
एमसीआई के सदस्यों ने कॉलेज भवन की कमी को मान्यता के राह में सबसे बड़ा रोड़ा बताया। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने नर्सिंग कॉलेज के नवनिर्मित भवन को दिखाया और बताया कि द्वितीय वर्ष के क्लास यहां पर लगने हैं। सदस्यों ने कॉलेज प्रबंधन से पूछा कि भवन में न तो पैथोलेब है और न ही डेमोस्ट्रेशन कक्ष है। इसके साथ सभाकक्ष का भी पता नहीं है। ऐसे में सिर्फ भवन को लेकर क्या होगा। जबकि कॉलेज प्रबंधन को ६ माह पूर्व ही नर्सिंग कालेज में द्वितीय सत्र चलाने की अनुमति शासन से मिल गई थी। लेकिन आज तक इस भवन में कोई व्यस्था नहीं की गई।

टीम ने एडवांस में लिया 3 लाख का एफडीआर
एमसीआई की टीम द्वितीय वर्ष के लिए निरीक्षण करने आई थी। लेकिन सदस्यों ने वर्ष २०१८-१९ के सत्र के मान्यता के लिए भी निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने तीन लाख रुपए का एडवांस एफडीआर भी जमा करवा लिया। डीन डॉ. पीएम लूका ने बताया कि द्वितीय वर्ष की मान्यता के लिए कॉलेज प्रबंधन द्वारा एमसीआई कार्यालय में आवेदन किया गया था। लेकिन टीम के सदस्यों द्वारा एडवांस में वर्ष वर्ष 2018-19 के लिए मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर फिर लटकी तलवार, इस वर्ष जीरों ईयर हो चुका है घोषित, गोपनीय रिपोर्ट तैयार करना रवाना हुई टीम के लिए भी निरीक्षण किया गया है।

द्वितीय वर्ष के लिए दिखी फैकल्टी की कमी
मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं से जहां एमसीआई की टीम संतुष्ट नजर नहीं आई, वहीं जिन प्रोफेसरों की नियुक्ति शासन द्वारा की गई थी, वे नियुक्ति के बाद से अवकाश पर चल रहे हैं। इसकी वजह से उनकी गिनती नहीं हो सकी है। द्वितीय वर्ष के लिए जिन फैकल्टी की आवश्यकता है, उनमें से कई फैकल्टी प्रोफेसरों के स्थानांतरण की वजह से पद खाली पड़े हैं।
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