मानव तस्करी (Human trafficking) की आशंका होने पर पुलिस पुरुषों को कोतवाली ले गई, जबकि युवतियों को सखी सेंटर भेजा गया। पुलिस (Police) युवकों से पूछताछ कर रही है, जबकि युवतियों की काउंसिलिंग सखी सेंटर द्वारा की जा रही है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिलों से काफी संख्या में नाबालिग व युवतियों को काम दिलाने के नाम पर दूसरे राज्यों में ले जाकर बेच दिया जाता है। ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। इसी कड़ी में मंगलवार की रात करीब 7.30 बजे मणिपुर चौकी पुलिस बिलासपुर चौक पर जांच कर रही थी।
इसी बीच बस क्रमांक टीएन 31 एफ- 3737 को उन्होंने रुकवाया। पुलिस ने जब सवारियों को उतरवाया तो उसमें 24 लड़कियां व एक युवक सवार थे। पुलिस ने जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि सभी को तमिलनाडु की एक कंपनी में काम कराने ले जाया जा रहा है।
पूर्व से लड़कियां वहां काम कर रही थीं, लॉकडाउन में घर आ गई थीं। अब कंपनी के मालिक द्वारा उन्हें फिर से वापस बुलाया गया है। पुलिस ने जब कंपनी का लेटर मांगा तो वे दिखा न सके। मानव तस्करी की आशंका पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया और थाने ले आई।
चल रही पूछताछ
पुलिस द्वारा सखी सेंटर (Sakhi center) को मामले की सूचना दी गई। बुधवार को कोतवाली में बस में सवार बलरामपुर जिला निवासी युवक व बस ड्राइवर से पूछताछ की जा रही है। वहीं सखी सेंटर में युवतियों की काउंसिलिंग की जा रही है। युवतियों का कहना है कि वे अपने परिजनों की सहमति से वहां जा रही हंै। पुलिस ने फिलहाल मामले में कोई अपराध दर्ज नहीं किया है।
3 जिले की युवतियां शामिल
बस में बलरामपुर, जांजगीर-चांपा व कोरिया जिले की लड़कियां सवार थीं। इनमें बलरामपुर जिले की 16, जांजगीर-चांपा की 7 तथा कोरिया जिले की 1 लडक़ी शामिल हैं।