इस दौरान दुकानों के रजिस्ट्रेशन, लकड़ी के बिल व स्टॉक की जांच की गई। जांच में दो दुकानों में अनियमितता मिली जिन्हें नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है। वन विभाग की इस कार्रवाई से अनियिमितता बरतने वाले दुकान संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है।
सहायक वन संरक्षक वीबी केरकेट्टा ने बताया कि वन विभाग साल के अंत में सभी फर्नीचर दुकानों की जांच करता है। जांच के दौरान दुकानों की लाइसेंस, स्टॉक और एकाउंट की जांच की जाती है। हर वर्ष फर्नीचर दुकानदारों को अपने लाइसेंस का रिन्यू कराना होता है। वहीं स्टॉक में देखा जाता है कि दुकानदार ने चीड़ की कितनी लकड़ी फर्नीचर बनाने के लिए खरीदी है। उसने कितनी लकड़ी का इस्तेमाल कर लिया है और कितनी बाकी है। एकाउंट की जांच के दौरान दुकानदार के आय और व्यय की जांच की जाती है।
यदि जांच के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई गई तो दुकानदार का लाइसेंस रद्द कर दुकान को सील कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि अब तक 12 दुकानों की जांच हो चुकी है और 79 दुकानों की जांच करना बाकी है। वन विभाग की यह जांच जारी रहेगी। इधर वन विभाग की टीम जब फर्नीचर दुकानों में पहुंच रही है तो दुकानदारों में खलबली मच जा रही है।
हर साल होती है जांच
अधिकारियों ने बताया कि फर्नीचर व लकड़ी मिलों में विभाग द्वारा हर वर्ष जांच की जाती है। जांच में गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई की जाती है।