जाति मामले में रमन सरकार अजीत जोगी को पहुचा रही लाभ, नोटबंदी को कहा देश के लिए अघोषित आर्थिक आपातकाल, प्रशासन के डर से जनता खुलकर नहीं आ पा रही सामने
TS Singhdeo in press conference
अंबिकापुर. सुप्रीम कोर्ट ने अजीत जोगी के आदिवासी होने के मामले में वर्ष 2011 में निर्देश जारी किए थे कि 3-6 महीने के भीतर राज्य सरकार जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करे। आज 5 साल हो गए है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को दरकिनार कर रखा है। मेरा ये आरोप है कि रमन सरकार अजीत जोगी को जाति मामले में लाभ पहुंचा रही है।
जिस कमीशन को जांच का जिम्मा सौंपा गया था उसने वर्ष जांच रिपोर्ट लिखित में प्रस्तुत कर दी थी कि अजीत जोगी आदिवासी समाज के नहीं हैं तो वर्ष 2013 के चुनाव से ठीक पहले रमन सरकार ने क्यों वापस लेकर दूसरे कमीशन को बैठा दिया था।
ये बातें छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने होटल मयूरा में पत्रकारवार्ता में कही। उन्होंने रमन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अजीत जोगी के आदिवासी होने के संदर्भ में जब एक कमीशन नतीजे पर पहुंच चुकी थी तो उस फैसले का लाभ लेने के लिए रमन सिंह की जानकारी में रमन की सरकार ने उसे अब तक दबाकर रखा।
ऐसे में चुनाव से ठीक पहले रमन सिंह ऐसा प्रभाव बनाने में सफल हो जाते है जिससे अजीत जोगी कांग्रेस में रहते हुए तथा अब जब कांग्रेस में नहीं हैं तो भी कांग्रेस के हितों विपरीत काम करते देखे जाते हैं।
जब तक आदिवासी हैं कहीं से भी लड़ सकते हैं चुनाव अजीत जोगी ने अपने चुनावी दौरे की शुरूआत के सरगुजा जिले के सीतापुर विधानसभा से की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि यदि यहां से उन्हें उचित उम्मीदवार नहीं मिला तो वे खुद यहां से चुनाव लड़ेंगे।
इस संबंध में टीएस सिंहदेव ने कहा कि जब तक अजीत जोगी के पास आदिवासी का सर्टिफिकेट हैं तब तक छत्तीसगढ़ के 11 विधानसभा को छोड़कर कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं। जब उनके आदिवासी नहीं होने का प्रमाण प्रस्तुत कर दिया जाएगा तो उनके लिए 29 सीटें और कम जो जाएंगीं।
देश में अघोषित आर्थिक आपातकाल की स्थिति टीएस सिंहदेव ने कहा कि नोटबंदी से देश में इस समय आर्थिक अघोषित आपातकाल लागू है। यह सोचा भी नहीं जा सकता था, कभी कल्पना में भी नहीं रहा। यह दुर्भाग्यजनक है। उन्होंने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि नोटबंदी हो जाएगी। देश की जनता अपने ही रुपए निकालने के लिए जो कि उसकी खुद की कमाई की है।
मजदूर, किसान ने जिस तरह रुपए कमाए हैं उसे सरकार कैसे तय कर सकती है कि वह अपने रुपए कैसे खर्च कर सकता है। अब जब नोटबंदी हो गई है तो सरकार अव्यवहारिक कैशलेस को बढ़ावा देने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ये तय करने वाले कौन होते हैं कि देश की जनता अपने रुपए को कैसे खर्च करती है।
मोदी एक मार्केर्टिंग एक्सपर्ट नोटबंदी के बाद किसानों द्वारा सब्जियां फेंकने के मामले में टीएस सिंहदेव कहा कि मोदी जी एक मार्केटिंग एक्सपर्ट के रूप में स्थापित हो गए हैं। कैसे अपनी बात को बेच देना, कैसे अपनी बात को चलवा देना, खासकर मीडिया के माध्यम से, इसमें उनको महारत हासिल है। इसका पता इस बात से चलता है कि न्यू ईयर की पूर्व संध्या में पर उन्होंने किसानों के लिए जो संदेश देश के समक्ष प्रस्तुत किया उसमें किसानों के लिए बड़ी छूट दी।
इसमें सभी ये उम्मीद लगाए बैठे थे कि किसानों के कर्जे को वे माफ करेंगे। इससे देश के 60-70 प्रतिशत किसानों के कर्ज माफ करेंगे तो बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन उन्होंने मात्र 2 महीने के कर्जे को माफ किया और उसको 60 दिन के कर्जे माफ करने की प्रस्तुति दी। उन्होंने पुन: ये घोषणा का ऐसा आडंबर बनाने का प्रयास किया कि हमने बहुत बड़ी छूट दे दी।
माफी मांगें प्रधानमंत्री, हम आजाद देश में हैं टीएस सिंहदेव ने कहा कि जिस तरह आरबीआई ने 60 बार अपनी गल्तियां मानते हुए उसके सुधार में लगी हुई है और अब भी विफल है। उसी प्रकार देश के प्रधानमंत्री को जनता से माफी मांगनी चाहिए कि हम नहीं समझ पाए कि नोटबंदी को कैसे करना चाहिए था।
आप सभी को जो अनावश्यक परेशानी हुई उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। बैंकों में कैसे काम करना है इसमें मैं नहीं पड़ रहा हूं। उन्होंने कहा कि हम आजाद देश के नागरिक हैं हमारा पैसा हम कैसे खर्च करेंगे, यह हमारा अधिकार होना चाहिए।