scriptवीडियो- जानिए क्यों कंबल वाले बाबा की शरण में पहुंचे गृहमंत्री | Balrampur : know why Home Minister arrives in Kambal Babas shelter | Patrika News

वीडियो- जानिए क्यों कंबल वाले बाबा की शरण में पहुंचे गृहमंत्री

locationअंबिकापुरPublished: Sep 12, 2017 06:49:00 pm

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के ग्राम स्याही में मिले कंबल वाले बाबा से

Home minister

Home minister with Kambal babas

अंबिकापुर/वाड्रफनगर. मेडिकल साइंस ने इस आधुनिक युग में तमाम तरह की तरक्की कर ली है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का भी इलाज है लेकिन छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा न जाने किस युग व अंधविश्वास में जी रहे हैं। सोमवार को वाड्रफनगर विकासखंड के दौरे पर गए गृहमंत्री ग्राम स्याही में शिविर लगाकर हर बीमारी का कंबल ओढ़ाकर नि:शुल्क उपचार करने वाले कंबल बाबा के पास अपनी शुगर की बीमारी का इलाज कराने पहुंच गए। उनकी सरकार प्रदेश की जनता को अंधविश्वास, जादू-टोने से दूर करने जागरूकता अभियान चला रही है और वे खुद ऐसे बाबाओं के शरण में जाकर अंधविश्वास को बढ़ावा देने में लगे हैं।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत स्याही व पंडरी में विगत तीन सप्ताह से एक कंबल वाले बाबा का भूत लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। अंधविश्वास की जड़ें ग्रामीणों में इस कदर फैल गईं हैं कि छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार से हजारों की संख्या में लोग अस्पताल छोड़कर कंबल वाले बाबा के पास अपनी बीमारियों का इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
ऐसा दावा है कि बाबा द्वारा कंबल ओढ़ाकर असाध्य रोगों का उपचार कर दिया जाता है और बाबा के पास शुगर रोग का एकदम सटीक उपचार है। इसलिए सबसे अधिक शुगर के ही रोगी यहां उपचार कराने पहुंच रहे हैं। लोग तो कंबल वाले बाबा के चक्कर में पड़ ही गए हैं सोमवार को वाड्रफनगर विकासखंड के दौरे पर पहुंचे गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा भी खुद को नहीं रोक पाए।
गृहमंत्री ग्राम स्याही में लगे कंबल वाले बाबा के शिविर में अपनी शुगर बीमारी का उपचार कराने पहुंच गए। बाकायदा बाबा ने गृहमंत्री को कंबल ओढ़ाकर उपचार किया फिर प्रसाद के रूप में शक्कर भी दिया। अब इससे गृहमंत्री का शुगर रोग छू मंतर हुआ कि नहीं वे ही बेहतर बता पाएंगे।

मेडिकल कॉलेज, कई अस्पताल फिर भी ये कैसा अंधविश्वास
जब प्रदेश के गृहमंत्री ही बाबाओं के चक्कर में पड़कर अंधविश्वास को बढ़ावा देंगे तो फिर जनता में कैसा संदेश जाएगा। वे स्याही जाकर ग्रामीणों से ऐसे किसी भी बाबा के चक्कर में न पडऩे की अपील करते तो ये एक आदर्श स्थापित होता। लेकिन वे खुद ही अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर शुगर की बीमारी का उपचार कराने बाबा की शरण में चले गए। जबकि संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में मेडिकल कॉलेज सहित गांव-गांव में कई अस्पताल हैं।

बाबा से इलाज कराने में बुराई क्या है
मैंने बाबा के बारे में बहुत सुना था इसलिए अपनी शुगर का इलाज कराने चला गया। बाबा द्वारा नि:शुल्क उपचार किया जाता है, कोई शुल्क नहीं लेते तो इसमें बुराई क्या है।
रामसेवक पैंकरा, गृहमंत्री, छग शासन
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