आखिरकार पकड़ा गया पैंथर,ट्रेंकुलाइजहो लपका था बच्चों की तरफ , देखें वीडियो यहां केंद्र के विभाग की गतिविधियां तो संचालित होती ही हैं, साथ ही अलग-अलग कक्षों में प्रतिस्थापित कई पुरातन वस्तुओं के संग्रहालय भी सैलानियों का आकर्षण बने हैं। ऐसे ही हवेली के मुख्य द्वार के पूर्व में बने कलात्मक शस्त्रागार (हाथी का कुमाला) में प्रदर्शित विभिन्न प्रकार की ढाल-तलवारें, छुरे, भाले और फरसे, तीर-कमान और कटारें, बख्तर आदि इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करती हैं।
इसके अलावा इसमें बागोर ठिकाने से गोद गए तत्कालीन महाराणा सरदार सिंह, शंभूसिंह, स्वरूप सिंह व सज्जनसिंह के पोट्र्रेट भी लगे हुए हैं। कहा जाता है कि अनूठी वास्तु कला के चलते पूर्व में इसी हॉल (कुमाला) में राजे-रजवाड़े अपने हाथी बांधा करते थे। अब उसी जगह बीते जमाने के अस्त्र-शस्त्रों की चांदी के मुलम्मे चढ़ी प्रतिकृतियां सुशोभित हो रही हैं। यहां प्रदर्शित बुरछ, खाण्डा, करणशाही और कदलीवन तलवार, बख्तरफाड़ चोंच, पर्शियन ढाल, दखन हैदराबादी कटार, अंकुश, चमड़े की ढाल, बंदूक टोपीदार और शोरदानी न केवल अपने विचित्र नामों से आगन्तुकों को रोमांचित करते हैं बल्कि पर्यटकों को तत्कालीन दौर और इतिहास की बानगी से भी रूबरू कराते हैं।