scriptछत्तीसगढ़ के इस मेडिकल कॉलेज में नहीं मिला स्ट्रेचर, गोद में ढोकर दिव्यांग मरीज को पहुंचाना पड़ा आईसीयू में | Chhattisgarh Government: Patient in lap in place of Stretcher | Patrika News

छत्तीसगढ़ के इस मेडिकल कॉलेज में नहीं मिला स्ट्रेचर, गोद में ढोकर दिव्यांग मरीज को पहुंचाना पड़ा आईसीयू में

locationअंबिकापुरPublished: Oct 15, 2019 03:39:22 pm

Chhattisgarh Government: 90 किलोमीटर दूर अस्पताल से रेफर किए जाने के पश्चात बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की आस में दिव्यांग मरीज को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे परिजन

छत्तीसगढ़ के इस मेडिकल कॉलेज में नहीं मिला स्ट्रेचर, गोद में ढोकर दिव्यांग मरीज को पहुंचाना पड़ा आईसीयू में

Patient in lap

अंबिकापुर. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के शहर में मेडिकल कॉलेज अस्पताल का बुरा हाल है। यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने पर मरीज बेहाल हंै। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्ट्रेचर व व्हील चेयर मरीजों को नहीं मिल रहा है। इससे मरीज व उनके परिजन को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सोमवार की दोपहर 12 बजे एक मरीज एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचा। मरीज के परिजन एंबुलेंस से उतर कर स्टे्रचर के लिए ओपीडी गए, लेकिन ओपीडी में एक भी स्ट्रेचर नहीं मिला। इस दौरान परिजन मरीज को गोद में लेकर चिकित्सक कक्ष पहुंचे। इसके बाद इसी हालत में उसे आईसीयू में भेजा गया।

गौरतलब है कि वाड्रफनगर थाना क्षेत्र के बसंतपुर निवासी 20 वर्षीय गणेश अगरिया पिता सोहर अगरिया दिव्यांग है। रविवार शाम से उसकी तबियत खराब हो गई। उसकी आवाज बंद हो गई और वह खून की उल्टी कर रहा था। परिजन ने उसे इलाज के लिए वाड्रफनगर अस्पताल में भर्ती कराया।
यहां चिकित्सकों ने उसकी स्थिति गंभीर देखते हुए प्राथमिक उपचार कर उसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की उम्मीद लिए संजीवनी 108 से मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे।
यहां पहुंचते ही परिजन का बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की जगह परेशानियों से सामना हुआ। परिजन एंबुलेंस से उतर कर स्ट्रेचर खोजने लगे। लेकिन अस्पताल में कहीं पर स्ट्रेचर नहीं मिलने पर दिव्यांग मरीज को कंधे पर लेकर चिकित्सक कक्ष पहुंचे।
यहां चिकित्सक ने सबसे पहले उसकी हालत देख कर उसे आईसीयू में भर्ती कराने के लिए बोला। परिजन मरीज को कंधे पर ही लेकर आईसीयू कक्ष पहुंचे और उसे भर्ती कराया।


गोद में मरीज व हाथ में ड्रिप वाटर लिए दौड़ते रहे परिजन
वाड्रफनगर अस्पताल से रेफर किए गए दिव्यांग गणेश की स्थिति काफी नाजुक थी। वह बेहोश पड़ा हुआ था। वाड्रफनगर के चिकित्सकों ने उसे बॉटल लगाकर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया था।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचने पर स्ट्रेचर नहीं मिला तो मरीज के एक रिश्तेदार ने उसे गोद में उठाया और दूसरा रिश्तेदार उसके हाथ में लगे बॉटल को टांग कर अस्पताल में दौड़ता रहा। इस दौरान अस्पताल के कई कर्मचारियों की नजर उस पर पड़ी लेकिन स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं कराई गई।

नहीं रहते अस्पताल के कर्मचारी
कलक्टर ने कुछ माह पूर्व मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान कलक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया था कि अस्पताल पहुंचने वाले मरीज व परिजन को किसी तरह की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। इसके लिए अस्पताल के बाहर कर्मचारी नियुक्त करने के निर्देश दिए थे।
इसके बावजूद भी अस्पताल के बाहर मरीज व परिजन के सहयोग के लिए कोई कर्मचारी नहीं रहते हैं। इससे गांव से पहुंचने वाले मरीज व परिजन को काफी परेशानी होती है।


स्ट्रेचर के लिए आए दिन होती है परेशानी
ओपीडी में स्ट्रेचर न रहने की समस्या काफी पुरानी है। कोई भी मरीज दूर दराज से इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचता है तो उसे स्ट्रेचर नहीं मिलता है। परिजन मरीज का इलाज कराने के बजाय पहले स्ट्रेचर खोजने में लग जाते हैं। अंतत: स्ट्रेचर नहीं मिलता है तो परिजन मरीज को गोद या कंधे पर लादकर डॉक्टर के कक्ष तक पहुंचते हैं।

सामान ढोने में करते हैं उपयोग
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्ट्रेचर का उपयोग मरीजों के लिए कम, सामान ढोने में ज्यादा किया जाता है। अस्पताल के कर्मचारी स्ट्रेचर पर ही कचरा ढोने व दवाई लाने ले जाने के लिए करते हैं। इससे मरीजों को समय पर स्ट्रेचर नहीं मिल पाता है। सामान ढोने के उपयोग में लाने के कारण स्ट्रेचर टूट जाते हंै और उसे कबाड़ में रख दिया जाता है।

कई स्टे्रचर टूट चुके हैं
कई स्ट्रेचर टूट चुके हैं। उनकी मरम्मत कराई जा रही है और 20 नए स्ट्रेचर की खरीदी की जा रही है। सोमवार को एक मरीज को स्ट्रेचर नहीं मिला है। इसकी जानकारी मिली है। जल्द ही स्ट्रेचर की समस्या दूर कर लिया जाएगा।
एसपी कुजूर, मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो