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छत्तीसगढ़ के शिमला में शाम होते ही घर छोड़ देते हैं गांव वाले, जान के पड़े रहते हैं लाले

locationअंबिकापुरPublished: Jul 01, 2018 04:15:53 pm

बारिश के मौसम में हाथियों के उत्पात से बेहाल हैं मैनपाट इलाके के ग्रामीण, घर उजाडऩे के साथ ही खा रहे अनाज व राशन

Elephants panic

Elephants broken house

अंबिकापुर. मैनपाट के सरभंजा, ललेया, बरिमा में हाथियों के उत्पात से लोगों का जीना दूभर हो गया है। हाथी अलग-अलग दल में बंटकर उत्पात मचा रहे हैं। बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और ऐसे में हाथियों के उत्पात से बेघर हो रहे ग्रामीणों के समक्ष बड़ी विकट स्थिति निर्मित हो गई है।
सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हाथी घरों को तोडऩे के बाद अनाज के बोरे भी चट कर जा रहे हैं। ग्रामीण दहशत में हैं और परेशान भी। वहीं वन अमले के हाथियों को बस्ती की ओर आने से रोकने के सारे उपाय फेल हो रहे हैं। ग्रामीण शाम 4 बजे से ही घर छोड़कर सुरक्षित रहने के जुगाड़ में लगे रहते हैं।
ग्रामीणों का मानना है कि हाथी घर तोड़ रहे हैं लेकिन बाहर रहने से कम से कम उनकी जान तो बचेगी। शुक्रवार की रात भी हाथियों ने सरभंजा में 5 घर को तहस-नहस कर दिया। अब तक हाथियों ने तीनों गांव को मिलाकर 38 घर तोड़ डाले हैं।
गौरतलब है कि काफी दिनों से 11 हाथियों का दल मैनपाट के बरिमा, ललेया व सरभंजा में भ्रमण कर उत्पात मचा रहा है। इस दल में वह हथिनी भी शामिल है, जिसे तीन लाख की लागत का रेडियो कॉलर वन विभाग द्वारा लगाया गया है ताकि उसकी लोकेशन लेकर जन-धन की हानि रोकी जा सके। लेकिन इसका कोई फायदा दिखता नजर नहीं आ रहा है।
अभी बीते कुछ दिनों से हाथियों का ये दल बंट गया है और 5 हाथी सरभंजा व ललेया में उत्पात मचा रहे हैं। गुरूवार की रात हाथियों ने ग्राम पंचायत सरभंजा के आश्रित ग्राम ललेया में उत्पात मचाते हुए 6 ग्रामीणों का घर तोड़ डाला था तथा अंदर रखा सारा अनाज भी खा गए थे।
हाथियों ने ग्रामीणों को भी दौड़ाया था, बड़ी मुश्किल से भागकर लोगों ने जान बचाई थी। देर रात मशक्कत करने के बाद हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ा गया था।


घर, अनाज सब बर्बाद
शुक्रवार की रात ५ हाथियों का दल जंगल की ओर से निकलकर ग्राम सरभंजा में घुस गया। हाथियों के चिंघाड़ की आवाज सुनकर पूरा गांव बाहर निकल आया। इस बीच हाथियों ने बालभगवान यादव पिता देवनाथ यादव, उदयनाथ पिता ननका मझवार, बराती पिता सनी, बुदराम मोदी पिता धनी व अन्य एक ग्रामीण के घर को तोड़ डाला।
साथ ही अंदर रखे अनाज की कई बोरियों को भी खा गए। हाथियों के उत्पात से ग्रामीण पूरी रात दहशत में रहे। अभी भी हाथियों का दल सरभंजा के आसपास जंगल में डेरा जमाए हुए है। वहीं हाथियों के उत्पात से बरिमा, ललेया व सरभंजा में बेघर हुए लोगों के सामने बड़ी विकट स्थिति निर्मित हो गई है।
बारिश का मौसम शुरू हो गया है, आशियाना तो उजड़ ही रहा है, खाने का अनाज भी हाथी खा जा रहे हैं, ऐसे में ग्रामीण करें क्या, यह बड़ी समस्या है। सीतापुर विधायक के प्रतिनिधि जिक्की गुप्ता ने मांग की है कि सभी प्रभावितों को राहत कैंप में रखा जाए व जिनके भी मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनके लिए अलग से आवास की योजना बने।

शाम 4 बजे के बाद छोड़ देते हैं घर
हाथियों के उत्पात का सामना सबसे अधिक जंगल के किनारे बसे लोगों को करना पड़ रहा है। ग्रामीणों में दहशत इतनी है हाथियों के आने के भय से शाम 4 बजे के बाद घर छोड़ किसी और ठिकाने की जुगाड़ में लग जाते हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से कम से कम जान तो बचेगी। इधर वन अमले की सारे उपाए फेल नजर आ रहे हैं।
विभाग के अधिकारी ऐसा कोई दिन नहीं होता जो ये दावा न करते हों कि हाथियों को अब रिहायशी क्षेत्र में नहीं आने दिया जाएगा और हर दिन उनके दावों की पोल खुल रही है। योजनाओं के नाम पर सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, प्रभावित क्षेत्र के लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।
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