कलक्टर ने कहा कि गोठान में वृहद एवं योजनाबद्ध तरीके से बाड़ी विकास का कार्य करें। बाड़ी में ज्यादा आय देने वाली सब्जी की खेती करें। गोठान से प्रतिदिन सब्जी का उत्पादन हो जिससे महिलाओं को हर दिन आय प्राप्त हो सके। उन्होंने पुटा गौठान में ज्योति स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा केवल 40 दिन में उत्तम गुणवत्ता के वर्मी खाद निर्माण की सराहना करते हुए अन्य गोठानों के लिए उदाहरण बताया।
उन्होंने गोठान में मशरूम उत्पादन, मुर्गीपालन, लेयर बर्ड ए बटेर पालन के लिए छायादार स्थान पर ले आउट बनाने के निर्देश दिए, वहीं अजोला टैंक में अजोला लगाने के भी निर्देश दिए। कलक्टर ने उद्यान विभाग के अधिकारियो निर्देशित किया कि गोठान के चारों ओर नींबू, करौंदा, और बांस के पौधे लगवाएं। बाड़ी विकास के तहत अन्य सब्जियों के साथ प्याज, लहसून की खेती करने के निर्देश दिए। उन्होंने पुटा गोठान में डबरी निर्माण के लिए इन लेट के अनुसार स्थल चयन करने कहा वही सानीबर्रा के डबरी का गहरीकरण कर मछली पालन करने के निर्देश दिए।
कलक्टर ने गोठान प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं सरपंच को गांव के मवेशियों को गोठान में लाने तथा गोबर का विक्रय करने के लिए पशु पालकों को प्रोत्साहित करने कहा। उन्होंने सभी गोठानो मे 2 चरवाहे रखने तथा उनको मानदेय देने के भी निर्देश दिए। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह, जनपद सीईओ पारस पैकरा सहित विभिन्न विभाग के अधिकारी कर्मचारी और समूह की महिलाएं उपस्थित थे।
मुर्गी, बटेर व लेयर बर्ड का पालन
कलक्टर ने गांव में पेयजल की समस्या, वनाधिकार दावा, मुआवजा वितरण की जानकारी सरपंच से ली और संबंधित अधिकारियों को निराकरण के निर्देश दिए। बताया गया कि पुटा गोठान में समूह की महिलाओं ने 154 क्विंटल वर्मी खाद का निर्माण कर 1 लाख 34 हजार का विक्रय किया है। सानीबर्रा में महिलाओं ने 17 हजार का वर्मी खाद बेचा है। यहां मुर्गीपालन, बटेरपालन, लेयर बर्ड का पालन किया जा रहा है।