आंधी-तूफान में गिरे पेड़ों की की थी कटाई-लोडिंग, मजदूरी के लिए 6 माह से भटक रहे 150 ग्रामीण
Complaint: आक्रोशित होकर काफी संख्या मे ग्रामीण पहुंचे थे चेंद्रा कार्यालय, डीएफओ ने दिया जांच का आश्वासन

अंबिकापुर. लुंड्रा वन परिक्षेत्र के चेंद्रा जंगल में आंधी-तूफान से गिरे पेड़ों की कटाई व लोडिंग का कार्य करने के बाद ६ माह से मजदूरी के लिए भटक रहे 150 ग्रामीणों का शनिवार को आक्रोश फूट पड़ा।
वे एकजुट होकर वन विभाग के चेंद्रा कार्यालय पहुंचे। उन्हें देख अधिकारी वहां से नदारद हो गए। इस मामले की जानकारी मिलने पर डीएफओ ने जांच कराकर एक सप्ताह के भीतर मजदूरी भुगतान करने का आश्वासन दिया तब जाकर ग्रामीण वहां से लौट गए।
6 माह पूर्व लुंड्रा वन परिक्षेत्र के चेंद्रा जंगल में तेज आंधी-तूफान से कई पेड़ गिर गए थे। इस पर वन विभाग ने लगभग 150 ग्रामीणों से गिरे पेड़ों की कटाई व लोडिंग का कार्य कराया था। लेकिन आज तक उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। ग्रामीण मजदूरी के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
शनिवार को ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा और वे एकजुट होकर वन विभाग के चेंद्रा कार्यालय पहुंच गए। गझाडांड़ लालमाटी के अभिषेक कुजूर, प्रमोद बघेल, भोला राम, महेश, दिनेश, मोतीलाल, बाबूलाल, हरिकिशुन, दीपक, जोहन, सुखलाल, महेंद्र, अंकित, अजीत, बबलू, शिवमंगल, शिवा कुमार, रमेश, विश्वनाथ, रविशंकर,
संजू, कलिंदर, केंदवा, रामसाय, रामनाथ, कमलेश, छोटेलाल, शिवचंद व अन्य ने बताया कि कुल भुगतान 20 लाख रुपए है। मजदूरी का भुगतान नहीं होने से कोरोना काल में उन्हें दोहरी आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। जब भी चेंद्रा कार्यालय आते हैं तो सिर्फ आश्वासन देकर लौटा दिया जाता है।
ग्रामीणों का आक्रोश देख वनपाल नदारद
ग्रामीणों का आक्रोश देखकर कार्यालय से वनपाल देवराज यादव नदारद हो गए। फिर इस मामले की जानकारी डीएफओ पंकज कमल को दी गई। इस पर डीएफओ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एक सप्ताह के भीतर भुगतान कराने का आश्वासन दिया तब जाकर ग्रामीण माने व वापस गांव लौट गए।
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