जानकारी के अनुसार मृतक करमचंद की बहन हीरा बाई ने अस्पताल पुलिस सहायता केन्द्र में पुलिस के समक्ष बयान दर्ज कराया है। उसने पुलिस को बताई कि 6 माह पूर्व करमचंद परिवार के 11 सदस्यों के साथ मजदूरी करने मध्यप्रदेश गया था। वहां से लॉकडाउन में ससुराल देवटिकरा उदयपुर लौटा था।
23 मई को लिया गया था सैंपल
मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने करमचंद को कोरोना संदिग्ध मानते हुए 23 मई को उसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा था। इसके बाद से उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। आत्महत्या के कुछ घंटे बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक रिपोर्ट जारी किया गया है। इसमें रिपोर्ट लेने व आने का डेट 23 मई अंकित है, जो कि निगेटिव बताया गया है। लोग इस रिपोर्ट को अस्पताल प्रशासन द्वारा गुमराह करना बता रहे हंै।
डर से किसी ने नहीं उतारी लाश
युवक द्वारा अस्पताल में आत्महत्या करने के बाद जायजा लेने एडिशनल एसपी, तहसीलदार सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे थे, पर किसी ने कोरोना पॉजिटिव होने के डर से उसकी बॉडी को फंदे से उतरवाने की कोशिश नहीं की। वहीं दूसरे दिन मंगलवार को जब उसके परिजन पहुंचे तब उसे परिजन द्वारा लाश को फंदे से उतरवाया गया।
बॉडी का लिया गया सैंपल
मृतक के परिजन ने शव घर ले जाने से इंकार कर दिया है। वे अंबिकापुर में ही प्रशासन की निगरानी में कफन दफन करवाना चाहते हैं। हालांकि अभी शव को फंदे से उतरवा कर पूरी सुरक्षित तरीके से फ्रिजर में रखवा दिया गया है। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन के निर्देश पर पुन: कोरोना जांच के लिए सैंंपल लिए जाने की बात कही गई है।
विधायक को भी गुमराह करने की कोशिश
सूचना पर लुण्ड्रा विधायक प्रीतम राम अस्पताल पहुंचे और प्रबंधन से चर्चा की। अस्पताल प्रबंधन ने विधायक को भी गुमराह करते हुए कहा कि तहसीलदार के आने के बाद शव का पीएम करवा दिया जाएगा।