बाहर से आने वाले छात्र-छात्राओं को होम आइसोलेशन में भेजने की बजाय अस्पताल में रखना बेहतर होगा। इस संबंध में कलक्टर से भी बात की जाएगी। कोटा से बच्चों को वापस लाना एक भावनात्मक निर्णय है।
कोविड-19
(Covid-19) के संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लॉकडाउन के बाद की तैयारियों पर पत्रकारों से ऑनलाइन चर्चा की। उन्होंने कहा कि अब कोरोना वायरस साइलेंट कैरियर की तरह काम कर रहा है। लॉकडाउन में घरों के अंदर रहकर इससे बचा जा सकता है। कोरोना वायरस की चेन को तोडऩे में यह कारगर उपाय है।
बाहर से आने वाले छात्रों व मजदूरों के संबंध में उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ से बाहर लगभग ६० हजार मजदूर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही 2000 बच्चे कोटा राजस्थान से आने वाले हैं। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोई भी अभिभावक जब बच्चों को देखेगा तो वह उसके सम्पर्क में आएगा और उसे हग भी करेगा।
इससे यह कोरोना संक्रमण कैरियर का काम करेगा। मंै अभिभावकों से अपील करूगां कि वे बच्चों को अस्पताल में आइसोलेशन में रखें। यह एक भावनात्मक निर्णय है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह बड़ी समस्या भी हो सकती है।
छत्तीसगढ़ के 60 हजार मजदूर काम कर रहे हैं, उन्हें लाने के लिए तीन गुना अधिक व्यवस्था करनी होगी, लेकिन उनकी देखरेख कर पाना सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि एक साथ इतने अधिक लोग प्रदेश में आ जाएंगे तो उनपर नजर रख पाना भी संभव नहीं है।
रैपिड एक्शन किट पर प्रदेश ने नहीं उठाया सवाल
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि जो निविदा जारी की गई थी, उसके तहत केंद्र सरकार ने 4800 रैपिड एक्शन किट दी थी। उसपर किसी प्रकार का सवाल नहीं खड़ा किया गया है। जो हमे प्राप्त हुए वे सहीं है। उसी बैच नम्बर की किट अब केंद्र सरकार द्वारा मंगाई जा रही है।
एक औसत मानकर किया जा रहा है जांच
टीएस सिंहदेव ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर एक औसत सैम्पल लेकर जांच की जा रही है। 380 में से अब तक 100 सैम्पल के रिपोर्ट आने पर उन्होंने कहा कि अगर एक-एक व्यक्ति की जांच की जाएगी तो उसमें काफी समय लग जाएगा।