Custodial suicide: भाजपा की जांच टीम ने लिया लिखित बयान, पूर्व गृहमंत्री बोले- आत्महत्या नहीं हत्या (Not suicide but murder) का है मामला, टीम नेता प्रतिपक्ष को सौंपेगी रिपोर्ट
BJP investigation team
अंबिकापुर. पुलिस कस्टडी से भागकर निजी अस्पताल में फंासी लगाकर आत्महत्या किए जाने के मामले में हर दिन गंभीर सवाल सामने आ रहे हैं। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक द्वारा गठित 3 सदस्यीय टीम ने गुरुवार को जहां मृतक पंकज बेक के परिजन से मुलाकात कर तथ्यों की जांच की। वहीं शुक्रवार को भाजपा की जांच टीम ने केंद्रीय जेल में बंद दूसरे आरोपी से मुलाकात की।
इस दौरान आरोपी इमरान ने टीम के सदस्यों से कहा कि रात 11 बजे तक साइबर सेल के कमरे में पुलिस की पिटाई से पंकज के चीखने-चिल्लाने की आवाज आ रही थी। इमरान के अनुसार पुलिस ने पंकज को बेदम पीटा (Beaten)। वहीं इमरान के अनुसार रात 12 बजे तक साइबर सेल में चोरी के शिकायतकर्ता तनवीर व दानिश भी उपस्थित थे।
पुलिस कस्टडी से भागकर युवक ने लगाई फांसी, पुलिस ने टीआई, 2 एसआई सहित 5 पुलिसकर्मी को किया सस्पेंड गौरतलब है कि चोरी के संदेही सलका-अधिना निवासी पंकज बेक ने 22 जुलाई की देर रात पुलिस हिरासत से भागकर एक निजी अस्पताल के परिसर में फांसी (Suicide to hang) लगाकर जान दे दी थी। मृतक के परिजन ने इस पूरे मामले पर कई गम्भीर आरोप लगाए थे। इस मामले को लेकर विधानसभा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन कर जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट देने को कहा है।
कमेटी गुरुवार से एक्शन में आ गई है। गुरुवार को जांच कमेटी के सदस्यों ने मृतक पंकज बेक के परिजन से उसके घर जाकर मुलाकात की। मृतक के परिजन ने पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को बताया कि पंचनामा उनके सामने पुलिस ने तैयार नहीं किया, जबकि शव को नीचे उतारने के बाद घटनास्थल जो बताया गया, वहीं पंचनामा तैयार किए जाने की जानकारी दी गई। इसके बावजूद बिना कोई चोट के निशान दिखाए सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए गए।
जेल से बाहर निकलने के बाद पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली को संदेहास्पद मानते हुए रामसेवक पैकरा ने कहा कि मृतक पंकज बेक ने आत्महत्या नहीं की है उसकी हत्या हुई है। जांच के बाद पूरी रिपोर्ट नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कोशिक को सौंपने के साथ ही शासन को भी दी जाएगी।
पैंकरा ने बताया कि प्रदेश सरकार के सिर्फ 6 माह के कार्यकाल में 7 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत (Custodial death) हो चुकी है। सरगुजा संभाग में अब तक दो मौतें हुई हैं लेकिन प्रदेश सरकार सभी मामले को लेकर मौन धारण किए हुए है। इस दौरान उनके साथ टीम के सदस्य पूर्व सांसद कमलभान सिंह, अनिल सिंह मेजर व पूर्व महापौर प्रबोध मिंज उपस्थित थे।
फिर 9 जुलाई को सुशांत वर्मा को तनवीर सिंह ने फोन करके बताया कि 13 लाख रुपए घर से चोरी हुई है। 10 जुलाई को दानिश और तनवीर दुकान आये और दानिश रफीक ने पंकज से मारपीट की, फिर पुलिस पहुंची और हम दोनों को अंबिकापुर थाने ले गई, दिन भर पूछताछ के बाद रात 11 बजे छोड़ दिया।
21 जुलाई से शुरु हुई थी पिटाई इमरान ने जांच कमेटी के सदस्यों को बताया कि 21 जुलाई को मुझे और पंकज को अपने परिवार वालों का बैंक खाता नम्बर और दस्तावेज लेकर साइबर सेल कार्यालय सुबह 11 बजे बुलाया गया था। दोपहर 1 बजे पुलिस अधिकारियों व तीन-चार आरक्षक दोनों के साथ लगातार मारपीट करते रहे और चोरी का आरोप कबूल करने बोलते रहे।
इस बीच लगभग 1 बजे दोपहर सुशांत वर्मा को भी वहां बुलाया और उसके सामने भी मुझसे मारपीट की। इमरान ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने मेरा व पंकज का पैर बांध दिया, फिर जमकर पिटाई की।
अलग-अलग कमरे में रखकर पीटा इमरान ने बताया कि दोनों को अलग-अलग कमरे में रखकर पुलिस ने पिटाई की। रात लगभग ११ बजे तक साइबर सेल से पंकज की चीखने की आवाज सुनाई दे रही थी। ११ बजे के बाद अचानक उसकी आवाज शांत हो गई। ५ मिनट बाद एसआई प्रियेश जॉन मेरे कमरे में आए और कहा कि लगता है पंकज भाग गया है।
मारपीट होने तक बैठा था शिकायतकर्ता, कम्पाउडर से कराई पट्टी इमरान ने जांच कमेटी को बताया कि जब तक पंकज की पिटाई चलती रही, साइबर सेल में तनवीर बैठा रहा। वह देर रात 12 बजे तक वहीं मौजूद था। रात लगभग 1 बजे मुझे अंडरवियर में ही पुलिस गाड़ी से पंकज का घर दिखाने गांधीनगर ले जाया गया। रात लगभग 3-4 बजे कोतवाली टीआई के कमरे में बुलाया गया, जहां पहले से ही सुशांत वर्मा बैठा हुआ था।
उसके सामने चोरी की बात करते हुए पुलिसकर्मियों ने मेरी व सुशांत की पट्टे से पिटाई की। पुलिस के डर से मैंने चोरी की बात कबूली और पैसा देने को कहा। फिर मुझे लॉकअप में ले गए, सुशांत वर्मा को भी बगल के कमरे में रखा।
रात 3 बजे तेज मेडिकल से कम्पाउडर लाकर पैर के अंगूठे में पट्टी कराई व शाम 4 बजे तक मुझे लॉकअप में रखा गया। इसके बाद शासकीय अस्पताल ले जाया गया, जहां ड्यूटी डॉक्टर ने मुझे केवल देखा, कोई इलाज नहीं किया। इमरान ने कहा कि हमने चोरी नहीं की है।
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