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बिना चढ़ावा लिए ड्रग इंस्पेक्टर न लाइसेंस बनाता है न करता है रिन्यूवल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक से शिकायत

locationअंबिकापुरPublished: Oct 22, 2020 06:49:07 pm

Drug Inspector: दवा विक्रेताओं से लगातार मिल रही शिकायत के बाद सरगुजा औषधि विक्रेता संघ (Surguja chemist and Druggist association) ने शिकायत कर ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ की कार्रवाई की मांग

बिना चढ़ावा लिए ड्रग इंस्पेक्टर न लाइसेंस बनाता है न करता है रिन्यूवल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक से शिकायत

Complaint letter

अंबिकापुर. उच्च पदों पर पहुंचने के बाद कई लोग अवैध कमाई का रास्ता अख्तियार कर लेते हैं। उनके विभाग से संबंधित हर काम के बदले वे मोटी रकम की चाहत रखते हैं, जबकि शासन द्वारा उन्हें उनके काम के बदले वेतन व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। ऐसा ही कुछ अंबिकापुर के ड्रग इंस्पेक्टर (Drug inspector) द्वारा किया जा रहा है।
इसकी शिकायत सरगुजा औषधि विक्रेता संघ ने खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक केडी कुंजाम से की है। उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है।

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सरगुजा औषधि विक्रेता संघ ने शिकायत में बताया है कि सरगुजा में पदस्थ ड्रग इंस्पेक्टर आलोक मौर्या द्वारा स्थानीय दवा विक्रेताओं से नया लाइसेंस, लाइसेंस के नवीनीकरण व औचक निरीक्षण के नाम पर भयादोहन कर रुपए की अवैध वसूली की जाती है। इससे दवा विक्रेताओं में रोष व्याप्त है।
उन्होंने बताया है कि ड्रग इंस्पेक्टर का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 का खुला उल्लंघन है। संगठन के माध्यम से उनसे कई बार चर्चा का प्रयास किया गया लेकिन वे इसके लिए तैयार भी नहीं हैं।
गौरतलब है कि सरगुजा के दवा व्यवसायियों द्वारा आज से 3 साल पहले भी ड्रग इंस्पेक्टरों के खिलाफ अवैध वसूली की शिकायत की गई थी लेकिन मामला बंद लिफाफे में ही धरा रह गया।

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कार्रवाई की मांग
सरगुजा औषधि विक्रेता संघ ने नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन केडी कुंजाम से मामले को संज्ञान में लेकर जांच कर दोषी ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, ताकि यहां के दवा विक्रेता भयमुक्त होकर अपना व्यवसाय कर सकें। शिकायत करने वालों में संघ के अध्यक्ष, सचिव, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी शामिल हैं।

स्वीच ऑफ था मोबाइल
इस संबंध में ड्रग इंस्पेक्टर आलोक मौर्या का पक्ष जानने उनके मोबाइल नंबर 9044417254 पर 3-4 बार कॉल किया गया, लेकिन उनका मोबाइल स्वीच ऑफ था। ऐसे में उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
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