लेकिन बिजली विभाग में काउंटर लगाकर दो वर्ष के दौरान लाखों की संख्या में बल्ब बेचने वाली कंपनी के कर्मचारी व अधिकारी गायब हो गए हैं। अब खराब बल्ब को लेकर बदलने के लिए लोग इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना उजाला की शुरूआत प्रदेश में दो वर्ष पूर्व 13 मार्च 2016 को की गई थी। इस योजना के तहत बिजली की खपत को कम करने के लिए लोगों को कम कीमत पर लोगों को एलईडी बल्ब, ट्यूबलाइट व पंखे दिए जाने थे। इसके लिए बाकायदा बिजली विभाग के पूर्वी व पश्चिम जोन के कार्यालय सहित कलक्टोरेट परिसर में बल्ब बेचने वाली ठेका कम्पनी के कर्मचारियों ने काउंटर भी पूरे वर्ष भर लगाया था।
इसके साथ ही अस्पताल के पास, बैंक के सामने, कलाकेंद्र मैदान के सामने, गांधी स्टेडियम सहित मैनपाट, सीतापुर, उदयपुर, लखनपुर व धौरपुर में काउंटर खोला गया था। शहर में लगभग तीन मुख्य काउंटर व 11 अन्य काउंटर खोले गए थे। यहां बिल भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर बल्ब उपलब्ध कराया जा रहा था।
ठेका कम्पनी ईईएसएल ने पूरे प्रदेश में 1 करोड़ 3 लाख से अधिक एलईडी बल्ब बेचा है। जबकि सरगुजा जिले में 3 लाख 27 हजार बल्ब बेचा गया है। इसी तरह पूरे प्रदेश में 2 लाख 50 हजार ट्यूबलाइट बेची गई है। जबकि सरगुजा जिले में यह संख्या महज 6397 है। वहीं पूरे प्रदेश में दो वर्ष के दौरान महज 37,217 पंखे ही बेचे गए हैं।
सरगुजा जिले में यह संख्या 2550 ही है। उर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड(ईईएसएल) की ही जिम्मेदारी खरीदी व वापसी की थी। लेकिन अब खराब बल्ब, ट्यूबलाइट व पंखे को कंपनी ने बदलना बंद कर दिया और काउंटर यह कहते हुए बंद कर दिया कि स्टॉक नहीं है।
कंपनी के क्षेत्रीय अधिकारी के अनुसार खराब बल्ब सहित अन्य सामान जो उजाला योजना के तहत वितरित किए गए हैं। उनके बदलने हेतु निविदा की जा चुकी है। जल्द ही इसकी भी व्यवस्था की जाएगी।
मात्र दो काउंटर हो रहे हैं संचालित
शहर के अंदर 11 काउंटर खोले गए थे। इसमें से कुछ अस्थायी तौर पर खुले थे। बिजली कार्यालय के काउंटर खुले जरूर हैं। लेकिन यहां भी अब बल्ब नहीं मिल रहा है और कर्मचारी काउंटर से गायब हैं। अब काउंटर से खरीदे गए बल्ब, ट्यूब लाइट व पंखे के खराब होने पर उन्हें गारंटी अवधि में बदलने के लिए लोग भटक रहे हैं।
एक उपभोक्ता रामलाल ने बताया कि वह ६ माह पूर्व जब बिजली बिल भुगतान करने के लिए पहुंचा था, तभी उसने एक 18 वाट का बल्ब खरीदा था। लेकिन खराब होने पर अब उसे बदलने वाला कोई भी नहीं है।
बिल में वसूल रहे थे बल्ब के दाम
उजाला योजना के तहत कई जगह काउंटर लगाकर बल्ब बेचे गए। बिजली कार्यालयों व कलेक्टोरेट सहित अन्य काउंटर पर बल्ब बेचे गए। अब कार्यालयों में बल्ब बेचने वाले से संबंध नहीं होने की बात की जा रही है। शुरूआत में दस रुपए में बल्ब देकर बाकी रुपए बिल में हर माह वसूल किया जा रहा था।
स्थायी काउंटर खोलने की तैयारी
ईईएसएल के अधिकारियों ने बताया कि यह योजना पूरे देश में सराही गई है। कुछ काउंटर अभी बंद हैं। जल्द ही मुख्य डाकघर में स्थायी काउंटर खोले जाने के संबंध में चर्चा हो गई है। इस संबंध में मुख्य पोस्टमास्टर को पत्र भी लिखा गया है। लेकिन सेट का अपडेशन हो रहा है। इसके बाद स्थायी काउंटर खोले जाएंगे।
ये थे दावे
1. एलईडी की बल्ब से बिजली बिल में कमी आएगी।
2.एलईडी इको फ्रेंडली है, फायदा होगा
3. पिछले साल की अपेक्षा 5 रुपए दाम घटाए हमारा कंपनी से कोई लेना-देना नहीं
बिजली विभाग के कर्मचारियों को कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है। यहां सिर्फ उन्हें बैठने की व्यवस्था दी गई थी। काउंटर खुला हुआ है। कर्मचारी कहीं गए होंगे।
एसपी कुमार, ईई
कुछ काउंटर बंद हुए हैं जिन्हें खोला जाएगा।
योजना को शुरू हुए दो वर्ष हो गया है। हमारी कम्पनी बेहतर काम कर रही है। यह पहली योजना है जो पूरे देश में सराही गई है। कुछ काउंटर अभी बंद हो गए हैं। लेकिन जल्द ही खोल दिया जाएगा।
वेदप्रकाश डिंडोरे, क्षेत्रीय अधिकारी(ईईएसएल)