गुढ़ा में तीन साल पूर्व विभाग ने टंकी का निर्माण कर दिया। विभाग ने मात्र एक बार जलापूर्ति कर इतिश्री कर ली। लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। यही स्थिति मगरा क्षेत्र के अन्य गांवों की है। जहां महीने में एक बार जलापूर्ति होती है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में स्थानीय जलस्रातों के पानी से भरे बर्तनों में दिन में ही कीड़े नजर आने लगते है। कस्बेवासियो ने बताया कि दूषित पानी से बीमारियां फैलने की आशंका है।
प्यासे भटकते विद्युत निगमकर्मी विद्युत वितरण निगम कार्यालय में पिछले एक साल से नल कनेक्शन होने के बाद भी कार्यालय में जलापूर्ति नहीं हो रही। कर्मचारियों के साथ-साथ कार्यालय में आने वाले ग्रामीणों को भी प्यास भटकना पड़ता है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि जलदाय विभाग को कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई कार्यवाहीं नहीं हो सकी है।
स्टोरेज पर नहीं ध्यान कस्बे में बीसलपुर योजना से जलापूर्ति नहीं होने के साथ ही पेयजल संकट गहराने लग जाता है। महीने में करीब दस दिन कस्बेवासियो को भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। उसके बाद भी विभाग ने करीब दस साल बीत जाने के बाद भी पम्प स्टेशन पर स्टोरेज नहीं बनवाया।
छात्रों का हाल बेहाल ग्राम गुढ़ा में पेजयल संकट के चलते राजकीय विद्यालय में विद्यार्थियों को परेशानी झेलनी पड़ती है। छात्र घरों से या हैण्डपम्पों से दूषित व खारा पानी लेकर विद्यालय जाते हैं। स्कूल में पानी नहीं होने से पोषाहार के बाद बर्तनों का साफ करने को लेकर भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ है। ग्रामीणों के कई बार जलदाय विभाग व प्रशासन को शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई।