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तमिलनाडु-देहरादून और उत्तराखंड से आई विशेषज्ञों की टीम ने मादा हाथी को किया ट्रैंकुलाइज, फिर पहनाई कॉलर आईडी

locationअंबिकापुरPublished: Oct 27, 2021 10:12:50 pm

Elephant special team: हाथियों का परफेक्ट लोकेशन (Elephants location) ट्रेस करने पहले भी लगाई जा चुकी है सैटेलाइट कॉलर आईडी, 7 हाथियों के गले से गिर चुकी कॉलर आईडी (Caller ID) के कारण वन विभाग को ट्रेस करने में हो रही परेशानी, इस बीच हाथियों ने कई लोगों की ली है जान

special team tranqulized elephant

Elephant special team

अम्बिकापुर. हाथियों के उत्पात से राहत पाने एक बार फिर सरगुजा संभाग में सेटेलाइट कॉलर आईडी के प्रयोग की तैयारी की जा रही है। इसके लिए वाइल्ड लाइफ, तमिलनाडु, व उत्तराखंड व देहरादून की टीम ने ट्रैकिंग शुरू कर दी है।
बुधवार को प्रतापपुर बीट में विचरण कर रह हाथियों के दल में मादा हाथी को ट्रैंकुलाइज कर सेटेलाइट कॉलर आईडी लगाई गई। जबकि इससे पूर्व 24 अक्टूबर को अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर स्थित मोहनपुर के जंगल में काफी मशक्कत के बाद एक दल की हथिनी को सेटेलाइट कॉलर आईडी लगाई गई थी। इसके बाद दूसरे हाथी के दलों को लगाने के लिए टीम द्वारा काफी मशक्कत की जा रही थी।

गौरतलब है कि सरगुजा संभाग में हाथियों के उत्पात रोकने के लिए एक बार फिर सेटेलाइट कॉलर आइडी लगाने का अभियान शुरू कर दिया गया है। पिछले कई दिनों की मशक्कत के बाद विशेषज्ञों द्वारा बुधवार को एक मादा हाथी को ट्रैंकुलाइज कर कॉलर आईडी लगाया गया।

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लेकिन अनुकूल परिस्थिति निर्मित नहीं होने के कारण हाथी को ट्रैंकुलाइज कर पाना मुश्किल था। घने जंगल होने के कारण हाथी स्पष्ट दिखाई नहीं देते थे।

अनुकूल परिस्थिति निर्मित होने पर प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के घने जंगल में विचरण कर रहे दल के एक मादा हाथी को विशेषज्ञ द्वारा ट्रैंकुलाइज किया गया। फिर विशेषज्ञों की टीम द्वारा सेटेलाइट कॉलर आईडी लगाई गई।

अक्टूबर महीने में 2 कॉलर आइडी लगाने का था टारगेट
अधिकारियों के अनुसार अक्टूबर महीने में दो हाथियों में कॉलर आइडी लगाने का टारगेट दिया गया था, जो कि पूर्ण हो चुका है। लेकिन टीम द्वारा महीने के अंत तक एक और हाथी को कॉलर आइडी लगाने का प्रयास किया जाएगा। अगर परिस्थिति अनुकूल रही तो एक और हाथी में कॉलर आइडी लगाई जाएगी, जो बोनस माना जाएगा।

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सात हाथियों के गले से निकल गई है आईडी
वर्तमान समय मे सबसे ज्यादा उत्पात हाथियों ने प्रतापपुर क्षेत्र में मचाया है, यहां हाथी करीब दो साल से डेरा जमाए हुए हैं। इस इलाके में पर्याप्त भोजन और गन्ना होने के कारण हाथी दूसरे तरफ रुख नही कर रहे। ऐसे में वनविभाग इस इलाके में मौजूद 3 हाथियो में कॉलर आईडी लगाने की बात कह रहा है।
वन विभाग का कहना है कि कॉलर आईडी लगने से हाथियों की मॉनिटरिंग ऑनलाइन हो सकेगी और फील्ड वनकर्मियों के साथ साथ बड़े अफसर भी हाथी की मौजूदगी देख सकेंगे।

मगर सवाल ये है कि पहले भी 8 हाथियों में कॉलर आईडी लगाया गया था जिसमे से 7 के गले से कॉलर आईडी निकल गई है। हालांकि हाथियों के गले से गिरे सभी सेटेलाइट कॉलर आईडी मिल गए हैं।

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35 से 40 सदस्यों की टीम
हाथियों में कॉलर आइडी लगाने के लिए वाइल्ड लाइफ के 3, तमिलनाडु से 5 व देहरादुन से 10 व छत्तीसगढ़ की टीम लगी हुई है। कुल 35 से 40 सदस्यों का टीम कॉलर आइडी लगाने के काम कर रही है। अक्टूबर महीने में हाथियों में कॉलर आइडी लगाने के लिए टीम को पिछले ३ सप्ताह से मशक्कत करनी पड़ी है।

इसी दल ने 3 लोगों की ली थी जान
प्रतापपुर बीट में विचरण कर रहे इसी हाथियों के दल ने उदयपुर वन परिक्षेत्र में एक दंपत्ती व बच्चे को कुचल कर मार डाला था। बुधवार को इसी दल के मादा हाथी को सेटेलाइट कॉलर आईडी लगाया गया है। कॉलर आइडी लगने के बाद दल का लोकेशन विभाग को मिलना शुरू हो जाएगा।
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