कैंपस से लेकर बाहर तक धान की बोरियां पड़ी हुई हैं। कुछ धान खरीदी केंद्रों की पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट में भारी अव्यवस्था की स्थिति उजागर हुई है। इसमें एक और जानकारी सामने आई है कि 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाली सरकार अभी पुराने दाम 2070 रुपए पर ही किसानों का धान खरीद रही है।
इसकी वजह धान खरीदी केंद्रों के कंप्यूटर में एनआइसी द्वारा सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हो पाना है। सरगुजा संभाग के चार जिले सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर व कोरिया के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल पंजीकृत किसान 98 हजार 268 हैं, इसमें 54 हजार 19 किसान ही धान बेच पाए हैं।
वहीं कुल खरीदी लगभग 30 लाख 789 क्विंटल हुई है, इसमें से महज 12 लाख 20 हजार क्विंटल धान का ही उठाव हो पाया है। ये स्थिति 9जनवरी तक की है। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चार जिलों में धान किस तरह से जाम पड़ा हुआ है, साथ ही बड़ी संख्या में पंजीकृत किसान अभी धान बेचने का इंतजार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन में कांग्रेस के घोषणा पत्र में किसानों की कर्ज माफी व 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की अहम भूमिका थी। नई सरकार बनते ही धान खरीदी केंद्रों में किसान धान बेचने के लिए उमड़ पड़े, लेकिन उन्हें खरीदी की व्यवस्था को लेकर निराशा ही हाथ लगी है।
पत्रिका की टीम जब धान खरीदी की हकीकत जानने जब करजी धान खरीदी केंद्र व लहपटरा केंद्र में पहुंची तो यहां हर तरफ किसान टोकन लेने के लिए परेशान नजर आए। चारों तरफ धान की बोरियां नजर आईं, उठाव नहीं होने से धान जाम की बड़ी समस्या नजर आई।
लहपटरा धान खरीदी केंद्र में तो कैंपस से बाहर सड़क किनारे तक धान की बोरियां रख दी गई हैं। पूरे कैंपस व बाहर में पैर रखने तक के लिए जगह नहीं बची है। करजी धान खरीदी केंद्र प्रभारी से शेख हिदायतुल्ला सीधी बात
सवाल :- इतनी अव्यवस्था क्यों हैं
जवाब :- क्या करें, धान का उठाव धीमी गति से हो रहा है
सवाल :- धान कहां रख रहे हैं
जवाब :- सबसे बड़ी समस्या यही है, जगह ही नहीं बची है
सवाल :- शेष किसानों की खरीदी कैसे होगी
जवाब :- सारे स्टेग भर चुके हैं, जमीन पर धान रखने से नुकसान होगा
सवाल :- पुराने दर पर खरीदी क्यों हो रही है
जवाब :- सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने से 2070 व 250रुपए में खरीदी हो रही है।
धान खरीदी को लेकर यह है समस्या
1. अब 15 दिन ही समय शेष, अधिकांश पंजीकृत किसान बचे हैं
2. धान उठाव की गति काफी धीमी है
3. खरीदी केंद्रों में जगह ही नहीं, कैंपस से बाहर भी पड़ी हैं बोरियां
4. टोकन पाने के लिए भटक रहे हैं किसान
5. किसानों को धान नहीं बिक पाने का सता रहा है भय
6. जमीन पर धान रखने से होता है नुकसान
1. अब 15 दिन ही समय शेष, अधिकांश पंजीकृत किसान बचे हैं
2. धान उठाव की गति काफी धीमी है
3. खरीदी केंद्रों में जगह ही नहीं, कैंपस से बाहर भी पड़ी हैं बोरियां
4. टोकन पाने के लिए भटक रहे हैं किसान
5. किसानों को धान नहीं बिक पाने का सता रहा है भय
6. जमीन पर धान रखने से होता है नुकसान
टोकन को लेकर ये बड़ी दिक्कत
धान का उठाव नहीं हो पाने की वजह से किसानों को तीन-तीन दिन चक्कर लगाने के बाद भी टोकन भी नहीं मिल पा रहा है। करजी धान खरीदी केंद्र में ग्राम कंठी का एक किसान कांता प्रसाद राजवाड़े भटकते नजर आया, उसने चर्चा के दौरान बताया कि लगातार तीसरे दिन आया हूं, लेकिन टोकन नहीं मिल पा रहा है।
धान का उठाव नहीं हो पाने की वजह से किसानों को तीन-तीन दिन चक्कर लगाने के बाद भी टोकन भी नहीं मिल पा रहा है। करजी धान खरीदी केंद्र में ग्राम कंठी का एक किसान कांता प्रसाद राजवाड़े भटकते नजर आया, उसने चर्चा के दौरान बताया कि लगातार तीसरे दिन आया हूं, लेकिन टोकन नहीं मिल पा रहा है।
ऐसे में धान कैसे बेच पाऊंगा, कोई उचित जवाब व आश्वासन नहीं मिल पा रहा है, यहां नहीं बिक पाया तो मजबूरी में बाहर दुकान या कोचिए को कम दाम में धान बेचना पड़ जाएगा। ऐसी स्थिति इकलौते कांता प्रसाद की नहीं है, अधिकांश केंद्रों में किसान टोकन के लिए भटकते नजर आ रहे हैं।
दरअसल टोकन को लेकर बनाए गए सख्त नियम भी परेशान कर रहे हैं। किसान को टोकन मिलने के बाद वह संबंधित तहसीलदार व एसडीएम के पास जाएगा, अधिकारी द्वारा सत्यापन करने के बाद ही वह धान बेच सकेगा।
सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं, पुराने दर पर ही बिक रहा धान
प्रदेश की नई सरकार द्वारा घोषणा की गई है कि 2500 रुपए में धान खरीदा जाएगा। लेकिन हकीकत ये है कि धान की खरीदी पुराने दर 2070 व 2050 रुपए में ही हो रही है, इसमें 300 रुपए बोनस शामिल है।
प्रदेश की नई सरकार द्वारा घोषणा की गई है कि 2500 रुपए में धान खरीदा जाएगा। लेकिन हकीकत ये है कि धान की खरीदी पुराने दर 2070 व 2050 रुपए में ही हो रही है, इसमें 300 रुपए बोनस शामिल है।
1770 रुपए में पतला धान व 1750 रुपए में मोटा धान खरीदा जा रहा है। दरअसल एनआइसी द्वारा कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं किए जाने से पुराने दर पर ही खरीदी की जा रही है।
बताया जा रहा है कि जो अंतर की राशि है, वह मार्च तक किसानों के खाते में आ जाएगी। हालांकि पुराने दर पर खरीदी से किसान मायूस नजर आ रहे हैं, उन्हें उम्मीद थी कि २५०० रुपए में तत्काल खरीदी होगी और इसी दर से राशि खाते में आएगी, अब मार्च तक इंतजार करना पड़ेगा।
15 दिन का समय बचा, अब कैसे बिकेगा धान
सरकार द्वारा धान खरीदी की अंतिम तिथि ३१ जनवरी निर्धारित की गई है। शनिवार व रविवार को धान खरीदी नहीं होती है और न ही टोकन दिया जाता है। ऐसे में अब १५ दिन का ही समय बचा है, वर्तमान में खरीदी केंद्र धान पूरी तरह से जाम हैं। इसकी वजह से दूसरे किसानों की धान की खरीदी नहीं हो पा रही है।
पत्रिका की टीम ने जब करजी धान में खरीदी की स्थिति की जानकारी ली तो पता चला कि यहां पंजीकृत किसानों की संख्या 735 है, इसमें 9 जनवरी की स्थिति में 212 किसान ही धान बेच पाए हैं, मतलब आधे से भी कम किसान धान बेच सके हैं। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शेष १५ दिन में कितने किसान धान बेच पाएंगे।
वहीं इस संबंध में विपणन अधिकारी, को-ऑपरेटिव बैंक सरगुजा के पीएस परिहार कहना है कि सॉफ्टवेयर का अपडेशन नहीं हुआ है इसलिए वर्तमान में 2050 व 2070 रुपए की दर से धान खरीदी की जा रही है। जो अंतर की राशि है, वह मार्च तक किसानों के खाते में डाल दी जाएगी।
अचानक आवक बढ़ जाने की वजह से धान का उठाव तेजी से नहीं हो पा रहा है। फिर भी विभाग द्वारा खुद व मिलर्स के माध्यम से सभी धान खरीदी केंद्रों से धान का उठाव कराया जा रहा है। इसमें तेजी लाई जाएगी।
आरपी पांडे, डीएमओ, मार्कफेड