सरगुजा जिले की महिलाएं अब मछली पालन कर आत्मनिर्भर बनेंगी और स्वरोजगार से जुड़ेंगी। इसके लिए कवायद भी शुरू कर दी गई है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार से जोडऩे जिला प्रशासन की यह महत्वपूर्ण योजना बताई जा रही है। मछली पालन के लिए जिले के 2000 छोटे-बड़े तालाबों को चिह्नांकित कर मछली पालन किया जा रहा है। इसमें 1 हजार 490 महिलाएं समूह से जुड़कर जबकि 345 महिलाएं व्यक्तिगत रूप से मछली पालन कर रही हैं।
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इसके लिए अलग.अलग समूह की महिलाओं ने कुल 124 लाख का इन्वेस्ट कर मछली बीज तालाबों में डाला है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो करीब 14 से 15 करोड़ की आय का अनुमान है।मछली पालन के लिए अलग-अलग समूह द्वारा जून और जुलाई महीने के बीच मछली पालन के लिए बीज डाला गया है। मार्च से अप्रैल 2022 के बीच ये मछलियां लगभग एक से सवा किलोग्राम की हो जाएंगीं। बाजार में इसकी कीमत 150 प्रति किलो है। इस तरह से लगभग 15 करोड़ रुपए की बंपर कमाई के आसार हैं।
बंगाल से मंगा कर डाले हैं बीज
सरगुजा में वर्षों से मछली पालन हो रहा है, लेकिन इस बार समूह की महिलाएं इसे विशेष तौर से कर रही हैं। सरगुजा फिशरी डिपार्टमेंट किसानों को 15 अगस्त से 30 सितंबर के बीच बीज उपलब्ध करा पाता था।
1 हजार मछली बीज तैयार करने में 40 से 45 हजार खर्च
बताया जा रहा है कि 30 बाई 40 स्क्वायर फीट के डबरी में 1000 बीज डाला जाता है। इसमें 20 प्रतिशत बीज खराब हो जाते हैं। शेष 800 मछली बीज 1 वर्ष में न्यूनतम 1 किलो वजन का हो जाता है। इस तरह 1 साल में किसानों को लगभग सवा से डेढ़ लाख रुपए का प्रॉफिट होता है।
अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट
कलक्टर संजीव कुमार झा इस प्रोजेक्ट को अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि मछली पालन के लिए किसानों को केसीसी से ऋण भी दिया गया है। अब तक किसानों को केवल धान व गेहूं के लिए ही केसीसी दिया जाता था।