scriptवन विभाग ने पंडो जनजाति के 22 परिवारों का बलपूर्वक उजाड़ा घर, बकरा-मुर्गा न खिलाने की सजा | Forest Department: Forest department broken 22 pando s | Patrika News

वन विभाग ने पंडो जनजाति के 22 परिवारों का बलपूर्वक उजाड़ा घर, बकरा-मुर्गा न खिलाने की सजा

locationअंबिकापुरPublished: Sep 25, 2021 07:09:23 pm

Forest Department: 20 साल बाद विभाग की टूटी नींद, पंडो जनजाति (Pando society) के लोगों का आरोप कि हमसे की गई थी बकरा-मुर्गा की मांग, पहले भी बकरा-मुर्गा (Goat-cock) खाकर ही बसने दिया था

Pando society

Forest department broken pando’s people house

अंबिकापुर. बलरामपुर रामानुजगंज जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोगों की विभिन्न बीमारियों से मौत का सिलसिला जारी है। इस बीच वन विभाग की एक कार्रवाई ने पंडो जनजाति के लोगों को मुश्किल में डाल दिया है।
वाड्रफनगर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बैकुंठपुर में 24 सितंबर को पंडो जनजाति के 22 कच्चे घरों को वन अमले ने तोड़ दिया। इससे ये बेघर हो चुके हैं और खुले आसमान के नीचे अपने मासूम बच्चे व महिलाओं के साथ रहने को विवश हैं।
वन विभाग ने कब्जे का हवाला देकर बिना किसी नोटिस या सूचना के ही घरों को तोड़ डाला। पीडि़त परिवारों का आरोप है कि बकरा-मुर्गा न खिलाने की सजा हमें दी गई है।

गौरतलब है कि एक और पंडो विशेष पिछड़ी जनजाति को संरक्षण देने के लिए शासन द्वारा हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इन्हे बेघर भी किया जा रहा है। बलरामपुर.रामानुजगंज जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक के ग्रामपंचायत बैकुंठपुर में 24 सितंबर की दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक वन अमले द्वारा 22 पण्डो परिवारों के आशियाने को उजाड़ दिया गया।
Forest department broken pando's people house
IMAGE CREDIT: Broken house
जबकि पंडो जनजाति वर्षों से उक्त जमीन पर घर बना कर रह रहे थे। वन विभाग द्वारा कब्जे का हवाला देकर बलपूर्वक घरों को तोड़ दिया गया। कार्रवाई से पूर्व इन पीडि़तों को कब्जा हटाने कोई नोटिस भी जारी नहीं किया गया था। अचानक की गई इस कार्रवाई से पंडो जनजाति के लोग बेघर हो चुके हैं।
बच्चों व महिलाओं के साथ लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को विवश हैं। पीडि़तों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा मारपीट भी की गई है।

Read MOre: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र के घर में लगाई आग, रिपोर्ट लिखाने पहुंचा तो Police बोली- सुबह आना


पट्टे के लिए किया गया था आवेदन
बताया जा रहा है कि पंडो जनजाति के लोग लगभग 15-20 वर्षों से उक्त भूमि पर काबिज थे। उक्त भूमि के पट्टे के लिए आवेदन किया गया है। अब घर तोड़े जाने से इन विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को रहने की समस्या हो गई है। वन अमले द्वारा डरा-धमका कर इनके सामान को घर से बाहर फेंक दिया गया और कच्चे घरों को ध्वस्त कर दिया गया है।

नहीं कराया था पक्का निर्माण
पंडो जनजाति के लोगों ने कोई पक्का निर्माण नहीं कराया था बल्कि ये प्लास्टिक का तिरपाल व झोपड़ीनुमा घर बना कर जीवन-यापन कर रहे थे। पीडि़तों का आरोप है कि शुरुआती में वन अमले के कर्मचारियों ने मुर्गा और बकरा खाकर उक्त जमीन पर कब्जा कराया था। वन विभाग 20 वर्ष बाद कार्रवाई के लिए पहुंची है।

इन पंडो परिवारों का तोड़ा गया घर
वन अमले द्वारा कुल 22 घर तोड़े गए हैं। इनमें रामवृक्ष पण्डो, जगदेव पण्डो, कलेश्वर पण्डो, सहदेव पण्डो, हरवंश पण्डो, रामसाय पण्डो, रामेश्वर पण्डो, तेजराम पण्डो, प्रेम कुमार पण्डो, रामप्रित पण्डो, सूरजदेव पण्डो, बासदेव पण्डो, रामधनी पण्डो, रघुपति पण्डो, रघुवंशी पण्डो, रामलाल पण्डो, देवशरण पण्डो, मानसिंह पण्डो, जगेश्वर पण्डो, जयनाथ पण्डो, देवनारायण पण्डो, रामजन्म यादव के घर शामिल हैं।

राष्ट्रपति के एक और दत्तक पुत्र की मौत, डॉक्टर ने कहा बाहर ले जाओ, रुपए नहीं थे तो उखड़ गईं सांसें


बकरा व मुर्गा नहीं खिलाने की सजा
पंडो परिवारों का आरोप है कि अब तक वन विभाग के कर्मचारियों को 10 बकरे और मुर्गा खिला चुके हैं। इस बार भी बकरा मांगा गया था नहीं देने पर इस प्रकार की कार्रवाई की गई है।
पण्डो विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों द्वारा बकरी एवं मुर्गी पालन किया जाता है, इनके पास रुपए नहीं होते हंै इस लिए वन विभाग के कर्मचारी बकरा और मुर्गा लेते थे। इस बार मांग पूरी नहीं हुई तो इनके घर तोड़ दिए गए।
भू-बिचौलियों द्वारा कराया जा रहा कब्जा
भू-बिचौलियों द्वारा पंडो जनजाति के लोगों को आगे कर वन भूमि पर कब्जा किया जा रहा है। शिकायत होने पर बेजा-कब्जा हटाने की करवाई की गई। वन कर्मियों द्वारा किसी के साथ मारपीट नहीं की गई है।
लक्ष्मण सिंह, डीएफओ
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो