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वन विभाग का कारनामा : 3 किमी की जगह बनाई मात्र 900 मीटर सड़क, फिर भी ठेकेदार को मिल गए ५२ लाख

locationअंबिकापुरPublished: Feb 15, 2019 09:26:40 pm

आधा भी काम पूरा नहीं किया और ठेकेदार को जारी हो गई पहली किश्त की पूरी राशि

Road construction

Road construction

अंबिकापुर. मैनपाट के 20 ग्राम पंचायत का बारिश के समय जनपद मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। लोगों की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ‘मैनपाट कार्निवाल 2018 के समापन कार्यक्रम में कंडराजा से पेंट तक लगभग ३ किमी सड़क निर्माण की स्वीकृति दी थी। इस काम को वन विभाग के माध्यम से कराया जाना था।
लेकिन महज 900 मीटर का काम कराकर विभाग के अधिकारी निर्माण की पहली किश्त 52 लाख रुपए निकाल लिए। आश्चर्य की बात है कि अब वन विभाग के आला अधिकारी किसी भी प्रकार के सड़क निर्माण से इंकार कर रहे हैं।

मैनपाट के २० ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों की मांग पर मैनपाट कार्निवाल 2018 के समापन कार्यक्रम में पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सड़क निर्माण हेतु 1 करोड़ 34 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की थी। निर्माण के लिए पहली किश्त की राशि ५२ लाख रुपए भी सरकार ने जारी कर दी थी।
चूंकि ग्राम पंचायत कंडराजा से पेंट तक जो सड़क का निर्माण किया जाना था वह वन भूमि थी। इसकी वजह से सड़क निर्माण की जवाबदारी भी वन विभाग को दी गई थी। नियमानुसार यह पूरा काम वन विभाग को खुद कराया जाना था। लेकिन सड़क निर्माण हेतु बिना किसी टेंडर के ही ठेकेदार के माध्यम से अगस्त 2018 में काम शुरू करा दिया गया।
फिर ठेकेदार ने भी महज 900 मीटर सड़क का निर्माण कर पहली किश्त की पूरी राशि 52 लाख रुपए भी जारी करा लिए। अब आगे का काम अटका पड़ा है। लेकिन इस तरफ विभाग के अधिकारियों का ध्यान नहीं है।

दो मद से मिला बजट
कंडराजा से पेंट तक सड़क निर्माण हेतु डीएमएफ मद से भी राशि जारी की गई थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री घोषणा के तहत भी राशि मिलने से यह किसी को पता नहीं है कि इसका काम किस मद से कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत अगर काम कराया जा रहा है तो डीएमएफ की राशि कहां खपाई गई है। इसकी जानकारी देने को कोई अधिकारी तैयार नहीं है।

निर्धारित प्राकलन के अनुसार नहीं हुआ काम
सड़क निर्माण के लिए जो प्राकलन निर्धारित किया गया है। उसके अनुसार अब तक काम नहीं कराया गया है। घाट की कटिंग तो कर दी गई है और सड़क निर्माण हेतु बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए गए हैं। लेकिन जो 900 मीटर सड़क का निर्माण कराया गया है, उसकी न तो उचित मोटाई है और न ही इसमें निर्धारित गिट्टी का उपयोग किया गया है।

ये गांव होते हंै प्रभावित
सड़क नहीं होने की वजह से बारिश के मौसम में पीडिय़ा, हर्राकरा, जामकानी, जरमढोंढ़, कोटछाल, चैनपुर, कुनकुरी, खडगांव, डागबुड़ा, स्लाइनगर, राजापुर, बिलइढोढ़ी, चिरापारा सहित अन्य गांव का सम्पर्क जनपद व तहसील मुख्यालय से कट जाता है। इन गांव में रहने वाले लोगों को सीतापुर काराबेल व वंदना होते हुए किसी भी काम के लिए मैनपाट पहुंचना पड़ता है।
इस मार्ग से आने पर लगभग 80 किमी का अतिरिक्त सफर लोगों को तय करना पड़ता है। जबकि सड़क निर्माण हो जाने से महज 10 किमी का सफर तय करना होगा।


वन विभाग नहीं कराता सड़क निर्माण
सड़क निर्माण का काम वन विभाग नहीं कराता है। विभाग द्वारा सिर्फ आर्किटेक्ट रखा गया है। जिसके द्वारा तकनीकी जानकारी दी जाती है।
प्रियंका पाण्डेय, डीएफओ, सरगुजा वन वृत्त
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