एक मजदूर की पत्नी की मौत हो जाने पर उसके पास अंतिम संस्कार (Funeral) के रुपए नहीं थे। ऐसी स्थिति में शहर की सामाजिक संस्था अनोखी सोच मददगार बनकर सामने आई व मजदूर की पत्नी के शव का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया।
गौरतलब है कि बबलू ठाकुर ग्राम पचपेड़ी का रहने वाला है। वह पिछले कुछ दिनों से अंबिकापुर में किराए के मकान में पत्नी के साथ रहता था और होटल में काम कर जीवन यापन करता था। पिछले तीन महीने से वैश्विक कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन में होटल का काम बंद पड़ा था।
इससे बबलू बेरोजगार हो गया था और आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। इस तकलीफ के बीच बीमारी के कारण उसकी ४५ वर्षीय पत्नी सुषमा की मौत गुरुवार को हो गई। इससे उसके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इस स्थिति में इसके पास पत्नी का अंतिम संस्कार करने के लिए भी रुपए नहीं थे।
जब इसकी जानकारी शहर के सामाजिक संस्था अनोखी सोच को लगी तो संस्था के सदस्यों ने उसकी मदद की। संस्था के सदस्यों ने बबलू ठाकुर के घर जाकर उसकी पूरी मदद की। इस दौरान संस्था के सदस्यों ने आर्थिक मदद के साथ-साथ विधि-विधान भी निभाया। संस्था के सदस्यों ने मृतका के परिवार सदस्य बनकर अपने शव को कांधा दिया व गंगापुर स्थित मुक्तिधाम ले जाकर उसका अंतिम संस्कार (Funeral) कराया।
सामाजिक कार्यों में आगे
संस्था के सदस्यों ने पूरे लॉकडाउन में एक ओर जहां गरीबों व जरूरतमंदों तक भोजन व राशन पहुंचाने का काम किया है। वहीं कुछ दिन पूर्व भी एक असहाय मजदूर महिला के बच्चे की मौत के आद उसका अंतिम संस्कार कराया था।
संस्था के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश साहू के साथ अभय, सतीश, चंद्र प्रताप, श्याम, सुनील, लाल जी, नीरज, बिट्टू, मिथलेश, बनाफर, अजय, विकास देव, संतोष, मुकेश, अनिल, गोपी, सावन, बनाफर, गुड्डू, सत्यम, प्रकाश खैरवार, ओम प्रकाश, संदेश, पप्पू, भोला, अशोक लगातार सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।