जशपुर जिले का रहने वाला रंजीत कुछ वर्ष पहले पारिवारिक विवाद में अपने दादा का ही खून कर दिया था। आजीवन कारावास की सजा के बाद उसे वर्ष 2019 में केंद्रीय जेल अंबिकापुर लाया गया था। तब से वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। पूर्व से वह पेंटिंग सीखने का काम करता था।
पत्थरों पर भी आकर्षक कलाकृति
रंजीत ब्रश व कूचे के माध्यम से पेपर पोस्टर पर ही नहीं, बल्कि चिकने पत्थरों पर भी अपने हाथों से रंग भर कर आकर्षक रूप देता है। जिन हाथों से खून हुआ, आज वही हाथ हुनरमंद बन गए हैं।
रंजीत के हाथ से बने पेंटिंग के लोग हैं कायल
रंजीत के हाथ से बने पेंटिंग के लोग कायल हैं। रंजीत द्वारा तैयार किया किया गया पेंटिंग जेल के ऑडिटोरियम में रखा गया है। जब लोग जेल के भ्रमण करने अधिकारी व अन्य लोग पहुंचते हैं तो पेंटिंग को देखकर उनके कदम रुक जाते हंै और वे जेल प्रशासन से पेंटिंग के बारे में पूछते हैं। जब उन्हें पता चलता है कि यह एक बंदी द्वारा तैयार की गई है। अब तक कई लोगों ने रंजीत के बने पेंटिंग को अपने घरों में सजाए रखा है। इससे जेल प्रशासन की कमई भी होती है।

रंजीत मायूसी के साथ बताता है कि नादानी में मेरे हाथों दादा की खून हो गई थी, इस बात का बहुत दर्द है। नासमझी की सजा मेरे स्वयं के साथ ही मेरी पत्नी और बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। चंद समय का आक्रोश बहुत ही घातक होता है। वही जेल अधीक्षक राजेंद्र गायकवाड अब बताते हैं कि रंजीत के हृदय में काफी परिवर्तन हुआ है। उसे घटना का बहुत पछतावा है।