यहां ब्लैक रॉक एवं आईआरआई प्रजाति के 4 लेयर में करीब 2 हजार 200 मुर्गे एवं मुर्गियां हैं। पोल्ट्री फार्म का मुख्य उद्देश्य हैचिंग के जरिये चूजे विकसित करना है जिसे पशुपालन विभाग द्वारा बैकयार्ड योजना के तहत हितग्राहियों को उपलब्ध कराया जाता है।
पोल्ट्री फार्म के वैक्सीनेटर ने बताया कि एक सामान आकार वाले अंडों को इनक्यूबेटर में 21 दिन तक रखने के बाद चूजे निकलते हैं। यहां चार इनक्यूबेटर है जिनकी प्रत्येक की क्षमता 12 से 15 हजार अंडे हंै। इन्क्यूबेटर से चूजे को निकालकर 3 दिन तक हैचर में संवर्धन के लिए रखा जाता है। हैचर मशीन भी यहां 4 है।
3 दिन हैचिंग के बाद चूजों को वुडर में शिफ्ट कर दिया जाता है। वुडर में चूजों को उपयुक्त तापमान देने के लिए बल्ब लगाए गए हैं। वुडर में चूजों को दाना देने, टीकाकरण के साथ ही साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। वुडर में 28 दिन रखने के बाद चूजों को फील्ड कार्यालयों में भेज दिया जाता है।
कड़कनाथ प्रजाति के कुक्कुट का भी पालन
शासकीय पोल्ट्री फार्म में कड़कनाथ प्रजाति के कुक्कुट का भी पालन किया जाता है। वर्तमान में इस प्रजाति के कुक्कुट उपलब्ध नहीं हंै। ओडिशा से मंगाए गए हंै जिससे शीघ्र ही उपलब्ध हो जाएगा।
बैकयार्ड योजना के तहत चूजे स्व सहायता समूहों को प्राथमिकता के तौर पर दिया जाता है। प्रति समूह को एक यूनिट दिया जाता है जिसमें 45 चूजे होते है। इसके साथ ही 17 से 20 किलोग्राम कुक्कुट आहार भी दिया जाता है।
गोठानों में कुक्कुट पालन केंद्र खोलने के निर्देश
सरगुजा जिले में कुक्कुट पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने में लिए कलक्टर संजीव कुमार झा द्वारा सकालो पोल्ट्री फार्म का अवलोकन कर आवश्यक निर्देश दिए थे। उन्होंने समूह की महिलाओं को कुक्कुट पालन से जोडऩे के लिए मॉडल गोठानों में कुक्कुट पालन केंद्र खोलने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को कुक्कुट आश्रय के लिए ले आउट तैयार करने के निर्देश दिए हंै।