scriptयहां माताओं-बच्चों को इलाज कराने 2 बिल्डिंग के बीच लगानी पड़ती है दौड़, सड़क पार करते समय हो सकता है खतरा | Here mother-child run between 2 buildings for treatment, danger | Patrika News

यहां माताओं-बच्चों को इलाज कराने 2 बिल्डिंग के बीच लगानी पड़ती है दौड़, सड़क पार करते समय हो सकता है खतरा

locationअंबिकापुरPublished: Mar 17, 2019 03:46:02 pm

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नवनिर्मित एमसीएच बिल्डिंग में रजिस्ट्रेशन समेत समस्त जांच व दवाओं के लिए नहीं है व्यवस्था, कई बार लगाना पड़ता है चक्कर

Medical college

Medical college hospital

अंबिकापुर. अगर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शिशु व माताओं का इलाज कराने जाना है तो उन्हें दो भवनों के बीच दौड़ लगानी पड़ती है। सबसे पहले पुराने भवन में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची कटाने के बाद बच्चें व गर्भवती महिलाओं को सड़क पार कर एमसीएच पहुंचना पड़ता है।
इसके बाद उनका इलाज ओपीडी में होता है। इसके बाद भी दौड़ कम नहीं होती है। चिकित्सकों द्वारा लिखी कई दवा व जांच के लिए पुन: पुराने अस्पताल जाना पड़ता है। इस दौरान मरीजों को इलाज कराने के लिए एमसीएच व पुराने अस्पताल की दौड़ लगभग तीन चार-बार लगानी पड़ती है।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल की विभिन्न शाखाएं कई जगहों पर संचालित हो रही है। 100 बिस्तरीय शिशु व माताओं के लिए एमसीएच अस्पताल बनाया गया है। यहां बच्चों व गर्भवती माताओं का इलाज होता है। बच्चों व माताओं को इलाज कराने पहुंचे परिजन को सबसे पहले अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची कटानी पड़ती है।
इसके बाद मरीजों के साथ सड़क पार कर एमसीएच जाना पड़ता है और वहां ओपीडी में चिकित्सकों द्वारा इलाज किया जाता है। इस दौरान चिकित्सकों द्वारा लिखी गईं दवाएं व जांच के लिए पुन: मरीज व उनके परिजन को पुराने भवन में आकर जांच करानी पड़ती है। इस दौरान परिजन मरीजों के साथ अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ती है।

सड़क पार कर जाना पड़ता है एमसीएच
पुराने अस्पताल व एमसीएच के बीच चौराहा बन चुका है। एक तरफ अग्रसेन चौक से बिलासपुर चौक को जोड़ता है वहीं पुराने अस्पताल से एमसीएच को जोड़ता है। इससे अस्पताल के सामने काफी भीड़ रहती है। मरीजों व उनके परिजन को गुजरने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं कई बार दुर्घटना की स्थिति भी निर्मित हो जाती है।

एमसीएच में नहीं है रजिस्ट्रेशन काउंटर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 100 बिस्तरीय शिशु व माताओंंं के लिए एमसीएच अस्पताल बनाया गया है। यहां बच्चों व माताओं का इलाज होता है। एमसीएच में रजिस्ट्रेशन काउंटर की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे मरीज व उनके परिजन को एमसीएच व पुराने अस्पताल की दौड़ तीन से चार बार लगाना पड़ता है।
Hospital gate closed
अस्पताल का मात्र एक गेट ही है खुला
मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाने के लिए तीन गेट बना हुआ है। पहले गेट से अस्पताल के अधिकारी व कर्मचारी अपनी ड्यूटी के लिए पहुंचते हैं। दूसरे गेट से मरीज व अन्य लोगों को जाने के लिए व्यवस्था की गई है व तीसरे गेट से गंभीर मरीजों को एंबुलेंस द्वारा आपातकालीन कक्ष में ले जाया जाता है।
जबकि अस्पताल प्रबंधन द्वारा पहले व तीसरे गेट को बंद करा दिया गया है। केवल दूसरे नंबर का ही गेट खुला रहता है। इससे इस गेट के सामने जाम लगा रहती है। एंबुलेंस को भी आने जाने में भी परेशानी होती है। इसी गेट से होते हुए एमसीएच व सेंट्रल लैब भी जाना पड़ता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो