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शूटर सिद्धार्थ ने आकाश के घर में दोनों व्यवसायी भाइयों को मारी गोली, हत्या की ये वजह आई सामने, पुलिस के साथ ही घूमता रहा आरोपी

locationअंबिकापुरPublished: Apr 12, 2020 07:31:58 pm

Highprofile murder case: पुलिस ने मुख्य आरोपी आकाश के घर के पीछे परछी के गड्ढे से दोनों व्यवसायियों का निकलवाया शव, शहर के ब्रम्हरोड को किया गया सील

शूटर सिद्धार्थ ने आकाश के घर में दोनों व्यवसायी भाइयों को मारी गोली, हत्या की ये वजह आई सामने, पुलिस के साथ ही घूमता रहा आरोपी

Murder and buried body

अंबिकापुर. लॉकडाउन के बीच शहर में डबल मर्डर की सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया गया। सूत्रों के अनुसार 2 युवा व्यवसायी चचेरे भाइयों की हत्या पड़ोसी के कहने पर कथित ड्राइवर ने पिस्टल से गोली मारकर की। हत्या के बाद प्री प्लान के अनुसार घर के पीछे खोदे गए गड्ढे में दोनों की लाश को दफन कर दिया।
वहीं पुलिस को गुमराह करने दोनों आरोपियों ने व्यवसायियों की कार को शहर के एक इलाके में लावारिस हालत में छोड़ दिया। सीसीटीवी से प्राप्त फुटेज के बाद पुलिस दूसरे दिन ही पहले ड्राइवर फिर मुख्य आरोपी तक पहुंची। पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो हत्या की बात स्वीकार कर ली।
शनिवार की देर रात से ही पुलिस के उच्चाधिकारी आरोपियों से पूछताछ करते रहे। रविवार की सुबह एसपी की उपस्थिति में दोनों व्यवसायियों की लाश गड्ढे से खोदकर निकाली गई। वहीं पुलिस ने हथियार उपलब्ध कराने वाले 2 अन्य आरोपी को भी हिरासत में ले लिया है। हत्या ब्याज में रुपए चुकता करने के बाद भी और रुपए व मकान देने के लिए बनाए गए दबाव की वजह से हुई।

गौरतलब है कि अंबिकापुर के ब्रम्हरोड निवासी व्यवसायी सौरभ अग्रवाल 27 वर्ष व सुनील अग्रवाल 40 वर्ष चचेरे भाई थे। दोनों 10 अप्रैल की रात घर से अचानक गायब हो गए, उनका मोबाइल स्वीच ऑफ आने लगा। दूसरे दिन 11 अप्रैल को परिजनों की सूचना पर पुलिस उनकी खोजबीन में जुट गई, इसी बीच देर शाम दोनों की कार शहर के आकाशवाणी चौक के पास लावारिस हालत में मिली।
शूटर सिद्धार्थ ने आकाश के घर में दोनों व्यवसायी भाइयों को मारी गोली, हत्या की ये वजह आई सामने, पुलिस के साथ ही घूमता रहा आरोपी
फिर पुलिस ने उस क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज को चेक किया तो एक कार से निकले युवक की पहचान सिद्धार्थ यादव 25 वर्ष के रूप में हुई। वह फरवरी में ही जेल से निकला था। पुलिस ने जब उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने ब्रम्हरोड निवासी दोनों व्यवसायी के पड़ोसी आकाश गुप्ता का नाम बताया।
जब पुलिस ने आकाश गुप्ता को भी हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो उसने 10 अप्रैल की रात ही हत्या करने की बात स्वीकार कर ली। आकाश के कहने पर उसके कथित ड्राइवर सिद्धार्थ यादव (शूटर) ने दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या करने के बाद दोनों की लाश आकाश के घर के पीछे पूर्व प्लान के अनुसार खोदे गए गड्ढे में गाड़ दिया।

पुलिस ने निकलवाया शव
लॉकडाउन में पुलिस के कड़े पहरे के बीच शहर में हुई इस सनसनीखेज वारदात से पुलिस के भी होश उड़ गए। हत्या की बात सामने आने के बाद पुलिस के आला अधिकारी भी पूरी तरह सक्रिय हो गए। रविवार को आईजी के निर्देश पर एसपी आशुतोष सिंह की उपस्थिति में दोनों व्यवसायियों का शव गड्ढे से निकाला गया। इस दौरान पुलिस ने ब्रम्हरोड को सील कर दिया था। मीडियाकर्मियों को भी घटनास्थल से दूर रखा गया था।

व्यवसायी ने सौरभ के पिता से ब्याज में लिए थे रुपए
पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी आकाश गुप्ता 44 वर्ष ने वर्ष 2016 में मृतक सौरभ अग्रवाल के पिता से ब्याज पर लाखों रुपए उधार लिए थे। आकाश गुप्ता के अनुसार उसने ब्याज सहित 51 लाख रुपए चुका दिए थे। इसके बाद भी सौरभ 10 लाख रुपए और उसका मकान देने का दबाव बना रहा था।
शूटर सिद्धार्थ ने आकाश के घर में दोनों व्यवसायी भाइयों को मारी गोली, हत्या की ये वजह आई सामने, पुलिस के साथ ही घूमता रहा आरोपी
वहीं आकाश ने जमीन भी बेचवाया था जिसके पैसे सौरभ ने नहीं दिए थे। इस बात को लेकर दोनों के बीच विवाद भी होता रहता था। इसी बीच उसने सौरभ के अपहरण की योजना बनाई थी लेकिन बाद में हत्या की प्लानिंग की।

मर्डर की प्री-प्लानिंग
विवाद के बाद भी सौरभ का आकाश के घर आना-जाना था। विवाद की रंजिश व अपनी प्रोपर्टी बचाने आकाश ने सौरभ की हत्या करने की प्री-प्लानिंग कर ली थी। हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने 5 अप्रैल को ही अपने घर के पीछे की परछी में गड्ढा खोद लिया था। इस काम में उसके कथित ड्राइवर सिद्धार्थ यादव ने सहयोग किया।

गोली मारी फिर शव दफनाया
प्री-प्लान के बाद 10 अप्रैल की रात आकाश गुप्ता ने सौरभ को अपने घर बुलाया, इस दौरान सिद्धार्थ यादव भी वहीं मौजूद था। इधर सौरभ अपने चचेरे भाई सुनील अग्रवाल के साथ उसके घर गया। इसके बाद सभी ने शराब पी। इसी बीच सिद्धार्थ ने पहले सुनील अग्रवाल को गोली मार दी, इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
शूटर सिद्धार्थ ने आकाश के घर में दोनों व्यवसायी भाइयों को मारी गोली, हत्या की ये वजह आई सामने, पुलिस के साथ ही घूमता रहा आरोपी
यह देख सौरभ भागने लगा तो आकाश ने गुप्ती (धारदार तलवारनुमा हथियार) से उस पर हमला कर दिया। इसी बीच सिद्धार्थ ने उसे भी गोली मार दी। हत्या के बाद सिद्धार्थ ने दोनों की अंगूठी व चेन निकाल ली।
फिर दोनों ने मिलकर गड्ढे में शव को दफना दिया। हत्या के बाद पुलिस को गुमराह करने सिद्धार्थ सौरभ की इनोवा वाहन लेकर निकला और संगम चौक से बिलासपुर चौक गया। इसके बाद वह आकाशवाणी चौक पर पहुंचकर दोनेां की मोबाइल व घड़ी उसी में छोडक़र फरार हो गया।

तमंचा उपलब्ध कराने वाले 2 अन्य भी हिरासत में
जिस तमंचे से दोनों चचेरे भाइयों को गोली मारी गई थी, उसकी व्यवस्था करने आकाश ने सिद्धार्थ को 90 हजार रुपए दिए थे। सिद्धार्थ ने उदयपुर निवासी रमेश अग्रवाल से संपर्क किया तो रमेश अग्रवाल ने बतौली थाना क्षेत्र के बरगीडीह निवासी शिव पटेल के पास उसे भेजा। यहां शिव पटेल ने उसे तमंचा उपलब्ध कराया। पुलिस ने रमेश अग्रवाल व शिव पटेल को भी हिरासत में ले लिया है।

पुलिस के साथ ही घूमता रहा आरोपी आकाश
गौरतलब है कि दोनों व्यवसायियों के गायब होने के बाद से पुलिस जब उनकी खोजबीन करने लगी तो आकाश पुलिसकर्मियों के साथ ही रहा। वह पुलिसकर्मियों को कभी यहां तो कभी वहां ले जाता रहा। इस बीच जब सीसीटीवी में सिद्धार्थ यादव का चेहरा आया तो व्यवसायी के परिजनों ने बताया कि यह तो आकाश का आदमी है। इसके बाद पुलिस ने आकाश को हिरासत में लिया। बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ यादव फरवरी माह में ही जेल से छूटा था।

मीडियाकर्मियों से पुलिस ने बनाए रखी दूरी
डबल मर्डर के बाद पुलिस के आला अधिकारियों के पास मीडियाकर्मियों ने फोन करना शुरु किया। इस पर रविवार की सुबह 6.45 बजे एएसपी ओम चंदेल ने पुलिस व मीडिया नाम से बने एक गु्रप में लिखा कि ‘ कार्रवाई के बाद पूरी जानकारी दी जाएगी, कृपया फोन न करें।’ पुलिस द्वारा पूरी कार्रवाई से मीडियाकर्मियों को दूर रखा गया। पूरा पुलिस अमला जानकारी देने से बचता रहा। अंत में उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की औपचारिकता पूरी की।

आरोपियों का चेहरा नहीं लाया सामने
प्रेस कांफ्रेंस में भी पुलिस ने मुख्य आरोपी आकाश सहित अन्य आरोपियों का चेहरा नहीं दिखाया। इसके पीछे पुलिस की मंशा क्या है, यह पता नहीं चल सका है। अक्सर देखने में आया है कि पुलिस छोटी-मोटी कार्रवाइयों में भी वाहवाही लूटने मीडियाकर्मियों को बुलाकर आरोपियों के साथ फोटो खिंचाती है लेकिन इतने बड़े अपराध को अंजाम देने वालों का चेहरा भी सामने नहीं लाया गया।

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