बताया जा रहा है कि ये सारा काम तहसलीदार, वन विभाग की मिली भगत से हुआ है। सरगुजा जिले के लुंड्रा ब्लॉक अंतर्गत डडग़ांव ग्राम है। इस गांव में नन्दोला मंदिर के पास कई एकड़ शासकीय जमीन में युकेलिप्टस और आर्केसिया के पेड़ लगाए गए थे। लकड़ी तस्करों की नजर इन पेड़ों पर बहुत पहले से थी।
तस्करों पर नहीं होती है कार्रवाई
नियम विरूद्ध सैकड़ों पेड़ों की कटाई होने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। हालांकि लकड़ी तस्करों द्वारा शासकीय जमीन में लगे पेड़ों को काटने का ये पहला मामला नहीं है। इसके बावजूद जिम्मेदार इन पर कार्रवाई करने की बजाय मौन हैं। कार्रवाई नहीं होने से तस्करों का मनोबल बढ़ा हुआ है।
मशीन से काट दिए जा रहे सैकड़ों पेड़
तस्कर पेड़ कटाई करने के लिए कुल्हाड़ी का उपयोग नहीं कर रहे हैं। तस्कर काफी कम समय में मशीन के माध्यम से सैकड़ों पेड़ों की बली चढ़ा रहे हैं। कुल्हाड़ी से काटने में समय ज्यादा लगता है। इसलिए तस्कर अब मशीन का उपयोग कर दिन व रात में धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई करवा रहे हैं। वहीं जिम्मेदार चैन की नींद सो रहे हैं।
पौधरोपण में बड़ी राशि हो रही खर्च, इधर धड़ल्ले से कटाई
एक तरफ सरकार पौधरोपण में लाखों रुपए खर्च कर रही है। वहीं तस्कर शासकीय भूमि पर लगे पड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। पेड़ों की कटाई कर मिलों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इस अवैध कारोबार में वन विभाग व राजस्व विभाग की पूरी तरह मिलीभगत रहती है।
नायब तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध
लुण्ड्रा नायब तहसीलदार का कहना है कि डडग़ांव के ग्रामीणों ने ग्राम सभा पारित कर पेड़ों की कटाई कर दी है। इसके लिए राजस्व विभाग से अनुमति नहीं ली गई है। जानकारी मिलने पर पेड़ों को जब्त कर कार्रवाई के लिए वन विभाग को सौंप दिया गया है।