scriptलाखों रुपए खर्च कर लाए गए कुमकी हाथियों में 2 निकलीं गर्भवती, अब हर महीने रख-रखाव पर 1.20 लाख खर्च | Kumki Elephants: 2 Kumki elephants delivered, 1.20 lakh expend on both | Patrika News

लाखों रुपए खर्च कर लाए गए कुमकी हाथियों में 2 निकलीं गर्भवती, अब हर महीने रख-रखाव पर 1.20 लाख खर्च

locationअंबिकापुरPublished: Oct 01, 2020 01:59:53 pm

Kumki Elephants: दोनों हथिनी सरगुजा पहुंचने से पहले हो गई थीं गर्भवती, यहां आने के एक साल के भीतर दिया शावकों को जन्म, अगले करीब एक और साल नहीं कर पाएंगी हाथी रेस्क्यू (Resque)

लाखों रुपए खर्च कर लाए गए कुमकी हाथियों में 2 निकलीं गर्भवती, अब हर महीने रख-रखाव पर 1.20 लाख खर्च

Kumki elephant

अंबिकापुर. ‘कुमकी’ हाथियों (Kumki Elephants) के 5 सदस्यीय दल को वर्ष 2018 में सरगुजा लाया गया था। इसमें 3 नर व 2 मादा हाथी थे। इन्हें लाने में विभाग ने लगभग 15 लाख रुपए खर्च किये थे। वन महकमे ने दावा किया था कि इनसे जंगली हाथियों पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
इन्हें अफसर ले तो आए लेकिन इनमें से हथिनियों ने अपनी उपयोगिता अब तक साबित नहीं की है। ये हथिनियां अब विभाग के लिए सिरदर्द बन गईं हैं। कुमकी हाथियों (Kumki elephants) के दल में लाई गईं दोनों हथिनी ने 2019 में शावकों को जन्म दे दिया। दोनों ‘बहरादेव’ हाथी के कॉलरिंग के लिए ले जाई जा रही थीं।
इसी दौरान एक हफ्ते के अंतराल में दोनों ने डिलीवर किया। अब ये अपने शावकों के पालन-पोषण में व्यस्त हैं। दोनों हथिनियों और उनके शावकों को रेस्क्यू सेंटर (Resque center) में रखा गया है।

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गौरतलब है कि अविभाजित सरगुजा में हाथियों के उत्पात को रोकने के लिए वन अमले ने कई प्रोजेक्ट लाए, लेकिन एक-एक कर सभी फेल होते गए। कागजों पर तो ये प्रोजेक्टस काफी अच्छे दिखे लेकिन जमीनी स्तर पर इनका कोई असर नहीं दिखा। सोलर फेंसिंग, रेडियो कॉलर जैसे तमाम प्रोजेक्टस हाथियों के उत्पात के आगे बेअसर नजर आए।
हाथियों का उत्पात जारी है व प्रभावित क्षेत्र के लोग जन-धन का भारी नुकसान आज भी झेल रहे हैं। वन विभाग के अफसरों ने बड़े दावों के साथ कुमकी हाथियों (Kumki elephants) को लाया था, अफसरों का कहना था कि कुमकी के जरिए उत्पाती हाथियों को नियंत्रित किया जाएगा, लेकिन कुमकी हाथी आज तक कुछ काम नहीं आ सके, बल्कि विभाग के लिए इन्हें रखना सिरदर्द वाली स्थिति हो गई है।

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22 महीने का गर्भकाल, चिकित्सक अनजान
इन हाथियों को मैसूर के पास स्थित दुबारे एलिफेंट कैम्प से लाया गया था। सम्भावना जताई जा रही है कि ये हथिनी यहां या महासमुंद में रखे जाने के दौरान गर्भवती हुईं।
चौंकाने वाली बात यह है कि लाए जाने के समय से लेकर बच्चों के जन्म तक चिकित्सकों को इनके गर्भवती होने की भनक तक नहीं लगी। इसमें देहरादून से आए हाथियों के विशेषज्ञ डॉक्टर भी शामिल हैं।

एक हाथी पर 60 हजार खर्च की मजबूरी
वन महकमे के लिए कुमकी हाथी उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं। 2018 में लाए जाने के बाद से अब तक इन्होंने कथित तौर पर सरगुजा में एक कॉलरिंग में मदद की है। इसमें भी मादा हाथी शामिल नहीं थीं।
हालांकि ऐसी भी चर्चा है कि ‘बहरादेव हाथी’ की कॉलरिंग में इनकी कोई भूमिका नहीं थी। अब विभाग हर महीने एक हाथी के पालन-पोषण पर लगभग 60 हजार रुपए खर्च कर रहा है।

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गर्भवती होने की जानकारी नहीं थी
वाइल्ड लाइफ (Wild life) के सीएफ एसएस कंवर ने बताया कि हमें पता ही नहीं चला कि ये दोनों गर्भवती हैं। एक्सपट्र्स भी आए, उन्होंने भी कभी नहीं बताया। महावत जो 24 घण्टे उनके साथ रहते हैं वे भी अनभिज्ञ थे। अभी सभी को रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। इनके महावतों का खर्च भी विभाग को ही उठाना पड़ता है।

हथिनियां 4-5 साल तक नहीं कर सकतीं काम
हाथी विशेषज्ञ (Elephant specialist) अमलेंदु मिश्रा ने बताया कि हथिनियों का गर्भकाल करीब 22 महीने का होता है। इस समयावधि के बाद वह 2 साल बच्चों को देतीं हैं। 4 से 5 साल वे काम नहीं करती हैं। ‘कुमकी’ हथिनियां आगामी 1 से 2 साल रेस्क्यू नहीं कर पाएंगी।
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