पक्षकारों को सस्ता व सुलभ न्यायालय दिलाने के उद्देश्य से शनिवार को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में किया गया। सुबह १० बजे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष व जिला व सत्र न्यायाधीश बीपी वर्मा के आतिथ्य में लोक अदालत की शुरूआत दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
आपसी सहमति के आधार पर प्री-लिटीगेशन के 6015 प्रकरणों के निराकरण के लिए रखे गए थे। इसमें से 1 प्रकरण का निपटान किया गया। प्री-लेटिगेशन के तहत 4 लाख 8 हजार रुपए का आवार्ड पारित किया गया। बैंकर्स में कम रूची की वजह से महज 1 प्रकरण ही निपट सका। इसे लेकर विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अनिता कोशिमा ने बैंक अधिकारियों से चर्चा भी की।
उन्होंने कहा कि जो भी बैंक से नोटिस जारी किए जाते हैं, वैसे सभी प्रकरणों को लोक अदालत में भी रखना चाहिए, ताकि सहमति के आधार पर प्रकरणों का निपटान किया जा सके। विद्युत विभाग द्वारा 353 उपभोक्ताओं को नोटिस जारी किया था लेकिन उसमें से महज 2 प्रकरण ही सहमति के आधार पर निपटाया जा सका।
न्यायालय में लंबित अपराधिक प्रकरण जो सहमति के आधार पर समाप्त किए जा सकते थे, ऐसे 385 प्रकरण पेश किए गए थे। इसमें 37 प्रकरणों को निपटारा किया गया। अपराधिक प्रकरण में 1 लाख रुपए का अवार्ड पारित किया गया। मोटर दुर्घटना प्राधिकरण से संबंधित 63 में से 2 प्रकरण को सुलझाया गया।
2 प्रकरण में 5 लाख 50 हजार का अवार्ड पारित किया गया। चेक बाउंस से संबंधित 97 प्रकरण लोक अदालत में समझौता के लिए रखे गए थे लेकिन इसमें सहमति नहीं बनने के वजह से कोई भी प्रकरण नहीं निपट सके। लोक अदालत में कोर्ट मैनेजर गौरव मिश्रा, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अशोक दुबे व पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे।
सिविल के थे 10 मामले
नेशनल लोक अदालत में सिविल से संबंधित 10 मामले निपटारे के लिए रखे गए थे। इसमें से 2 मामले आपसी सहमति के आधार पर समाप्त किया गए। पानी बिल से संबंधित 211 उपभोक्ताओं को नोटिस जारी किया गया था। इसमें से 42 मामले का निपटान किया गया। 1 लाख 44 हजार 506 रुपए का अवार्ड पारित किया गया।
प्री-लिटीगेशन से संबंधित थे 6787 मामले
नेशनल लोक अदालत में प्री-लिटीगेशन से संबंधित 6787 मामले रखे गए थे। इसमें से 47 मामलों का निपटान किया गया जबकि न्यायालय में लंबित 576 मामलों में से 52 मामलों का निपटारा किया जा सका।