1995 वर्ग किलोमीटर के अभ्यारण्य क्षेत्र को बढ़ाकर 4 हजार करने की क्या जरूरत हैं, क्यों दूर बसे गांवों को शामिल किया जा रहा है, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अब आप लोगों को तय करना है कि अपने गांव को अभ्यारण्य में शामिल करना है कि नहीं, मेरी राय तो यही है कि बिल्कुल हां मत बोलिएगा,
अब कोई हाथी आकर हमर गांव में रही का। अगर जरूरत पड़ी तो मैं भी आप लोगों के साथ धरने व अनशन पर बैठूंगा, कोई पहले वाला राजा नहीं है जिसका अधिकार चलेगा, आज प्रजातंत्र में आप ही राजा हैं, फैसला आपको ही करना हैं। किसी के दबाव में मत आइएगा।
गौरतलब है कि लेमरु एलिफेंट रिजर्व
(Lemru elephant reserve) के लिए इन दिनों प्रशासनिक अमला गांव-गांव घूमकर विशेष ग्राम सभा में ग्रामीणों की सहमति लेने की कोशिश कर रहा है। लेकिन सरगुजा के गांवों में हाथी अभ्यारण्य का जबरदस्त विरोध हो रहा है। ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं।
गांव-गांव में जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों की बैठक हो रही है। ग्रामीण एक स्वर में आवाज बुलंद कर रहे हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए हम लेमरु एलिफेंट रिजर्व के लिए एक इंच जमीन भी नहीं देंगे। ग्रामीणों के इस विरोध से पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव को भी अवगत कराया गया था। अब पंचायत मंत्री खुलकर ग्रामीणों के समर्थन में आ गए हैं।
उन्होंने एक तरह से लेमरु एलिफेंट रिजर्व में राजस्व गांवों को शामिल करने को लेकर मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को ग्राम खम्हरिया पहुंचे पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से लेमरु एलिफेंट रिजर्व में दूर बसे गांवों को शामिल करने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं हूं।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला पंचायत उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता, विधायक प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंह देव, अनुविभागीय अधिकारी प्रदीप साहू, मुख्य कार्यपालन अधिकारी पारस पैकरा, एसडीओपी चंचल तिवारी, तहसीलदार सुभाष शुक्ला, नरेगा कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार मिश्रा, एसडीओ शैलेंद्र भारती,
तकनीकी सहायक रणधीर कश्यप, जिला पंचायत सदस्य राधा रवि, जनपद अध्यक्ष उदयपुर भोजवंती सिंह, जनपद उपाध्यक्ष नीरज मिश्रा, ठाकुर प्रसाद सिंह, डीपी सिंह, बबन रवि, ओमप्रकाश सिंह, उमाकांत सिंह, विनोद सिंह पोर्ते, संतोष गुप्ता सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।
मेरी मानिए तो बिल्कुल हां मत कहिएगा पंचायत मंत्री ने ग्रामीणों से कहा कि 1995 वर्ग किलोमीटर
हाथी अभ्यारण्य क्षेत्र को बढ़ाकर 4 हजार वर्ग किलोमीटर करने की जरूरत ही क्या है, इतना ज्यादा बढ़ाने के पक्ष में मैं बिल्कुल भी नहीं हूं। अब आप लोगों को तय करना है कि हाथी अभ्यारण्य क्षेत्र में शामिल होना है या नहीं, मेरी मानिए तो बिल्कुल हां मत कहिएगा, ग्राम सभा में सोचकर निर्णय करिएगा। आज पुराने राजाओं की तरह अधिकार नहीं है, कुछ भी फैसला लेने का।
प्रजातंत्र है, फैसला आपको करना है कि मेरा गांव अभ्यारण्य क्षेत्र में रहेगा या नहीं, आपका गांव उजड़ेगा नहीं लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं। उदयपुर क्षेत्र के 38 व लखनपुर क्षेत्र के 13-14 गांव को प्रस्तावित किया गया है, जो कहीं से उचित नहीं है। आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है, कुछ समझ में नहीं आ रहा।
राजस्व गांवों (Revenue villages) को हाथी अभ्यारण्य क्षेत्र में शामिल करने की क्या जरूरत है। कोई हाथी आके हमर गांव में रही का। उदयपुर, मोहनपुर, झिरमिटी, कंवलगिरी, केशगवां, लक्ष्मणगढ़ को लेने का क्या जरूरत है। एक-दो गांव समझ में आते हैं, लेकिन दूर बसे गांवों को भी आखिर क्यों लिया जा रहा है।
गांव-गांव में अफसर घूम रहे हैं तो दबाव में आने की जरूरत नहीं है, अगर दबाव बनेगा तो आपके साथ धरने व आमरण अनशन पर भी बैठ जाऊंगा।
मंत्रियों ने समस्याएं भी सुनीं
कार्यक्रम के दौरान पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव व स्कूल शिक्षा मंत्री (School Education Minister) डॉ. प्रेमसाय सिंह ग्रामीणों की सडक़, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा से जुड़ी समस्याओं से भी अवगत हुए। स्कूल शिक्षा मंत्री से कई स्कूल भवनों की मांग की गई।
इस पर डॉ. प्रेमसाय सिंह ने हाई स्कूल उदयपुर भवन निर्माण, ग्राम पंचायत खम्हरिया हाई स्कूल में अतिरिक्त भवनों का निर्माण सहित अन्य कई निर्माण कार्यों की घोषणा की। वहीं मंत्रियों ने दिव्यांगों को ट्राइसाइकिल वितरण, वन भूमि पट्टा, आधार कार्ड नेट बैंकिंग का शुभारंभ व महिला समूहों को लोन का चेक प्रदान किया।