यह बातें शुक्रवार को पत्रिका कार्यालय में जन एजेंडा 2019 कार्यक्रम के दौरान उपस्थित युवा, समाज सेवी, छात्र, वकील, डॉक्टरों ने कही। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरगुजा की समस्या और उसके प्रति जनप्रतिनिधियों के नजरिये से हुआ।
वेद प्रकाश अग्रवाल ने जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारियों, जवाबदेही का सवाले उठाते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि जनता से चुने तो जाते हैं लेकिन समाज के मुद्दे पर काम नहीं करते हैं। सुविधाओं के लिए उन्होंने क्या प्रयास किया, यह दिखाई नहीं देता है। चुनाव के दौरान जनता के समक्ष वादे किये जाते हैं लेकिन वादों को पूरा करने की इच्छा शक्ति नहीं दिखती है। उन्होंने कहा कि जनता की मांग को नेतृत्वकर्ता उठने नहीं देते हैं।
उन्होंने शहर की स्वच्छता के लिए कहा कि यह नियमित प्रक्रिया है, सिर्फ सर्वे के दौरान ही साफ-सफाई नहीं होना चाहिए। शहर का टै्रफिक सिग्लन बंद है। अंबिकापुर को स्मार्ट शहर मत बनाइये। सरगुजा की लोककला, विरासत का विकास होना चाहिए। सरगुजा से गुजरने वाली रेण, हसदो पर परियोजनायें तो बनी लेकिन सरगुजा को कोइ लाभ नहीं मिला।
कृषि महाविद्यालय अजिरमा के विद्यार्थियों ने कहा कि प्रति व्यक्ति दूध की खपत सरगुजा में बहुत कम है। १०० मिलीलीटर भी प्रतिव्यक्ति नहीं है। सरगुजा में कृषि विश्वविद्यालय की आवश्यकता है। स्वस्थ रहने के लिए संतुलित भोजन भी चाहिए। संतुलित भोजन के लिए बागवानी, कृषि, पशुपालने से ही सम्भव है।
सौरभ केडिया ने कहा कि सांसद समस्याओं को लेकर उदासीन रहे हैं। जनता के मुद्दे को नहीं उठाया। प्रदीप शर्मा ने सांसद, विधायक को मत देने के बाद जनता की भी जिम्मेदारी है। जनता जनप्रतिनिधि के समक्ष बोले, दबाव बनाये। जनता संतोष कर घर में बैठ जाएगी तो जनप्रतिनिधि निरंकुश हो जाएंगे।
जनता पूछेगी तो मीडिया भी साथ रहेगी। जनप्रतिनिधि की मंशा होनी चाहिए। समर्पण से ही विकास का दायित्व पूरा होगा। उन्होंने पूर्व सांसद लरंगसाय का उदाहरण देते हुए कहा कि अंबिकापुर का स्टेशन, टे्रन उन्हीं के संघर्ष का परिणाम है।
आलोक तिवारी ने कहा कि गांधी चौक पर अंबिकापुर-बरवाडीह के लिए सर्वे के नाम पर टोकन मनी को लेकर पोस्टर लगा लेकिन रेल मंत्रालय एवं स्थानीय सांसद ने कोई पहल नहीं किया। उन्होंने सिक्किम की स्वच्छता का उदाहरण देते हुए बताया कि स्थानीय लोगों ने गलियों की सफाई, घरों के आगे गमला, कूड़े का निस्तारण स्वयं किया है।
सभी कार्यों के लिए जनप्रतिनिधियों को ही नहीं कहा जा सकता है। नागरिकों को कर्तव्य और दायित्व है। सरगुजा से प्रतिभाओं का पलायन हो रहा है।
शुभम अग्रवाल ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के बहाने जनता को नहीं छोड़ा जा सकता है। जनता को भी स्वयं प्रयास करना होगा। सरकारी योजनाओं को जानना होगा और लाभ के लिए आगे आना होगा।
शुभम अग्रवाल ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के बहाने जनता को नहीं छोड़ा जा सकता है। जनता को भी स्वयं प्रयास करना होगा। सरकारी योजनाओं को जानना होगा और लाभ के लिए आगे आना होगा।
कृष्ण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सांसद का व्यक्तित्व होना चाहिए। जब स्वयं का व्यक्तित्व नहीं होगा तो सांसद तीसरे के इशारे पर काम करने वाला व्यक्ति होगा। राजनीतिक दल प्रत्याशी घोषित करते हैं। जनता मत दे कर चुनाव करती है। राजनीतिक दल के नाम पर जीता हुआ व्यक्ति जनता की अपेक्षा दल के लिए ज्यादा जवाबदेह हो जाता है।
चेहरा नहीं पार्टी उम्मीदवार है। विकास की जिम्मेदारी सांसद की ही है। हवाई अड्डे को लेकर बयानबाजी हुई थी। दो वर्ष गुजर गये लेकिन यातायात प्रभावित नहीं हुआ। अभिषेक शर्मा ने स्वास्थ्य, स्वच्छता की बुनियादी सुविधायें आवश्यक है। नई खनिज नीति बनाना चाहिए। नई खनिज नीति होने से ही स्थानीय लोगों को सुविधायें मिलेंगी। स्थानीय मुद्दे जब संसद में उठाया जाएगा तभी जनहित में काम होगा। पुष्प रंजन साहू, अभय, अमन गौतम, प्रदीप शर्मा, दीपक पटेल, मोनू गुप्ता, प्रकाश चन्द्र साहू आदि उपस्थित रहे।
‘स्वास्थ्य हब के रूप में सरगुजा को करना होगा विकसित’
डॉ अमीन का फिरदौसी ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सरगुजा उभरता हुआ केन्द्र है। 1980 के दौर में बाहर से आ कर डॉक्टरों ने यह कॅरियर बनाया और लोगों का इलाज किया। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज को एक अलग अस्पताल की जरूरत है। मेडिकल की सुविधायें बढऩे से ही स्थानीय लोगों का इलाज हो जाएगा।
रायपुर, बिलासपुर, दिल्ली इलाज के लिए नहीं जाना होगा। यातायाता के साधन होंगे तभी बाहरी विशेषज्ञ आएंगे और सरगुजा स्वास्थ्य हब के रूप में विकासित होगा। वर्तमान में मरीज को अंबिकापुर से बाहर ले जाने में बहुत परेशानीह होती है। उन्होंने कहा कि नागरिकों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों की जिम्मेदारी है कि वह योजनाओं के बारे में लोगों को बतायें।
हितग्राही को जब पता हीं नहीं होगा तो लाभ के लिए जाएगा ही नहीं। जनप्रतिनिधियों ने हमें ‘पिछड़ा हैं और पिछड़ा ही रहेंगे, के नाम पर छोड़ दिया है। उन्होंने गत वर्ष गंडराजा के दुर्गम क्षेत्र में ‘प्रेरणाÓ के अभ्यर्थी के बारे में बताया। जिला खनिज न्यास का सही उपयोग होना चाहिए। सरगुजा का हिस्सा सरगुजा को मिलना चाहिए। जनप्रतिनिधि जनता का हक उद्योगपतियों से दिलवाते नहीं हैं।
‘सरगुजा मांगे मोर…’
1. सरगुजा क्षेत्र जैव विविधताओं वाला है। पड़ोसी शहरों का दबाव सरगुजा पर पड़ रहा है। जमीन की कीमतें बढ़ रही हैं। सरगुजा में नये शहर बसाने की जरूरत है।
2. उद्योग के लिए आवागमन आवश्यक है। रेल, हवाई तथा सड़क तीनों साधन होने पर सरगुजा का कच्चा माल बाहर जाएगा और रोजगार के लिए लोग आएंगे।
3. सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए सांस्कृतिक भवन की आवश्यकता है। लोकसाहित्य, विरासत के साथ ही नृत्य, नाटक प्रतियोगितायें आयोजित होंगी।
4. मेडिकल कॉलेज के लिए अलग से चिकित्सालय होने से ही कॉलेज का सेटअप पूरा होगा। डीएमएफ मद से एम्बुलेंस, ट्रामा सेन्टर, कुशल डॉक्टर चाहिए।
5. रेल विस्तार के साथ टर्मिनल होना चाहिए तभी रेल सेवाओं में वृद्धि सम्भव है। अम्बिकापुर से दिल्ली आदि शहरों के लिए सीधी रेल सेवा की जरूरत है।
6. सरगुजा में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की आवश्यकता है। ६००० से विद्यार्थी किराये पर रहते हैं।
7. इंजीनियरिंग कॉलेज की टेक्निकल विश्वविद्यालय से सम्बद्धता चाहिए। सरगुजा विश्वविद्यालय से सम्बद्धता से तकनीकी शिक्षा प्रभावित है।
8. सरगुजा में उद्योग की स्थापना होनी चाहिए। सरगुजा के युवाओं को सरगुजा में रोजगार के अवसर उपलब्ध होना चाहिए।
जागरूक जनता ही करेगी ‘राइट टू रिकॉल’
कृष्णानन्द तिवारी योजनओं के जमीन पर लाने के लिए जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्तर के जनप्रतिनिधि हैं। उन्हें समाज के लिए आगे आना चाहिए। जनता जब जागरूक होगी तभी ‘राइट टू रिकॉलÓ होगा। जनता को ेअधिकारी है, अपने प्रतिनिधि से सवाल करे और योजनाओं को जाने।
संसाधन हमारा और लाभ दूसरे का
प्रितपाल सिंह अरोरा ने कहा कि जनता को बुनियादी सुविधाओं के लिए मुखर होना होगा। मजदूरों, कामगारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। मजदूरों के रात्रि विश्राम स्थल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योगपति, पूंजीपति सरगुजा के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं लेकिन सरगुजा को लाभ नहीं मिल रहा है।
उद्योगपतियों को कच्चा माल ले जाने के लिए संसाधन तो दिये गये लेकिन बरवाडीह, झारसूगड़ा टै्रक लोगों को नहीं मिला। यूरेनियम मिला और चला भी गया लेकिन स्थानीय जनता को पता भी नहीं चला।