जिले के बतौली के ग्राम के मंगारी गोठान में चंपा समूह की महिलाओं ने 15 दिनों का प्रशिक्षण लेकर बेकरी यूनिट खोला है। इस यूनिट में महिलाएं ब्रेड टोस्ट तरह-तरह की बिस्किट के साथ साथ महुआ से बने कुकीज बनाकर बाजार में सप्लाई कर रहीं हंै।
बेकरी से महिलाओं को हर दिन ढाई से 3 हजार रुपए की आमदनी हो रही है। वहीं महुआ कुकीज की मांग को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा और बेकरी यूनिट खोले जाने की तैयारी की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई भी बेकरी नहीं होने के कारण इसका फायदा समूह की महिलाओं को मिल रहा है।

सबसे पहले महुआ के फूल को सुखाया जाता है। फिर उसे पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर को मैदे और अन्य जरूरी वस्तुओं के साथ मिलाया जाता है। मिक्सर में 30 प्रतिशत महुआ के फल का पाउडर मिलाया जाता है। फिर पकाकर कुकीज बनाई जाती है।
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महुआ के फूल से बने कुकीज काफी फायदेमंद हंै। हालांकि पूर्व में भी ग्रामीण क्षेत्रों में महोबे का हलवा व लड्डू बनाकर उपयोग किया जाता था पर सेहत व पोषण से भरपूर कुकीज पहली बार तैयार की जा रही है। महुआ से बने कुकीज महंगी पड़ती है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में इसका उपयोग काफी कम लोग करते हैं।
वहीं शहरी क्षेत्रों में इसकी मांग काफी बढ़ी हुई है। अंबिकापुर के सी मार्ट के अलावा शहर के अन्य बेकर्स के पास भी महुआ कुकीज उपलब्ध है, जिसकी कीमत 400 रुपए प्रति किलो है।

आयुष विंग के चिकित्सक डॉ. एके सिंह ने बताया कि महुआ पूरी तरह से आयुर्वेद औषधीय गुणों से युक्त है। इसका उपयोग दवा (Medicines) के रूप में पहले भी किया जाता आ रहा है। महुआ से बने कुकीज काफी फायदेमंद हंै। महुआ के औषधीय गुण भी काफी ज्यादा हैं।
महुआ के फूल से जहां शरीर में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) का स्तर बढ़ता है, वहीं दर्द, बुखार, पेट का अल्सर, ब्रोंकाइटिस, दांत का दर्द आदि समस्याओं में महुआ के फूल फायदेमंद माना जाता हैं। घरेलू नुस्खों में इनका इस्तेमाल कई तरीकों से होता है। कुछ लोग महुआ के फूलों की सब्जी बनाकर खाते हैं।