अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि अभी तक सरगुजा संभाग के 38 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों से मिल कर जीवन गाथा का लेखन कर लिया हैं। इनमें सरगुजा जिले से 14, बलरामपुर जिले से 03, सूरजपुर जिले से 02, कोरिया जिले से 11 और जशपुर जिले से 08 हैं।
आजादी की लड़ाई में जनजातियों का योगदान
देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक वीर सपूतों ने आहुतियां दी थ़ी। सरगुजा अंचल के मूल निवासी जनजाति समुदाय के वीर सपूतों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में आहुतियां दी हैं।
जेल में ही शहीद हो गए थे बाबू परमानंद
अजय चतुर्वेदी ने बताया कि मेरे शोध के दौरान सरगुजा अंचल के सूरजपुर जिले के एक गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ब्रह्मचारी बाबू परमानंद की जानकारी मिली। वे 18 वर्ष 02 माह 08 दिन में जेल में ही देश की खातिर शहीद हो गए थे। लेकिन आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी इन्हें शहीद या स्वतंत्र संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल पाया। परिजन आज भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध पत्रों का प्रकाशन
अजय चतुर्वेदी ने सरगुजा अंचल की कला, संस्कृति, पुरातत्व, लोक साहित्य, बोली, लोक गीत, लोक वाद्य और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर शोध कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरगुजा को गौरवान्वित किया है।