उदयपुर

सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बना संग्रहालय

कलात्मक शस्त्रागार में प्रदर्शित विभिन्न प्रकार की ढाल-तलवारें, छुरे, भाले आदि इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हैं

उदयपुरMar 24, 2017 / 08:53 pm

madhulika singh

Museum making center of attraction for tourists at

अठाहरवीं शताब्दी में निर्मित बागोर की हवेली का निर्माण ठाकुर अमरचंद बड़वा ने करवाया था। एक जमाने में उदयपुर रियासत के कुलीन परिवारों की आवास स्थली यह हवेली सन् 1986 में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को हस्तांतरित होने से पूर्व आधी सदी तक गुमनामी में रही। आरंभ से ही इसे एक संग्रहालय के रूप में स्थापित करने की मंशा इतने बरस बाद आज मूर्त रूप में देखी जा सकती है।
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यहां केंद्र के विभाग की गतिविधियां तो संचालित होती ही हैं, साथ ही अलग-अलग कक्षों में प्रतिस्थापित कई पुरातन वस्तुओं के संग्रहालय भी सैलानियों का आकर्षण बने हैं। ऐसे ही हवेली के मुख्य द्वार के पूर्व में बने कलात्मक शस्त्रागार (हाथी का कुमाला) में प्रदर्शित विभिन्न प्रकार की ढाल-तलवारें, छुरे, भाले और फरसे, तीर-कमान और कटारें, बख्तर आदि इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करती हैं। 
इसके अलावा इसमें बागोर ठिकाने से गोद गए तत्कालीन महाराणा सरदार सिंह, शंभूसिंह, स्वरूप सिंह व सज्जनसिंह के पोट्र्रेट भी लगे हुए हैं। कहा जाता है कि अनूठी वास्तु कला के चलते पूर्व में इसी हॉल (कुमाला) में राजे-रजवाड़े अपने हाथी बांधा करते थे। अब उसी जगह बीते जमाने के अस्त्र-शस्त्रों की चांदी के मुलम्मे चढ़ी प्रतिकृतियां सुशोभित हो रही हैं। यहां प्रदर्शित बुरछ, खाण्डा, करणशाही और कदलीवन तलवार, बख्तरफाड़ चोंच, पर्शियन ढाल, दखन हैदराबादी कटार, अंकुश, चमड़े की ढाल, बंदूक टोपीदार और शोरदानी न केवल अपने विचित्र नामों से आगन्तुकों को रोमांचित करते हैं बल्कि पर्यटकों को तत्कालीन दौर और इतिहास की बानगी से भी रूबरू कराते हैं।
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