बलरामपुर जिले के सामरी से सबाग होते घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र चुनचुना-पुंदाग तक सड़क निर्माण के लिए 14 वर्ष पहले सड़क निर्माण की मंजूरी दी गई थी। सबाग तक सड़क निर्माण का काम पूरा हो गया था। बंदरचुआं से चुनचुना-पुंदाग तक सड़क निर्माण का कार्य अभी भी नहीं हो सका है।
माओवादियों का गढ़ है यह इलाका
बलरामपुर जिले का जंगल व पहाड़ों से घिरा चुनचुना-पुंदाग क्षेत्र घोर माओवादी प्रभावित है। माओवादियों के बेस कैंप झारखंड के बूढ़ापहाढ़ से नजदीक होने के कारण नक्सलियों की आमदरफ्त इस क्षेत्र में सालों से होती रही है। इस इलाके में सड़क बन जाने से अर्धसैनिक बलों और प्रशासन की पहुंच आसान हो जाएगी। इसलिए माओवादी इस सड़क को बनने नहीं देना चाहते।
दो महत्वपूर्ण स्थानों पर फोर्स की तैनाती
सामरी से करीब 25 किमी आगे सबाग में भी आउट पोस्ट पुलिस चौकी बनाने के बाद वहां पर भी दो सीआरपीएफ की कम्पनी की तैनाती की गई। यहां से भी 7 किमी आगे बंदरचुआं तक सड़क बन जाने के बाद सीआरपीएफ की एक और कम्पनी को तैनात कर दिया गया है। फोर्स माओवादियों के गढ़ की तरफ आगे बढ़ रही है। यही कारण है कि माओवादी अपना प्रभाव बढ़ाने लगातार सड़क निर्माण में बाधा खड़ी कर रहे है।
सड़क बनने का इंतजार चुनचुना-पुंदाग पंचायत के आधा दर्जन टोले-पारों के हजारों लोग वर्षों से कर रहे हैं, क्योंकि उनके लिए ये सड़क विकास के द्वार खोलते हुए लाइफलाइन साबित होगी।
ठेकेदार नहीं दिखा रहा इच्छाशक्ति, हम सुरक्षा देने को तैयार
ठेकेदार को कहा गया है कि जब फोर्स की अधिक सुरक्षा मिलती है तो निर्माण कार्य में ज्यादा से ज्यादा मशीनों का प्रयोग करे, जिससे सड़क निर्माण तेज गति से पूरा हो सके। लेकिन ठेकेदार (Contractor) काम शुरू करने में अपनी इच्छा शक्ति नहीं दिखा रहा है। हम वहां पहले भी सुरक्षा दे रहे थे और आगे भी इसके लिए तत्पर हैं।
डीके सिंह, डीएसपी, नक्सल ऑपरेशन