scriptनक्सल चुनौती ऐसी कि चुनचुना-पुंदाग में नहीं बन पाई 14 साल पहले स्वीकृत सड़क, फूंक चुके हैं कई वाहन, पढ़ें पूरी खबर… | Naxal challenge: 15 km Road could not be built in Chunchuna-pundag | Patrika News

नक्सल चुनौती ऐसी कि चुनचुना-पुंदाग में नहीं बन पाई 14 साल पहले स्वीकृत सड़क, फूंक चुके हैं कई वाहन, पढ़ें पूरी खबर…

locationअंबिकापुरPublished: May 15, 2021 11:55:08 am

Naxal Challenge: घोर माओवाद प्रभावित (Maoists effected) क्षेत्र चुनचुना-पुंदाग तक सड़क निर्माण में 15 किमी का काम अभी भी बाकी, 14 साल पहले 47 किमी सड़क निर्माण (Road Construction) की मिली थी स्वीकृति

JCB burnt by maoists

Maoists burnt vehicles in Chunchuna pundag

अंबिकापुर/कुसमी. बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के घोर माओवादी प्रभावित क्षेत्र (Naxal effected Area) चुनचुना-पुंदाग (Chunchuna-Pundag) में विकास की डगर आसान नजर नहीं आ रही है। जिले में माओवादियों (Maoists) के अंतिम गढ़ बन चुके इस इलाके में अपनी पहुंच मजबूत बनाने सड़क निर्माण में पग-पग पर भारी चुनौती का सामना प्रशासन व फोर्स को करना पड़ रहा है।
32 किलोमीटर तक का काम किसी तरह पूरा कर लिया गया, लेकिन अभी भी 15 किमी सड़क का निर्माण बाकी है। माओवादियों द्वारा सड़क निर्माण में लगे वाहनों में आगजनी (Vehicle burning), कर्मचारियों के साथ मारपीट की घटनाओं की वजह से कार्य में काफी बाधा आ रही है। माओवादी अच्छी तरह से जानते हैं अगर ये सड़क बन गई तो इस वर्चस्व वाले इलाके से उनके पैर पूरी तरह उखड़ जाएंगे।

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बलरामपुर जिले के सामरी से सबाग होते घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र चुनचुना-पुंदाग तक सड़क निर्माण के लिए 14 वर्ष पहले सड़क निर्माण की मंजूरी दी गई थी। सबाग तक सड़क निर्माण का काम पूरा हो गया था। बंदरचुआं से चुनचुना-पुंदाग तक सड़क निर्माण का कार्य अभी भी नहीं हो सका है।
माओवादियों द्वारा बार-बार सड़क निर्माण में लगी मशीनों एवं वाहनों में आगजनी (Maoists burnt vehicles) की घटना के साथ ठेकेदार के कर्मचारी, सब इंजीनियर के अपहरण तथा आईईडी ब्लास्ट करने के कारण चुनचुना-पुंदाग के ग्रामीणों के विकास के दरवाजे खोलने वाली यह सड़क आज भी अधूरी है।

माओवादियों का गढ़ है यह इलाका
बलरामपुर जिले का जंगल व पहाड़ों से घिरा चुनचुना-पुंदाग क्षेत्र घोर माओवादी प्रभावित है। माओवादियों के बेस कैंप झारखंड के बूढ़ापहाढ़ से नजदीक होने के कारण नक्सलियों की आमदरफ्त इस क्षेत्र में सालों से होती रही है। इस इलाके में सड़क बन जाने से अर्धसैनिक बलों और प्रशासन की पहुंच आसान हो जाएगी। इसलिए माओवादी इस सड़क को बनने नहीं देना चाहते।

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दो महत्वपूर्ण स्थानों पर फोर्स की तैनाती
सामरी से करीब 25 किमी आगे सबाग में भी आउट पोस्ट पुलिस चौकी बनाने के बाद वहां पर भी दो सीआरपीएफ की कम्पनी की तैनाती की गई। यहां से भी 7 किमी आगे बंदरचुआं तक सड़क बन जाने के बाद सीआरपीएफ की एक और कम्पनी को तैनात कर दिया गया है। फोर्स माओवादियों के गढ़ की तरफ आगे बढ़ रही है। यही कारण है कि माओवादी अपना प्रभाव बढ़ाने लगातार सड़क निर्माण में बाधा खड़ी कर रहे है।
Maoists burnt vehicles in Chunchuna pundag
IMAGE CREDIT: Chunchuna-Pundag
हजारों की आबादी के लिए लाइफलाइन
सड़क बनने का इंतजार चुनचुना-पुंदाग पंचायत के आधा दर्जन टोले-पारों के हजारों लोग वर्षों से कर रहे हैं, क्योंकि उनके लिए ये सड़क विकास के द्वार खोलते हुए लाइफलाइन साबित होगी।
सड़क नहीं बन पाने से ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां टीबी सहित कई बीमारियों के चपेट में आने के बाद उचित उपचार के अभाव में लोगों की मौत हो जाती है। इसके साथ ही कई अन्य गम्भीर समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ता है।

ठेकेदार नहीं दिखा रहा इच्छाशक्ति, हम सुरक्षा देने को तैयार
ठेकेदार को कहा गया है कि जब फोर्स की अधिक सुरक्षा मिलती है तो निर्माण कार्य में ज्यादा से ज्यादा मशीनों का प्रयोग करे, जिससे सड़क निर्माण तेज गति से पूरा हो सके। लेकिन ठेकेदार (Contractor) काम शुरू करने में अपनी इच्छा शक्ति नहीं दिखा रहा है। हम वहां पहले भी सुरक्षा दे रहे थे और आगे भी इसके लिए तत्पर हैं।
डीके सिंह, डीएसपी, नक्सल ऑपरेशन
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