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42 दिन तक मौत से संघर्ष के बाद नवजात ने जीत ली जिंदगी की जंग, नम हुईं मां की आंखें, डॉक्टरों ने बच्चे को कहा फाइटर

locationअंबिकापुरPublished: Jan 22, 2022 11:40:00 pm

Newborn: मां के गर्भ (Mother’s womb) में ही बच्चे ने पी लिया था गंदा पानी, सांस नली में पानी फंसने से नाजुक (Serious) हो गई थी स्थिति, शिशु रोग विशेषज्ञों की टीम एवं एसएनसीयू (SNCU) के स्टाफ द्वारा रखी गई पूरी निगरानी, 4 बार वेंटिलेटर पर भी रखा गया

Newborn

Husband-wife with newborn

अंबिकापुर. Newborn: एक नवजात का जन्म के बाद ही जिन्दगी-मौत से संघर्ष हो गया। आखिर कार 42 दिन तक एसएनसीयू में संघर्ष (Struggle) करने के बाद नवजात ने मौत को हरा दिया। चिकित्सकों ने बच्चे को फाइटर (Fighter) करार दिया है। चिकित्सकों का कहना है कि बच्चे ने मां के गर्भ में ही गंदा पानी पी लिया था, जो सांस नली में फंस गया था और संक्रमित हो गया था। जन्म के कुछ ही घंटे बाद उसे एसएनसीयू (SNCU) में भर्ती कराया गया था। शिशु रोग विशेषज्ञों की टीम व एसएनसीयू के स्टाफ द्वारा पूरी निगरानी के साथ उसका उपचार किया जा रहा था। ४२ दिन के अंदर उसे 4 बार वेंटिलेटर पर भी रखा गया। शनिवार को पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद बच्चे को परिजन को सौंप दिया गया। बच्चे को जिंदा पाकर मां की आंखें नम हो गईं।

सूरजपुर जिले के जयनगर थाना क्षेत्र निवासी विशेष ने अपनी पत्नी सविता को प्रसव के लिए ११ दिसंबर २०२१ को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था। १२ दिसंबर को उसने बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के बाद बच्चे का स्वास्थ्य जांच कराया गया तो पता चला कि उसने गर्भ में ही गंदा पानी पी लिया है, जो सांस नली में फंसा हुआ है, इससे उसे सांस लेने में भी परेशानी हो रही है।
नवजात संक्रमित भी हो चुका था। उसे जन्म के तीन घंटे बाद ही एसएनसीयू में रखा गया। इसके बाद उसके जिन्दगी और मौत का संघर्ष शुरू हो गया। कई बार बच्चे को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। वहीं बच्चे को 4 बार वेंटिलेटर पर रखा गया। शिशु रोग विशेष डॉ. जेके रेलवानी ने बताया कि नवजात काफी गंभीर था।
हर सेकेण्ड उसकी जिन्दगी (Life) के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा था। बच्चे को बचाने में डॉ. सुमन, डॉ. हेमन्त, डॉ. टेकाम, डॉ. विश्वकर्मा, डॉ. राजेश भजगावली की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सभी डॉक्टरों (Doctors) ने बच्चे पर विशेष निगरानी रखी थी।

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खुशी से नम हो गईं मां की आंखें
जन्म के बाद जहां मां अपने बच्चे को सीने से लगा कर रखतीं हैं। वहीं यह नवजात मां से दूर एसएनसीयू में जिंदगी और मौत से जूझता रहा। आखिकर कार मौत को मात देकर वह अपने मां के गोद में पहुंच गया। मां ने ४२ दिन बाद अपने कलेजे के टुकड़े को गोद में लिया और उसे सीने से लगाया। इस दौरान मां की आंखे खुशी से नम हो गई। वहीं इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बच्चे को फाइटर (Fighter) बताया।

एक साल तक किया जाएगा फॉलोअप
एसएनसीयू के सीनियर स्टाफ नर्स सिस्टर रजनी सोनी ने बताया कि जन्म के तीन घंटे बाद नवजात बच्चे को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था। बच्चा काफी गंभीर था। उसे विशेष निगरानी में रखा गया था। ४२ दिन बाद शनिवार को डिस्चार्ज किया गया है। बच्चे को अब हर महीने फालोअप के लिए बुलाया जाएगा और उसकी स्वास्थ्य जांच की जाएगी।
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