scriptअब पंडो जनजाति की मासूम बालिका और वृद्ध महिला ने तोड़ा दम, 1 माह में 10 की मौत | Pando society: 2 more death of Pando society, 10 died in 1 month | Patrika News

अब पंडो जनजाति की मासूम बालिका और वृद्ध महिला ने तोड़ा दम, 1 माह में 10 की मौत

locationअंबिकापुरPublished: Sep 16, 2021 09:27:31 pm

Pando Society: बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के दावों के बीच राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों (President adopted sons) की मौत का सिलसिला जारी, जागरुकता के अभाव व आर्थिक तंगी के कारण नहीं करा पाए इलाज (Treatment)

Pando society

Pando family where innocent girl death

अंबिकापुर. प्रशासन के पंडो जनजाति क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के दावों के बावजूद बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में पंडो जनजाति के लोगों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है। बीमार पडऩे के बाद 16 सितंबर को एक 4 वर्षीय बालिका व एक वृद्धा की मौत हो गई।
मौत की वजह झोलाछाप डॉक्टर से इलाज, जागरूकता का अभाव के साथ ही आर्थिक तंगी भी है, क्योंकि रुपए की कमी से परिजन मृतकों का सही उपचार नहीं करा सके। एक माह के भीतर पंडो जनजाति के 10 लोगों की मौत हो चुकी है।

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के रामचंद्रपुर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम गाजर बाजारपारा निवासी 4 वर्षीय बीना पण्डो पिता धनेश्वर पण्डो को 10 दिन पहले बुखार हुआ था। इसके बाद परिजन ने झोलाछाप डॉक्टर से उसका इलाज कराया था। इसके बाद भी बच्ची के पेट में दर्द रहता था, रुपए की कमी के कारण परिजन बाहर इलाज कराने नहीं जा सके।

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इसी बीच 15 सितंबर की सुबह लगभग 9 बजे से बच्ची के पेट में तेज दर्द शुरु हो गया। रातभर दर्द के बाद 16 सितंबर को ग्रामीणों ने संजीवनी 108 को बुलाया। एंबुलेंस से बालिका को सनावल अस्पताल लाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही बालिका की मौत हो गई।
जागरूकता के अभाव व आर्थिक तंगी के कारण परिजन बालिका का सही उपचार नहीं करा सके। बताया जा रहा है कि इस पण्डो गरीब परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल सका है।

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यहां वृद्धा ने घर में ही तोड़ दिया दम
वाड्रफनगर ब्लॉक के ग्राम विरेंद्रनगर निवासी 60 वर्षीय मनकुंवर पण्डो की 15 दिन पहले तबियत खराब हुई थी। उसे लकवे की भी शिकायत थी। परिजन रुपए के अभाव में घर पर ही जड़ी-बूटी से इलाज कर रहे थे। इसके साथ ही झाड़-फूंक भी किया जा रहा था। लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ व वृद्धा ने 16 सितंबर को घर में ही दम तोड़ दिया।
मृतका के बेटे रामप्यारे पंडो की भी 5 सितंबर को मौत हो गई थी। बीमार होने के बाद परिजन उसका भी घर में ही जड़ी-बूटी से इलाज करा रहे थे। एक ही घर में 10 दिन में मां-बेटे की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
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