जनसुनवाई में एक अन्य प्रकरण की सुनवाई करते हुए डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि अनावेदक द्वारा बिना तलाक लिए दूसरा विवाह कर शासकीय नियमों का उल्लंघन किया गया है। इससे अनावेदक की सेवा समाप्ति भी हो सकती है। प्रकरण के अनुसार आवेदिका की पुत्री जो कि 12वीं कक्षा में अध्ययनरत है तथा अनावेदक पटवारी है, इसका लगभग 42 हजार प्रतिमाह वेतन है।
साथ ही अनावेदक दो-तीन बार सस्पेंड हुआ है। इस कारण उसे प्रतिमाह 35 हजार वेतन मिल रहा है। अनावेदक अपनी पुत्री को पढ़ाई-लिखाई के लिए कोई भी राशि नहीं देता है। इस स्तर पर अनावेदक के पुत्री की पढ़ाई-लिखाई के लिए अनावेदक के वेतन से 5 हजार रुपए प्रतिमाह काटकर आवेदिका के खाते में दिए जाने के निर्देश आयोग ने दिए।
आवेदिका के भरण-पोषण का प्रकरण न्यायालय में भी विचाराधीन है। आवेदिका के भरण-पोषण का निराकरण न्यायालय से होगा। सुनवाई के दौरान आयोग के द्वारा यह पाया गया कि अनावेदक शासकीय सेवा में कार्यरत है और अपनी पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की है।
इस विवाह से इससे 2 संतान है जिसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी आवेदिका पर ही है। अनावेदक के शासकीय अभिलेख में आवेदिका पत्नी और पुत्री का नाम दर्ज किया जाए। अनावेदक ने स्वीकार किया कि दोनों बच्चों का नाम शासकीय अभिलेख मे दर्ज है, जबकि आवेदिका का कहना है कि कोई नाम दर्ज नहीं है। इस प्रकरण की जांच के लिए अनावेदक की पुत्री को कलेक्टर से शिकायत करने का अधिकार दिया गया है।
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जमीन हड़पने की शिकायत भी आई सामनेएक अन्य प्रकरण में आवेदिका को शासन से पुनर्वास में पट्टा जमीन प्राप्त है जिस पर अनावेदक द्वारा ताला बंद कर दिया गया है जिसे अनावेदक मात्र 20 हजार रुपए देकर आवेदिका के पट्टे की जमीन को हड़पने की मंशा रखते थे। अनावेदक ने बताया कि जमीन की बिक्रीनामा हेतु आवेदन कलेक्टर कार्यालय में लंबित है।
सुनवाई के दौरान कलेक्टर ने जानकारी दी कि बिना अनुमति जमीन बेचना अमान्य होता है। आयोग की सदस्य नीता विश्वकर्मा इस प्रकरण की निगरानी करेंगी। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह, महिला आयोग की सदस्य नीता विश्वकर्मा, अपर कलेक्टर एएल धु्रव, अधिवक्ता शमीम रहमान, जिला प्रभारी एमएल यादव, महिला बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी बसंत मिंज तथा अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
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मंदिर में पानी पीने की व्यवस्था नहीं होने का भी प्रकरणएक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) पर्व पर मंदिर गई थी जहां प्रसाद ग्रहण करने के उपरान्त पानी पीने गई लेकिन वहां गिलास या डिस्पोजल किसी भी प्रकार की पानी पीने की व्यवस्था नहीं थी। इस पर मेरे द्वारा समाज के पदाधिकारी से पानी पीने की व्यवस्था के संबंध में पूछने पर उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग किया जिससे मेरे मान-सम्मान को ठेस पहुंचा।
इस कारण आयोग में मैंने शिकायत दर्ज कराई। आयोग की सुनवाई में दोनों पक्षों को विस्तार से सुना गया। दोनों पक्षों के मध्य इस प्रकरण के निराकरण के लिए परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास विभाग को दोनों पक्षों को विश्वकर्मा मंदिर में जाकर दर्शन कराकर एक दूसरे के मध्य सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी दी गई। आयोग की सुनवाई में ही इस प्रकरण का निराकरण किया गया।