अब समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह न्यूनतम फीस का निर्धारण किस आधार पर करेगी। फिलहाल फीस विनियामक आयोग द्वारा लोगों से इस संबंध में सुझाव मांगा जा रहा है।
अभी तक निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए छत्तीसगढ़ में किसी प्रकार का कोई कानून नहीं बन सका है। हाल ही में सरकार द्वारा लोगों के दबाव में आकर फीस विनियामक आयोग का गठन कर एक अधिनियम बनाने के लिए अब अभिभावकों से सुझाव लिया जा रहा है, लेकिन इसमें अभी भी निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने की बड़ी चुनौती है।
अभिभावक संघ द्वारा इस संबंध में पूर्व में भी कई बार प्रशासन को लिखित में अपनी आपत्ति दर्ज कराई गई है। इसके बावजूद निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम नहीं लग पाई है। कोरोना संक्रमण के दौरान घोषित लॉक डाउन का फायदा उठाते हुए शिक्षा विभाग को किसी प्रकार का कोई प्रस्ताव न देकर कई बड़े नामी स्कूलों ने अपने फीस में 50 से 70 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। लेकिन इसे वापस लेने के लिए अभी तक कोई पहल प्रशासन अथवा शिक्षा विभाग द्वारा नहीं की गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बिना प्रस्ताव के ही फीस में बढ़ोतरी किए जाने को लेकर एक भी नोटिस किसी भी निजी स्कूल को नहीं दिया गया है, इसी का फायदा उठाते हुए निजी स्कूलों द्वारा इस लॉकडाउन के दौरान भी मनमाने तरीके से फीस में बढ़ोतरी करते हुए सरकारी आदेश को ठेंगा दिखा दिया गया है।
फीस बढऩे के बाद खुली नींद
निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक इतने परेशान हैं कि कई बार इसकी शिकायत भी सक्षम अधिकारी के समक्ष कर चुके हैं। इसकी जानकारी सरकार के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को भी थी। इसके बावजूद सरकार की नींद तब खुली जब निजी स्कूलों द्वारा मनमानी तरीके से फीस बढ़ा दी गई तब सरकार ने इसके लिए आनन-फानन में आयोग का गठन किया है।
अभिभावकों की आर्थिक स्थिति हो रही है खराब
शहर के कई नामी स्कूलों द्वारा इस लॉकडाउन में जिस तरीके से फीस की बढ़ोतरी की गई है। उसके भुगतान में अभिभावकों के पसीने छूट जा रहे हैं। कई अभिभावकों को तो उधारी लेने की नौबत आ गई है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है।
आयोग में स्थानीय स्तर पर कलक्टर होंगे अध्यक्ष
सरकार द्वारा जो आयोग का गठन किया गया है, उसमें स्थानीय स्तर पर कलक्टर प्रशासन की तरफ से शामिल होंगे और उस आयोग के अध्यक्ष होंगे। इसके आधार पर इसमें स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के 10 प्रतिशत अभिभावकों को भी शामिल किया जाएगा, साथ ही अभिभावक संघ के एक सदस्य को भी शामिल किया जाएगा।
अधिनियम बनने के 1 माह बाद देना होगा प्रस्ताव
अधिनियम बनने के बाद निजी स्कूलों को फीस बढ़ोतरी का निर्णय लेना होगा। फीस बढ़ाने के लिए स्थानीय आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद ही जिला आयोग जिसके अध्यक्ष कलक्टर व उनके द्वारा अनुमोदित सदस्य होंगे उनके द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
10 प्रतिशत ही बढ़ा सकते हैं फीस
अभिभावक डब्ल्यूडब्ल्यू डॉट ईडीयूपोर्टल डॉट सीजी डॉट एनआईसी डॉट इन में अपने सुझाव दे सकते हैं। निजी स्कूलों द्वारा इसके बाद ही फीस में बढ़ोतरी की जा सकती है। वर्तमान में महज १० प्रतिशत ही फीस बढ़ाई जा सकती है।
आईपी गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी