दरअसल बौरीडांड़-अम्बिकापुर लाइन के दोहरीकरण 118.81 किमी सर्वेक्षण का बजट 1.4851 करोड़ रुपए है। इसके लिए इस बार बजट में 30 लाख 50 हजार रुपए दिए गए हैं। बीते दो बजट में 55 लाख 40 हजार रुपए दिया जा चुका है, अभी भी सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 62 लाख 61 हजार रु मिलना शेष है।
इसके अलावा किसी भी नए सर्वेक्षण या परियोजना के लिए कुछ भी नहीं मिला । रेल विस्तार से जुड़ी तमाम इच्छाओं और आकांक्षाओं को सरगुजा के जनप्रतिनिधियों के छलावे के कारण दम तोड़ते देखकर जनता में आक्रोश है।
कभी अलग-अलग नई रेल लाइन, कभी नई ट्रेन, कभी लाइन दोहरीकरण कभी सुविधा विस्तार की कवायद जैसी सारी बातें खोखली और सब्जबाग साबित हो रहीं हैं। सरगुजा सांसद व भारत सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह कई बार यह दावा कर चुकी हैं कि सरगुजा से रेल विस्तार उनकी प्राथमिकता है और वे इसके लिए लगातार प्रयासरत हैं।
लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान लगातार तीसरे बजट में भी सरगुजा के लोगों को निराश होना पड़ा है। रेणुका सिंह ने वर्ष 2021 में दो बार क्रमश: तत्कालीन रेलमंत्री पीयूष गोयल व वर्तमान रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने सर्वेक्षण जारी रहने की बात कही थी, लेकिन आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्वेक्षण 2020 में ही पूरे किए जा चुके हैं ।
स्पष्ट है कि सांसद व भारत सरकार में मंत्री रेणुका सिंह को अपने क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित व महत्वकांक्षी मांगो के बारे में पूरी जानकारी तक नहीं है और न ही इनके वर्तमान स्थिति का विवरण उनके पास है। अब शहर में जगह जगह सरगुजा के विकास के मुद्दों पर भी सांसद व अन्य जनप्रतिनिधियों की सक्रियता को लेकर पर भी लोग आम चर्चा कर रहे हैं।
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कोरबा-अम्बिकापुर-रेनुकूट लाइन का सर्वे हो चुका है पूरा कोरबा-अम्बिकापुर-रेनुकूट नई रेल लाईन का सर्वेक्षण पूरा कर 14 जनवरी 2020 को ही रेलवे बोर्ड को भेजा जा चुका है, इसकी लागत 4973.84 करोड़ रुपए है। क्षेत्र की जनता लगातार इस परियोजना (Project) के मंजूरी के लिए मांग कर रही है।
कभी पत्र लिखकर, कभी सोशल मीडिया (Social Media) पर ट्रेंड कराकर जनप्रतिनिधियों को जगाने का प्रयास कराया जाता रहा है। इस परियोजना को मंजूरी दिलाना अब सड़क से संसद तक की लड़ाई जन आंदोलन के माध्यम से ही संभव है।
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अनुपयोगी हो गई है बरवाडीह रेल परियोजना रेल मंत्रालय (Ministry of Railway) ने चिरमिरी-बरवाडीह रेल परियोजना को बीते वर्ष मात्र 1000 रु दिए थे, इस बार इसे बजट में शामिल भी ही नहीं किया गया है। वहीं वर्ष 2017 में राज्यसभा में सांसद सुनील सिंह को लिखित जवाब में स्पष्ट कर दिया था कि परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है।
यह केवल कोल इंडिया व राज्य सरकार द्वारा नि:शुल्क भूमि मिलने के सयुंक्त उपक्रम से संभव होगा, वहीं एसईसीएल ने बीते वर्ष मार्च में लिखित में जवाब दिया है कि वो इस रेल लाइन में किसी भी प्रकार का निवेश नहीं कर सकते, ये आने वर्षों में उनके लिए लाभकारी ही नहीं है। बावजूद इसके बरवाडीह रेल लाइन (Barwadih Rail line) का नाम लेकर कुछ जनप्रतिनिधि क्षेत्र की जनता को गुमराह करते रहे हैं।