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कोरबा-रेणुकूट-अंबिकापुर रेलमार्ग का सर्वेक्षण पूरा, केंद्रीय रेल बोर्ड को भेजी गई अंतिम रिपोर्ट, ये होगा फायदा

locationअंबिकापुरPublished: Jul 10, 2021 09:50:28 pm

Rail Line Survey: मंजूरी के लिए प्रयासों पर टिकी हैं सारी उम्मीदें, रेल लाइन (Rail Line) की अनुमानिक लागत 4 हजार 973 करोड़ रुपए बताई गई है

Central railway

Ambikapur Railway Station

अंबिकापुर. उत्तर छत्तीसगढ़ यानी बिलासपुर व सरगुजा संभाग से रेलमार्ग विस्तार की बहुप्रतीक्षित मांग कोरबा से रेणुकूट बरास्ता अम्बिकापुर नई रेल लाइन विस्तार का सर्वेक्षण कार्य पूरा कर केंद्रीय रेल बोर्ड को अंतिम रिपोर्ट भेज दी गई है।
आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते वर्ष 2020 में 14 जनवरी को कोरबा से रेणुकूट बरास्ता अम्बिकापुर नई रेललाइन 351 किलोमीटर की सर्वेक्षण रिपोर्ट केंद्रीय रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है।

इसकी अनुमानित लागत 4973 करोड़ बताई गई है, इसके अलावा भटगांव से प्रतापपुर, वाड्रफनगर, रेणकूट नई रेललाइन लगभग 106 किलोमीटर की सर्वेक्षण रिपोर्ट 17 अप्रैल 2020 को भेजी जा चुकी है। इसकी अनुमानित लागत 1500 करोड़ रुपए है।

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गौरतलब है कि क्षेत्र के लोगों का प्रशासनिक, राजनीतिक, व्यापारिक, शिक्षा व स्वास्थ्य संबधी ज्यादातर कार्य इन्हीं दोनों दिशाओं के जिलों व नगरों से होते हंै। क्षेत्र की जनता सरगुजा संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर को कोरबा व रेणुकूट रेलमार्ग से जोडऩे की मांग कई सालों से कर रही है।
इस रेलमार्ग से क्षेत्र की जनता एक साथ राज्य व प्रदेश की राजधानी से सीधे जुड़ जाएगी। सरगुजा संभाग व आसपास के क्षेत्रों समेत छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्यों उत्तरप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश के कुल 30 से ज्यादा जिलों की आबादी इस रेलमार्ग (Rail Line) से लाभान्वित होगी, जहां से बड़ी संख्या में लोग बसों, टैक्सीए निजी वाहनों से आना जाना करते हैं।
सरगुजा से सुस्थापित रेल प्रणाली का विस्तार हो जाने से क्षेत्र की बड़ी आबादी का देश के दूरतम स्थानों तक सुविधाजनक अवागमन संभव हो जाएगा। साथ ही उद्योग, व्यापार, पर्यटन, तीर्थ और शिक्षा व स्वास्थ्य तक जरूरी पहुंच संभव हो जाएगी। क्षेत्र में उद्योग और कृषि को अधिक बढ़ावा मिलेगा ।

स्थानीय नेतृत्व के पहल की दरकार
क्षेत्र की जनता बीते कई दशकों से लगातार रेल विस्तार की मांग कर रही है। अब स्थानीय नेताओं के प्रयासों पर सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं जिनमें सरगुजा सांसद व केंद्र में जनजातीय कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह, राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम, छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार में टीएस सिंहदेव, अमरजीत भगत, प्रेमसाय सिंह टेकाम कैबिनेट मंत्री हैं।
कई स्थानीय नेता विभिन्न बोर्ड के अध्यक्ष, विधायक संसदीय सचिव, सभी दलों के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के दिग्गज पदाधिकारी हैं। ऐसे में स्थानीय नेताओं (Leaders) से क्षेत्र की जनता को बहुत ज्यादा उम्मीदें है। लोगों द्वारा कई बार सोशल मीडिया में हैशटैग ‘सरगुजा मांगे रेल विस्तार ट्रेंड करा जनप्रतिनिधियों व नेताओं का ध्यानाकर्षण कराया जाता रहा है ।

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सरगुजा सांसद ने भी लिखा है पत्र
बीते दिनों केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने तत्कालीन रेलमंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इसे स्वीकृत करने की मांग की थी, पूर्व में भी इन्होंने सरगुजा से रेल विस्तार को मंजूरी दिलाने की बाते कहीं थी। राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने भी बीते सत्र में तारांकित प्रश्न के माध्यम से जानकारी मांगी थी।

इस मार्ग का चयन बजट को लगभग आधा कर देगा
इस रेलमार्ग के अंतर्गत अम्बिकापुर से बिश्रामपुर होते हुए भटगांव तक तथा दूसरी ओर सूरजपुर रोड से परसा केते माइंस तक क्रमश: 55 व 60 किलोमीटर तक कोल परिवहन के लिए रेल लाइन परिचालन मौजूद में है तथा कटघोरा से कोरबा लगभग 35 किलोमीटर नई रेललाइन बिछाने का काम चल रहा है।
ऐसे में भटगांव से म्योरपुर रेणुकूट लगभग 106 किलोमीटर व परसा केते से कटघोरा कोरबा लगभग 70 किलोमीटर जोड़ देने से यह संभाग दोनों दिशाओं के मुख्य रेलमार्ग से जुड़ जाएगा।

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इस रेल लाइन विस्तार से यह होगा फायदा
देश व प्रदेश की राजधानी समेत उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, महाराष्ट्र तक सीधे रेलमार्ग द्वारा पहुंच सम्भव होगी। इस रेल लाइन विस्तार से स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रमुख संस्थानों तक सीधे जुड़ाव होगा तथा कुछ ही घंटों की दूरी पर एम्स, बीएचयू, अपोलो, पीजीआई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
दूसरी ओर तकनीकी व स्वास्थ्य शिक्षा, कानून व सिविल सेवा की तैयारी वाले उच्च शिक्षा के केंद्र दिल्ली, बनारस, इलाहबाद, पटना, रायपुर, बिलासपुर, भिलाई समेत उत्तर व दक्षिण भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्रों तक सीधे पहुंच होगी। ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व पर्यटन केन्द्रों से जुड़ाव होगा।
क्षेत्र के लोगों की धार्मिक व प्राचीन नगरी बनारस, अयोध्या, प्रयागराज, विन्ध्याचल, बोधगया, पटना, रतनपुर, पुरी, कटक तक आसान पहुंच हो जाएगी। क्षेत्र में उद्योग, व्यापार, रोजगार का विकास होगा।

प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों से सीधे जुड़ाव होगा जिससे सरगुजा अंचल में भी बड़े उद्योगों की स्थापना हो सकेगी। क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढऩे के साथ साथ आसपास के छोटे शहरों व गांव से पलायन कम होगा। क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा।
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