गौरतलब है कि जिले में कृत्रिम गर्भधारण के लिए सेक्स शॉर्टेड सीमेन का उपयोग किया जा रहा है। यह सीमेन को उत्तराखंड से सरगुजा लाया गया है, जो कि अमेरिकन कंपनी का है। इस सीमेन के जरिए 90 प्रतिशत बछिया ही जन्म लेतीं हैं।
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सीके मिश्रा ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान का उद्देश्य पशुओं के नस्ल में सुधार करना होता है। नस्ल परिवर्तन से पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है और पशुपालक को अधिक लाभ होता है जिससे उनकी आर्थिक स्तर में सुधार होता है। कृत्रिम गर्भाधान का कार्य विभाग पिछले कई सालों से करता रहा है लेकिन नए प्रयोग का परिणाम सरगुजा को दुग्ध क्रांति को ओर आगे बढ़ा रहा है।
बछड़ों की संख्या में आएगी कमी
आजकल खेती में मशीनरी का उपयोग ज्यादा होने से किसान बछड़ा का उपयोग खेती किसानी में बहुत कम करते हैं। किसान इन बछड़ों को खुला छोड़ देते है जो सडक़ में घूमते है और समस्या खड़ी करते हैं। इसके साथ ही इनके कारण सडक़ दुर्घटना भी होती है। चूंकि सेक्स शॉर्टेड सीमेन के उपयोग से नर बच्चा पैदा होने की 90 प्रतिशत तक संभावना होती है जिससे मादा की संख्या बढ़ेगी और खुला छोडऩे की समस्या भी अत्यंत कम हो जाएगी ।
दो पशु चिकित्सक सहित 5 क्षेत्र अधिकारी को कारण बताओ नोटिस
कलक्टर संजीव कुमार झा ने बुधवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आयोजित पशु चिकित्सा विभाग के समीक्षा बैठक में कृत्रिम गर्भाधान एवं सेक्स सॉर्टेड सीमेन की समीक्षा की। उन्होंने प्रत्येक विकासखंड एवं गर्भाधान केन्द्र के लिए निर्धारित गर्भाधान संख्या लक्ष्य प्राप्ति हेतु लगातार पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के साथ ही स्वयं प्रयास करने के निर्देश दिए।
उन्होंने विगत दो माह में लक्ष्य प्राप्ति की कमजोर स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कमजोर निष्पादन वाले चिकित्सक एवं सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों पर बिफर पड़े और दो पशुचिकित्सकों एवं तीन सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कार्य में प्रगति लाने तक वेतन रोकने के निर्देश दिए। इनमें बतौली विकासखंड के पशु चिकित्सक डॉ. विष्णु बेक एवं मैनपाट विकासखंड के डॉ डायमंड साहू, अम्बिकापुर के सखौली के सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी रवि ताम्रकार, मैनपाट विकासखंड के महारानीपुर के सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी अजयमल एक्का, लखनपुर के सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी अरूण गुप्ता शामिल हैं।
कलक्टर ने कहा कि मवेशियों एवं बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान के फायदे पशुपालकों को बताएं तथा गायों में आधुनिक तकनीक से उन्नत नस्ल के बछिया पैदा होने वाले सेक्स सॉर्टेड सीमेन के बारे में भी व्यापक प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा कि मैदानी स्तर पर जब तक ईमानदार प्रयास नहीं होगा तब तक इन दोनों कार्यक्रमों में प्रगति नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि बड़े गांव के 20 से 25 प्रगतिशील पशुपालक या किसानों को पहले कृत्रिम गर्भाधान की जानकारी देकर प्रोत्साहित करें ताकि वे बाकी पशुपालकों को इसके बारे में बता सकें। उन्होंने उप संचालक पशु चिकित्सा को निर्देशित किया कि कृत्रिम गर्भाधान की प्रगति की पाक्षिक या मासिक अंतराल पर समीक्षा करें तथा प्रगति आने में जहां भी कठिनाई आ रही हो उसे दूर करने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि फिल्ड पर जाकर स्वयं देखें कि मैदानी अमला का कार्य संतोषपद्र है या नहीं। बैठक में जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह, उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ. नरेन्द्र सिंह सहित पशु चिकित्सा अधिकारी एवं सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी उपस्थित थे।