ऐसा ही एक मामला उदयपुर के दूरस्थ वनांचल ग्राम भकुरमा के आश्रित मोहल्ला बारोपहाड़ से सामने आया है। जहां एक सर्पदंश (Snake bite) पीडि़त पहाड़ी कोरवा को सडक़ के अभाव में परिजन कंधे पर ढोकर करीब 10-12 किलोमीटर पैदल चल एंबुलेंस तक पहुंचे, लेकिन इस बीच काफी देर हो गई और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
उदयपुर विकासखंड के ग्राम बारोपहाड़ निवासी 22 वर्षीय पहाड़ी कोरवा एतवार साय पिता जगत राम को सोमवार की सुबह लगभग 5 बजे एक जहरीले सांप (Snake bite) ने डस लिया। परिजनों को जानकारी होने पर उन्होंने सबसे पहले जड़ी-बूटी के माध्यम से घर पर ही युवक का उपचार करने की कोशिश की।
फिर तबियत बिगड़ती देख युवक को अस्पताल ले जाने परिजन व अन्य लोग उसे कंधे पर ढोकर पैदल चलना शुरू किए। दोपहर 2 से 4 के बीच ग्राम भकुरमा जंगली रास्ते से होते हुए किसी तरह सडक़ पर पहुंच पाए।
परिजनों ने इस दौरान 112 व 108 दोनों ही वाहनों को सूचित किया था, मौके पर सबसे पहले 112 की टीम पहुंची तथा पीडि़त को लेकर कुछ दूर तक आई, फिर उसे 108 वाहन में शिफ्ट किया गया। यहां से ऑक्सीजन देते हुए पहाड़ी कोरवा युवक को रात 8 से 9 के बीच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर में उपचार हेतु दाखिल कराया गया।
सर्पदंश पीडि़त (Snakebite victim) युवक को डॉक्टरों द्वारा बचाने की लाख कोशिश की गई परंतु सफलता नहीं मिली और युवक ने दम तोड़ दिया। दूसरे दिन मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम करा कर परिजनों को सौंप दिया गया। अगर पीडि़त समय पर अस्पताल पहुंच जाता तो उसकी जान बच जाती।
35 परिवारों के लिए बड़ी मुश्किल
बारोपहाड़ ग्राम पंचायत भकुरमा के वार्ड क्रमांक 4 के अंतर्गत आता है जहां लगभग 35 परिवार निवास करते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 10 से 12 किलोमीटर जंगल की चढ़ाई चढऩी पड़ती है तब जाकर बारो पहाड़ पहुंचा जा सकता है।
उक्त स्थान पर पहुंचने के लिए पैदल मार्ग के अलावा और कोई रास्ता नहीं है यहां न तो साइकिल से जा सकते हैं न गाड़ी से। यह क्षेत्र पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव (Minister TS Singhdeo) के अंबिकापुर विधानसभा अंतर्गत आता है।
दूरस्थ ग्रामों का बुरा हाल
सरगुजा के दूरस्थ ग्रामों में आज भी आवागमन का बुरा हाल है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के दावों के बीच लोगों को सुलभ आवागमन हेतु सडक़ों तक की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी दूरस्थ ग्रामों के लोग तरस रहे हैं।
यदि उक्त गांव तक जाने के लिए सडक़ (Road) बन गई होती, साइकिल या बाइक भी चली जाती तो शायद समय पर उपचार मिलने से पहाड़ी कोरवा युवक की जान बच जाती।