आइएमए द्वारा सोमवार की रात आयोजित कार्यशाला में डॉ. प्रवास चौधरी ने कार्यशाला में किडनी ट्रांसप्लांट को डायलिसिस पर निर्भर रहने वाले मरीज के लिए वरदान बताया। उन्होंने बताया कि विगत चार वर्ष में लगभग 75 मरीज का गुर्दा प्रत्यारोपण उनके द्वारा किया गया है। प्रत्यारोपण के पश्चात् सभी मरीज पूर्णत: स्वस्थ हैं।
वर्तमान में गुर्दा लेने की प्रक्रिया जीवित व्यक्ति से ही संभव है लेकिन ऐसा व्यक्ति जिसकी ब्रेन डेड हो गई है अर्थात मृत घोषित कर दिया गया है, उनका गुर्दा लेने पर भी कोई अन्तर नहीं आएगा।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेष शर्मा ने बताया कि यदि गुर्दे की बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को हृदय की गंभीर बीमारी या हृदय में ब्लॉकेज है तो भी ऐसे मरीज की एन्जियोप्लास्टी करते हुए 3-6 महीने बाद गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा सकता है।
हृदय शल्य सर्जन डॉ. विनोद आहूजा ने हार्ट अटैक के पश्चात् हृदय के फटने से संबधित जानलेवा परेशानी को शल्य क्रिया के माध्यम से ठीक किये जाने के सबंध में जानकारी दी। हृदय प्रत्यारोपण छत्तीसगढ़ में कहीं भी नहीं किया जा रहा है। इसकी आवश्यकता ऐसे मरीजों को होती है जिसमें दवाइयों के उपयोग के बाद भी हार्ट काम करने में सक्षम नहीं रहता व मरीज की मृत्यु कम समय सीमा में निश्चित रहती है। वहीं मृत शरीर से जिसकी ब्रेन डेथ हो चुकी है से हृदय जिन्दा होने पर लिया जा सकता है।
16 फरवरी को अम्बिकापुर में राज्य स्तरीय शल्य चिकित्सकों के सम्मेलन से संबधित जानकारी डॉ. एके जायसवाल द्वारा आइएमए के सदस्यों को दी गई।
ये डॉक्टर रहे उपस्थित
कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पीएम लुका डॉ.एसपी वैश्य, डॉ. एसएस सिंह, डॉ. व्हीके श्रीवास्तव, डॉ. एनके जैन, डॉ.आशा बंसल, डॉ. लता गोयल, डॉ. संजय गोयल, डॉ. आरएन परीडा, डॉ. साकेत जैन, डॉ. अक्षय गोयल, डॉ. अंकिता गोयल, डॉ. रवि, डॉ. पार्थसारथी, डॉ. संजय सिंह,
डॉ. सुषमा सिन्हा, डॉ. विवेक केशरी, डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. पीआर शिवहरे, डॉ. योगेन्द्र अग्रवाल, डॉ. जेके रेलवानी, डॉ. श्रद्धानंद कुजूर, डॉ. केआर टेकाम, डॉ. अभिजीत दीवान, डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता व अन्य चिकित्सक उपस्थित थेे।
ब्रेन डेड होने पर कुछ मिनट से लेकर 8 घंटे तक जिंदा रह सकता है हार्ट
डॉ. विनोद आहूजा ने बताया कि सामान्यत: ब्रेन डेड होने के बाद ह्दय कुछ मिनटों से लेकर 8 घन्टे तक जिन्दा रह सकता है। सबसे ज्यादा ह्दय प्रत्यारोपण चेन्नई में हो रहे हैं। आमतौर पर खर्च 20-25 लाख का आता है।
छत्तीसगढ़ में मृत शरीर से अंगों को लेने संबधित कानूनी जटिलता है। इस पर लुण्ड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम ने शासन स्तर से मृत शरीर से अंगों के प्रत्यारोपण से संबधित जटिलता को दूर करने की बात कही।
पूर्व की कार्यकारिणी का ही फिर चयन
कार्यक्रम में सर्वसम्मति से आइएमए की पुरानी कार्यकारिणी समिति को 2018-19 के लिये पुन: चुन लिया गया। इसमेेंं अध्यक्ष डॉ. डीडी अग्रवाल, सचिव डॉ. अनुपम मिंज, कोषाध्यक्ष डॉ. अभिजीत जैन प्रमुख थे।