अनुवांशिक बीमारी है सिकल सेल
विशेषज्ञों की मानें तो सिकल सेल अनुवांशिक बीमारी है। यानी एक से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती है। सर्वे के अनुसार दस से 12 साल पहले छत्तीसगढ़ में यह बात सामने आई थी कि प्रदेश के कुछ जातियों में यह बीमारी पाई जाती थी, लेकिन आज सिकल सेल के मरीज हर वर्ग जाति के लोग हो रहे हैं।
सिकलसेल के ये हैं लक्षण
यह रोग माता-पिता से बच्चों में जीन के द्वारा होता है। यह संक्रामक नहीं है और व्यक्ति से व्यक्ति इन्फेक्शन के द्वारा नहीं फैलता। हाथ और पैर में दर्दनाक सूजन, एनीमिया से थकान या घबराहट, त्वचा का पीला रंग, पीलिया, शरीर में लम्बे समय से दर्द रहना इस बीमारी के लक्षण हैं।
हाइड्रोक्सी यूरिया बेहद कारगर दवाई
शहरी कार्यक्रम प्रबंधक डॉ अमीन फिरदौसी ने बताया की सिकलसेल के लिए हाइड्रोक्सी यूरिया बेहद कारगर दवाई है जिसका प्रयोग चिकित्सकों की देखरेख में किया जाना चाहिए एवं पूरे विश्व भर में इसका प्रयोग किया जा रहा है। वहीं शहरी स्वास्थ्य केंद्र अंबिकापुर में सिकल सेल यूनिट खोले जाने से मरीजों को इसका लाभ मिल रहा है। लगातार जांच हुआ, दवाई से सुधार भी हो रहा है।
शादी के पूर्व जेनेटिक काउंसिलिंग जरूरी
इस बीमारी का कोई स्थाई उपचार नहीं है। यह एक अनुवांशिक बीमारी है जो माता-पिता से संतानों में पाई जाती है। इस बीमारी से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है कि हम शादी के पूर्व जेनेटिक काउंसिलिंग कराएं तभी शादी की जानी चाहिए। शादी के पूर्व अनिवार्य सिकलिंग जांच होना आवश्यक है। डॉ. अमीन फिरदौसी, शहरी स्वास्थ्य केंद्र अधिकारी अंबिकापुर