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नटवरलाल से कम नहीं था सेंट्रल बैंक का ये पीओ, करतूत जान रह जाएंगे हैरान, नई दिल्ली से गिरफ्तार

locationअंबिकापुरPublished: Aug 10, 2018 09:00:07 pm

सीतापुर में पदस्थ रहने के दौरान कोर बैंकिंग में माइनर फॉल्ट का चल गया था पता, फर्जी खाता बनाकर 92 लाख रुपए किए थे ट्रांसफर

Accused arrested

Accused in police custody

अंबिकापुर. सेंट्रल बैंक सीतापुर के पीओ ने वर्ष 2011 व 1012 में अपनी पदस्थापना के दौरान फर्जी खाता बनाकर धीरे-धीरे 25 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए थे। ये रुपए एफडी से बैंक को होने वाले लाभ के थे। कोर बैंकिंग में माइनर फॉल्ट का पता चलने के बाद वह फायदा उठा रहा था।
इसकी भनक न तो बैंक प्रबंधन को लगी और न ही वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हो पाया था। ट्रांसफर के बाद नासिक की शाखाओं में भी उसने यही काम किया और 67 लाख रुपए गबन कर लिए। इसका पता जब सेंट्रल बैंक के मुख्यालय को हुई तो विभागीय जांच के बाद दोषी पाए जाने पर उन्होंने आरोपी पीओ को बर्खास्त कर दिया था।
इसके बाद से वह पता व मोबाइल नंबर चेंज कर गायब हो गया था। इधर सीतापुर बैंक प्रबंधन को जब मुख्यालय ने बताया तो वर्ष 2016 में बैंक अधिकारी द्वारा उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। सरगुजा एसपी के निर्देश पर पुलिस की एक टीम ने आरोपी को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के ग्राम पोखरिया अतरदाह निवासी विकास आनंद पिता जनार्दन प्रसाद ३५ वर्ष सेंट्रल बैंक सीतापुर में पीओ के पद पर पदस्थ था। बैंक द्वारा ग्राहकों का एफडी कर उन्हें मुनाफा दिया जाता था। मुनाफे का एक हिस्सा बैंक को मिलता था। बैंक को हो रहे मोटे लाभ देखकर पीओ के मन में लालच आ गया।
वर्ष 2011 से 2012 तक पदस्थापना के दौरान उसने मेन्यूअल से ऑनलाइन बैंकिंग के दौरान सॉफ्टवेयर में माइनर फॉल्ट पकड़ लिया। इसके बाद उसने सीतापुर क्षेत्र की निवासी उषामाला कुजूर के नाम से फर्जी खाता खोला और धीरे-धीरे बैंक को होने वाले लाभ के 25 लाख रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद उसका ट्रांसफर नासिक में हो गया।
यहां भी उसकी वही आदत बनी रही। यहां 2013 से 2016 के दौरान उसने कई फर्जी खाते खोलकर 67 लाख रुपए का गबन किया। वार्षिक ऑडिट में गबन की जानकारी सेंट्रल बैंक मुख्यालय नासिक को लगी तो उन्होंने विकास आनंद के खिलाफ विभागीय जांच बैठायी। इसमें मामला सही पाए जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया।
इसके बाद से वह पता व मोबाइल नंबर बदलकर फरार हो गया था। इधर नासिक के अधिकारियों ने पत्राचार कर सीतापुर बैंक प्रबंधन को खबर की। यहां 25 लाख के गबन का खुलासा होने पर बैंक अधिकारी की रिपोर्ट पर विकास आनंद के खिलाफ सीतापुर पुलिस ने धारा 420 के तहत अपराध दर्ज किया था।

एसपी ने ली रूची और पकड़ा गया
2016 से मामला थाने में लंबित पड़ा था। इसी बीच एसपी सदानंद कुमार ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए विशेष अनुसंधान दल व साइबर सेल के सहयोग से आरोपी को ट्रेस किया गया। इस दौरान उसके दिल्ली में होने की जानकारी लगी। इसके बाद उन्होंने विशेष टीम का गठन कर उसे पकडऩे भेजा। एसपी के निर्देश पर टीम ने उसे बुराड़ी नई दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने आरोपी को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पत्नी भी सेंट्रल बैंक में ही पीओ के पद पर पदस्थ है। कार्रवाई में एसआई प्रियेश जॉन, प्रधान आरक्षक पन्नालाल, आरक्षक अरविंद उपाध्याय, निरंजन बड़ा तथा कोतवाली एसआई चेतन कुमार चंद्राकर, आरक्षक संजीव कुमार चौबे व भोजराज पासवान शामिल रहे।
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